संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को घेरा, कहा- न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले दावे ‘निराधार’
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि बीजेपी, आरएसएस और भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के नेतृत्व को यह बताना होगा कि वे कॉर्पोरेट के साथ खड़े हैं या भारत की जनता के साथ। मोदी सरकार ने कामकाजी लोगों और युवा पीढ़ी को धोखा देने के लिए कॉर्पोरेट एकाधिकार के आगे घुटने टेक दिए हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को कहा कि नयी श्रम संहिताओं के तहत श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का दावा ‘निराधार’ हैं। एसकेएम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 90 प्रतिशत श्रमिक असंगठित क्षेत्र में हैं और इन संहिताओं के दायरे से बाहर हैं।
एसकेएम ने नयी संहिताओं की आलोचना की और कहा कि ये श्रमिकों के संगठन बनाने के अधिकार को नकारती हैं तथा हड़ताल करने पर कड़ी शर्तें लगाती हैं।
एसकेएम ने कहा कि कामकाज के वर्तमान आठ घंटे को बढ़ाकर 12 घंटे को वैध कर दिया है। यह कदम काम की न्यायसंगत और मानवीय स्थिति सुनिश्चित करने वाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 42 का उल्लंघन है।
एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘चार श्रम संहिताओं की प्रशंसा करने के लिए वह कॉर्पोरेट दुष्प्रचार की कड़ी निंदा करता है, जो आजादी के बाद सबसे प्रतिगामी श्रम सुधार हैं। एसकेएम श्रम संहिताओं के खिलाफ एकजुट श्रमिक संगठनों के विरोध का समर्थन करता है...।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘प्रधानमंत्री का यह बड़ा दावा कि श्रम संहिता सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है, निराधार है। असंगठित क्षेत्र के 90 प्रतिशत से अधिक श्रमिक श्रम संहिताओं के दायरे से बाहर हैं। श्रम संहिताओं ने अब शेष 90 प्रतिशत श्रमिकों को कानूनी सुरक्षा से बाहर कर दिया है।’’
एसकेएम ने बताया कि औद्योगिक संबंध संहिता के तहत 300 से कम श्रमिकों वाली इकाइयों को छंटनी, बर्खास्तगी और बंदी के लिए सरकार से पूर्व अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता से छूट है जबकि पहले यह सीमा 100 श्रमिकों की थी।
एसकेएम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेतृत्व जनता के प्रति जवाबदेह है।
एसकेएम ने आरोप लगाया, ‘‘बीजेपी, आरएसएस और भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के नेतृत्व को यह बताना होगा कि वे कॉर्पोरेट के साथ खड़े हैं या भारत की जनता के साथ। मोदी सरकार ने कामकाजी लोगों और युवा पीढ़ी को धोखा देने के लिए कॉर्पोरेट एकाधिकार के आगे घुटने टेक दिए हैं।’’
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