ये 'नो डेटा सरकार' के 11 साल हैं, जहां न नीति है न नीयत, सिर्फ झूठ और प्रचार हैः कांग्रेस
कांग्रेस नेता महिमा सिंह ने कहा कि बीजेपी का दावा है कि उसने पीएम किसान लाभार्थियों को 3.7 लाख करोड़ रुपए वितरित किए। जबकि हकीकत यह है कि अप्रैल 2022 से नवंबर 2023 के बीच करीब सवा 2 करोड़ लाभार्थी लिस्ट से ही हटा दिए गए।

कांग्रेस ने किसान, युवा, महिलाओं से स्टार्टअप समेत कई आर्थिक योजनाओं की वास्तविकता सामने रखते हुए मोदी सरकार के 11 साल के कार्यकाल की पोल खोल दी है। प्रोफेसर राजीव गौड़ा और महिमा सिंह ने सिलसिलेवार तरीके से बीजेपी सरकार के 11 साल की पोल खोलते हुए कहा कि ये मोदी सरकार के 11 साल नहीं, बल्कि 'नो डेटा सरकार' के 11 साल हैं। मोदी प्रचार के 11 साल हैं और जवाबदेही के इंतेजार के 11 साल हैं।
प्रोफेसर राजीव गौड़ा ने कहा, नवंबर 2024 तक शीर्ष विश्वविद्यालयों में 5000 शिक्षण पद रिक्त हैं। एम्स दिल्ली और नए एम्स में 35 प्रतिशत संकाय पद रिक्त हैं। इसलिए, यदि आपके पास शिक्षक नहीं हैं, तो आप जो कर रहे हैं उसका क्या फायदा? फिर, एक और बड़ा दावा उड़ान योजना के बारे में है, जो टियर 2 और टियर 3 शहरों में मध्यम वर्ग के भारत के लिए जीवन की सुगमता है। उड़ान की वास्तविकता क्या है? 2023 तक स्वीकृत मार्गों में से 50 प्रतिशत से अधिक कभी शुरू नहीं हुए। उड़ान योजना के तहत 619 मार्गों में से केवल 323 चालू हैं। ₹4500 करोड़ खर्च करने के बाद भी उड़ान अभी भी उड़ान भरने के लिए संघर्ष कर रही है।
राजीव गौड़ा ने आगे कहा, पर्यावरण, स्थिरता और जलवायु परिवर्तन के लिए तैयारियों से जुड़ा दावा है कि 'एक पेड़ माँ के नाम' के तहत 142 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए गए, लेकिन दुखद वास्तविकता यह है कि भारत में बीजेपी सरकार के तहत सबसे अधिक वृक्ष आवरण का नुकसान हुआ है। 2017 में, 1.89 लाख हेक्टेयर - सबसे अधिक वृक्ष आवरण का नुकसान - इस सरकार के दौरान हुआ। 2016 में 1.75 लाख हेक्टेयर और 2023 में 1.44 लाख हेक्टेयर - पिछले 6 वर्षों में सबसे खराब। पिछले दो दशकों में भारत के कुल वृक्ष आवरण के नुकसान के 60 प्रतिशत के लिए पाँच पूर्वोत्तर राज्य जिम्मेदार थे।
राजीव गौड़ा ने कहा कि एक चीज़ जिसमें यह सरकार बहुत अच्छी है, वह है वन भूमि को गैर-वन उपयोग के लिए, विशेष रूप से अपने स्वयं के साथियों के लिए खनन परियोजनाओं के लिए उपयोग करना। 2014 से 2024 के बीच 1.73 लाख हेक्टेयर वन भूमि को बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिए उपयोग किया गया है। राजीव गौड़ा ने कहा कि यह सरकार फर्जी खबरें और प्रचार करने में बहुत अच्छी है। विपक्ष के तौर पर यह हमारा काम है कि हम लोगों को इस गंभीर वास्तविकता से अवगत कराएं।
कांग्रेस नेता महिमा सिंह ने कहा कि बीजेपी का दावा है कि उसने पीएम किसान लाभार्थियों को 3.7 लाख करोड़ रुपए वितरित किए। जबकि हकीकत यह है कि अप्रैल 2022 से नवंबर 2023 के बीच करीब सवा 2 करोड़ लाभार्थी लिस्ट से ही हटा दिए गए। उसके बाद दावा किया कि लिस्ट में 25 लाख नए किसानों को शामिल किया गया, जबकि हकीकत यह है कि इसमें मात्र 13 लाख किसानों को शामिल किया गया। इसी तरह से 'PM किसान योजना', जिसको लेकर बीजेपी दंभ भरती है, उसमें कांट्रैक्ट फॉर्मिग वाले किसान लाभार्थी नहीं हैं। 2011 के आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो 14.43 करोड़ इस योजना से बाहर रह जाते हैं।
