वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार, भूख मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में अहम योगदान

नॉर्वे की नोबेल समिति ने 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान कर दिया है। 'वर्ल्ड फूड प्रोग्राम' को शांति पुरस्कार दिया गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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डॉयचे वेले

नार्वे की नोबेल कमिटी ने शुक्रवार को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान कर दिया है। इस साल वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को सम्मानित किया गया है। इस संस्था द्वारा भूख से निपटने के लिए किए गए बेहतरीन प्रयासों के तहत यह सम्मान दिया गया है।

नॉर्वे की नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता के नाम की घोषणा की। उन्होंने बताया कि 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की सहायता पहुंची। डब्ल्यूएफपी दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है। कोरोना के दौर में इस संगठन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। ओस्लो के नोबेल इंस्टीट्यूट में आमतौर पर शांति पुरस्कार की घोषणा पर उमड़ने वाली भारी भीड़ नदारद थी। कोरोना महामारी के कारण इस बार रिपोर्टरों की संख्या में भारी कमी रही।


नोबेल शांति पुरस्कारों के लिए इस साल 318 नामांकन आए। इनमें 211 शख्सियतें और 107 संगठन शामिल हैं। हालांकि इस सूची में शामिल नामों को अगले 50 साल तक के लिए गोपनीय रखा जाता है इसलिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि पुरस्कार आखिर किसे मिलेगा। जो लोग पुरस्कार के लिए नामांकित करने के अधिकारी हैं वो चाहें तो जरूर इसके बारे में बता सकते हैं। इसी तरह से खबर आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इस बार के शांति पुरस्कार की दौड़ में थे। उनके अलावा हांगकांग निवासी, उइगुर बुद्धिजीवी इलहाम तोहती, नाटो, पर्यावरणविद राओनी मेटुकतिरे, व्हिसलब्लोअर जूलियन असांज, एडवर्ड स्नोडन और चेल्सी मैनिंग को भी नामांकित किया गया था।

पर्यावरण के लिए दुनिया भर में अलख जगाने वाली स्वीडिश किशोरी ग्रेटा थुनबर्ग, प्रेस की आजादी पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन और विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बार की दौड़ में आगे बताया जा रहा था। हालांकि कई और नाम भी ओस्लो में चल रही चर्चाओं में लिए जा रहे थे। इनमें अफगान शांति वार्ताकार और महिला अधिकार कार्यकर्ता फौजिया कूफी, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम, संयुक्त राष्ट्र और उसके महासचिव अंटोनियो गुटेरेश, जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और सूडान की क्रांति के आइकन अला सलाह इनमें शामिल थे।

अलग अलग विषयों में 2020 के लिए चार महिलाओं को पुरस्कार विजेता घोषित किया जा चुका है। अब तक 2009 में सबसे ज्यादा महिलाएं नोबेल पुरस्कार विजेता रही थीं जब पांच महिलाओं को एक ही साल में पुरस्कार के लिए चुना गया।

पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबीय अहमद को दिया गया था। एरिट्रिया के साथ जंग के बाद रिश्तों में 20 साल से चले आ रहे ठहराव को खत्म करने के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया।


1901 से 2019 के बीच कुल 100 नोबेल शांति पुरस्कार दिए गए. इस दौरान 19 बार यह पुरस्कार नहीं दिया गया। दो बार यह पुरस्कार तीन लोगों के बीच बांटा गया जबकि 30 बार दो लोगों को इस पुरस्कार का हकदार माना गया। 68 बार इसके अकेले विजेता रहे जबकि 24 संगठनों को भी अब तक पुरस्कार दिया जा चुका है। तो कुल मिला कर 107 लोग और 24 संगठन इसके विजेता हैं। पुरस्कार पाने वालों में 17 महिलाएं हैं और पाकिस्तान की मलाला युसुफजई पुरस्कार पाने वालों में सबसे युवा हैं। जब उन्हें यह पुरस्कार मिला तब उनकी उम्र महज 17 साल थी। 1995 में जोसेफ रोटब्लाट को यह पुरस्कार मिला तो वह 87 साल के थे और वो सबसे बुजुर्ग विजेता हैं।

अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस कमेटी को तीन बार नोबेल शांति पुरस्कार मिला है जबकि संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संस्था यूएनएचसीआर को दो बार यह पुरस्कार दिया गया।

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