'हर योजना का नाम बदलने की सनक समझ से परे है', मनरेगा के नाम बदलने पर लोकसभा में बोलीं प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी ने कहा कि मनरेजा की जगह लाए गए इस नए विधेयक में 100 दिनों के रोजगार को 125 दिन करने की तो बात हो रही है लेकिन मजदूरी और वेतन बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस विधेयक में कोई चर्चा नहीं है।

लोकसभा में प्रियंका गांधी ने मनरेगा के नाम में बदलाव को लेकर लाए गए विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि मनरेगा पिछले 20 वर्षों से देश में रोजगार देने और अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने में सक्षम रहा है। यह वही क्रांतिकारी कानून है जिसे इसी सदन में सर्वसम्मति से पारित किया गया था। प्रियंका गांधी ने कहा कि गरीब भाई-बहनों को 100 दिनों के रोज़गार का अधिकार इसी संसद ने दिया था। जब हम अपने क्षेत्रों में जाते हैं, तो दूर से ही पहचान हो जाती है कि मनरेगा का मज़दूर कौन है। सबसे गरीब होता है, चेहरे पर झूरियां होती है, उनके हाथ पत्थरों की तरह कठोर होते हैं क्योंकि इतनी मजदूरी करते हैं।
प्रियंका गांधी ने कहा कि मनरेगा वह कानून है, जिसके तहत हमारे भाई-बहनों को रोजगार की गारंटी मिलती है। यह मांग-आधारित कानून है रोज़गार की मांग होती है, उसी के अनुसार काम मिलता है, यानी 100 दिनों का रोजगार देना अनिवार्य है और केंद्र सरकार से पूंजी भी मांग के आधार पर जारी की जाती है। कितने पैसे कहां भेजे जाएं, यह सब मांग पर निर्भर करता है। लेकिन नए विधेयक में केंद्र सरकार को यह अधिकार दे दिया गया है कि वह पहले ही तय करे कि कितनी पूंजी कहां भेजी जाएगी। यह संविधान की भावना की अनदेखी है।
प्रियंका गांधी ने कहा इस कानून के जरिए ग्रामसभावों को इस योजना की मांग को जमीनी परिस्थियों के आधार पर जय करने का पूरा अधिकार दिया जाता था। आज वो अधिकार कमजूर किया जा रहा है। प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे संविधान की मूल भावना यह है कि हर व्यक्ति के हाथ में शक्ति होनी चाहिए, वही मूल भाल पंचायती राज में है। यह नया अधिनियम उस मूल भावना के खिलाफ है। रोजगार का अधिकार धीरे-धीरे कमजोर किया जा रहा है, जो संविधान के विपरीत है। इसी सदन ने यह कानून बनाया था और इसी संसद ने जनता को यह अधिकार दिया था।
प्रियंका गांधी ने चेतावनी दी कि इससे देश की अर्थव्यवस्था पर भार पड़ेगा और केंद्र का अनावश्यक नियंत्रण बढ़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि 100 दिनों के रोजगार को 125 दिन करने की तो बात हो रही है लेकिन मजदूरी और वेतन बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस विधेयक में कोई चर्चा नहीं है। यहां तक की सरकार की ओर से अब तक जो भुगतान बकाया है, वह भी पूरा नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि हर योजना का नाम बदलने की सनक समझ से परे है। जब भी नाम बदला जाता है, तो उस पर अतिरिक्त सरकारी खर्च होता है। बिना चर्चा, बिना सदन की सलाह के इस विधेयक को पारित नहीं किया जाना चाहिए। इसे वापस लिया जाना चाहिए और सरकार को नया विधेयक लाना चाहिए।
प्रियंका गांधी ने कहा कि गांधी जी केवल उनके परिवार के नहीं थे, बल्कि पूरे देश के थे और यह पूरे देश की भावना है। उन्होंने मांग की कि इस विधेयक को गहन जांच-पड़ताल के लिए संसदीय समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने कहा कि किसी सनक के आधार पर न तो विधेयक पेश किया जाना चाहिए और न ही पारित किया जाना चाहिए।
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