महिमा सिंह ने कहा कि इसी तरह नारी शक्ति के लिए भी रंगीन पन्नों में परोसकर एक बड़ा नैरेटिव सेट किया गया। इन्होंने एक और झूठ बोला कि भारत में पहली बार 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हो गई हैं- ये आंकड़ा Methodology के साथ छेड़छाड़ कर पेश किया गया, जिसके ऊपर विशेषज्ञों के सवालिया निशान खड़े हैं। NCRB के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के साथ अपराध के आंकड़े दोगुने हो गए हैं। 2022-23 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 4.5 लाख हो गए। 2013-14 में PM मातृत्व योजना का नाम 'इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना' था। मोदी सरकार दावा करती है कि इस योजना के तहत 3.98 करोड़ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 18,593 करोड़ रुपए वितरित किए गए। लेकिन सच्चाई ये है कि वर्तमान में महिलाओं को सिर्फ 5,000 रुपए की सहायता मिल रही है, वो भी आज की योजना के तहत ये सिर्फ पहली संतान तक ही सीमित है।
महिमा सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी स्टार्ट-अप इंडिया जैसी कई योजनाओं के बारे में बड़े-बड़े दावे करती है, जिसमें वो बताते हैं कि 1.80 लाख से ज्यादा नई कंपनियां रजिस्टर्ड हुई हैं, जो 2022-23 की तुलना में 16% की वृद्धि दर्शाती हैं। लेकिन अगर आंकड़ा देखें तो केवल 2024 के अंदर ही 12,717 स्टार्ट-अप बंद हुए हैं। यानी अगर 'स्टार्ट-अप इंडिया' को 'शटडाउन इंडिया' कहा जाए तो गलत नहीं होगा। 2021 में इन प्रोजेक्ट्स के लिए 38 बिलियन डॉलर की फंडिंग उपलब्ध थी, जो कि 2024 में घटकर 14.4 बिलियन डॉलर रह गई है। 2025 के पहले 4 महीनों में ही 259 स्टार्ट-अप तबाह हो चुके हैं। मोदी सरकार दावा करती है कि 2014 की तुलना में 2024 में उत्तर-पूर्वोत्तर में विद्रोह गतिविधियां 24% कम हो गई हैं। सवाल है कि अब सरकार के इस आंकड़े पर कौन भरोसा करेगा- जहां मणिपुर 2 साल से हिंसा की आग में जल रहा है और जहां राष्ट्रपति शासन होने के बावजूद 2 दिन पहले ही हिंसा हुई है।
महिमा सिंह ने कहा कि सेवा, सुशासन, गरीब कल्याण जैसी बातें वह व्यक्ति कर रहा है- जिन्होंने संसद में कहा- एक अकेला सब पर भारी। जिनके समय में 18 महीने में 4 बार आतंकवादियों ने हमला किया और आज भी वो खुलेआम घूम रहे हैं। जिनकी देख-रेख में अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा सेना के जहाजों में 600 से ज्यादा भारतीयों को बेड़ियों में जकड़कर देश वापस भेजा गया। जिन्होंने गुजरात में 'नमस्ते ट्रंप' और दिल्ली में G-20 के लिए गरीबों के घर ढकने के लिए ऊंची सी दीवार बना दी और हरे पर्दे लगा दिए यह सेवा की बात करते हैं, लेकिन न इनमें समर्पण का भाव है, न लोगों से संवाद करने की इच्छाशक्ति है। ये सुशासन की बात करते हैं, जिसके लिए समभाव और शिष्टाचार आवश्यक होता है। आखिर में हम नरेंद्र मोदी से कहना चाहते हैं कि भारत की जनता सत्यमेव जयते और डरो मत में विश्वास रखती है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि बीजेपी 150 पन्नों की एक पुस्तिका लेकर आई है, जिसमें 11 साल का लेखा-जोखा लिखा गया है। इस पुस्तिका में नारी शक्ति वंदन अधिनियम के ऊपर ऐसी बातें हो रही हैं, मानो उसे लागू ही कर दिया गया है, लेकिन सच्चाई ये है कि इसे जनगणना के बाद लागू होना है। आज जेपी नड्डा जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसमें बड़े-बड़े दावे ठोंके, जिसमें आपको आंकड़े बेहद कमजोर मिलेंगे। सच्चाई ये है कि ये मोदी सरकार के 11 साल नहीं, बल्कि 'नो डेटा सरकार' के 11 साल हैं। हम लगातार मोदी सरकार से सवाल पूछते रहे हैं और बताते रहे हैं कि इस सरकार के दावे बनाम सत्य क्या हैं?
कांग्रेस नेता ने कहा कि ये NO DATA AVAILABLE सरकार के 11 साल हैं। ये मोदी सरकार के नहीं बल्कि मोदी प्रचार के 11 साल हैं। ये GDP की धीमी रफ्तार के 11 साल हैं, जहां न नीति है न नीयत। ये जवाबदेही के इंतजार के 11 साल हैं। अगर आप आज किसी गरीब, पिछड़े, वंचित और दलित वर्ग के व्यक्ति से पूछेंगे तो वो कहेगा कि ये बेकार के 11 साल हैं। पिछले 11 साल में मोदी सरकार में 906 स्कीमों की घोषणा की गईं, जिनकी सच्चाई ये रही कि करीब 71% स्कीमें फेल हो गईं और यही जुमला सरकार का सत्य है।
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