करगिल जाने से रोके गए जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM? उमर अब्दुल्ला बोले- चीन को लद्दाख में आने से नहीं रोक पाए, मुझे रोक रहे

कारगिल जाने से रोकने के दावे के बीच उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि हम केवल श्रीनगर से द्रास के जरिए कारगिल जा रहे हैं। हम यहां शहर पर कब्जा जमाने नहीं आए हैं।''

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उमर अब्दुल्ला ने दावा किया है कि केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में प्राधिकारियों ने उन्हें कारगिल जाने से रोकने की कोशिश की। जिसके बाद उमर ने द्रास में अपने समर्थकों की सभा में कहा, ‘‘उन्होंने मुझे यहां नहीं आने को कहा। वहां (पूर्वी लद्दाख में) चीन आ गया है, आप उन्हें रोक नहीं सके, आप उन्हें वापस नहीं भेज सके। हम केवल श्रीनगर से द्रास के जरिए कारगिल जा रहे हैं। हम यहां शहर पर कब्जा जमाने नहीं आए हैं।''

'सरकार को अपने फैसले पर नहीं है भरोसा'

  • अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि उन्हें द्रास में सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का इस्तेमाल करने और ‘डाक बंगला' सुविधा का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने कहा, ‘‘मैं छह साल जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री रहा हूं, लेकिन उनके कुछ फैसले मेरी समझ में नहीं आते।''अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को अपने फैसले पर ही भरोसा नहीं है।

  • अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘उन्होंने अगस्त 2019 में आपको (लद्दाख को) जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया। यदि यह आपकी दिली मांग थी, तो वे हमें प्रवेश करने की अनुमति देने से क्यों डरते हैं?''उन्होंने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे काल्पनिक रेखाएं बनाकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के बीच सदियों पुराने संबंध समाप्त नहीं कर सकते।

  • नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा, ‘‘हमारे संबंध बहुत मजबूत हैं और ये फर्जी रेखाएं इन्हें कमजोर नहीं कर सकतीं। हम आपका दर्द समझ सकते हैं, हम जानते हैं कि आपको नज़रअंदाज किया जा रहा है।'

बता दें कि 31 अक्टूबर 2019 से लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश है। केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त कर दिया था। पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला सोमवार से (31 अक्टूबर) से दो दिन के करगिल और द्रास के दौरे पर पहुंचे हैं। लद्दाख में 31 अक्टूबर को यूटी फाउंडेशन डे मनाया जाता है। इसी का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने कहा कि इजाजत नहीं दी गई थी। प्रशासन को आशंका थी कि उनके भाषण से कानून व्यवस्था ना बिगड़ जाए।

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