राजधानी की सीमाओं पर डटे हजारों-हजार किसान, फिजा में गूंज रही मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार

यह कह पाना मुश्किल है कि किसानों का आगे का रवैया क्या होगा। बॉर्डर पर डटे किसान उठने का नाम नहीं ले रहे, वहीं निरंकारी मैदान में आए किसान भी प्रदर्शन पर अड़े हुए हैं। किसानों का साफ कहना है कि हम यहां से तभी उठेंगे जब हमारी मांगों को मान लिया जाएगा।

फोटोः IANS
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आसिफ एस खान

केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न राज्यों से राजधानी में प्रदर्शन करने पहुंचे हजारों-हजार किसान जहां अभी भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे हैं, वहीं बड़ी संख्या में कुछ संगठनों के किसान निरंकारी मैदान में पहुंच चुके हैं। दिल्ली-हरियाणा सीमा पर टिकरी और सिंघु बॉर्डर और इधर दिल्ली-यूपी सीमा पर गाजियबाद बॉर्डर से लेकर दिल्ली के अंदर बुराड़ी के मैदान में किसानों का पूरजोर विरोध-प्रदर्शन चल रहा है।

एक तरह से कह सकते हैं कि राजधानी की फिजा में मोदी सरकार के खिलाफ किसानों की हुंकार लगातार गूंज रही है। किसान केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं और बार-बार अपनी एकता को दिखाते हुए गगनभेदी आवाज में नारे लगा रहे हैं कि 'हम एक हैं'।

हालांकि सिंघु बॉर्डर पर किसानों में आपसी मतभेद भी देखा गया। बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन करने की अनुमति मिलने के बाद शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर दो विचार देखे गए। जिसमें कुछ किसान का कहना था कि बुराड़ी मैदान चलना चाहिए, लेकिन कुछ संगठनों ने तय किया कि बुराड़ी मैदान नहीं जाएंगे। दरअसल किसानों का मानना है कि बुराड़ी मैदान जाने से किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा, क्योंकि सरकार फिर हमारी बात नहीं सुनेगी। यदि बॉर्डर पर ही डेरा बनाए बैठे रहे तो हमारे साथ-साथ आम लोग भी परेशान होंगे।

इसी कारण सिंघु बॉर्डर पर इस वक्त भी हजारों की संख्या में किसान मौजूद हैं और पूरे जोर शोर से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। दिल्ली के रास्ते सिंघु बॉर्डर होते हुए जो लोग अमृतसर या पानीपत जाना चाहते थे, उन्हें काफी परेशानी भी हुई। जगह-जगह सड़कें बंद होने के कारण उन्हें पैदल ही सफर करना पड़ा।

इधर दिल्ली के अंदर बुराड़ी के निरंकारी मैदान में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो सकते हैं। किसानों की संख्या को देखते हुए दिल्ली सरकार की तरफ से निरंकारी मैदान में किसानों के लिए व्यवस्था की जा रही है। हालांकि जो संगठन बुराड़ी मैदान पहुंच चुके हैं, वह अपने साथ खुद ही अधिकतर व्यवस्था करके चले हैं। सुबह से मैदान में कई एनजीओ भी मदद के हाथ बढ़ाने के लिए किसानों के पास पहुंचे और पानी और खाने की चीजें मुहैया कराई।

इस बीच दुनिया भर में जारी कोरोना महामारी को देखते हुए निरंकारी मैदान में भी किसानों को मास्क बाटें जा रहे हैं। सुबह से निरंकारी मैदान में कोरोना महामारी को लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है। टेम्पो, ई रिक्शा और लोग पैदल चलते हुए और हाथों में माइक लेकर कोरोना को लेकर जागरूकता फैलाते हुए दिखाई दिए।

राजधानी दिल्ली से सटे राज्यों से भी कई संगठन इस वक्त किसानों का समर्थन देने पहुंचे हुए हैं। गौतमबुद्धनगर जिले से किसान एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरन प्रधान ने बताया, "हम किसानों से मिलने के लिए आए हैं। वहीं बॉर्डर से पुलिस लेकर आई है। हम यहां बिल का विरोध तो कर ही रहे हैं, हम किसानों के साथ हुई बर्बरता का भी विरोध करने आए हुए हैं। कोरोना काल में किसान और जवान इन्ही दोनों ने देश भर की मदद की। लेकिन किसानों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है जैसे कि पराये हों।"

हालांकि, निरंकारी मैदान में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से भी कुछ छोटे-छोटे संगठन आए हुए हैं। जो सीधे बुराड़ी मैदान पहुंचे हैं। उन्होंने सुबह नृत्य कर सरकार के खिलाफ अपना विरोध भी जताया। इन संगठनों में कुछ महिलाएं भी शामिल हैं, जो कि अपनी आवाज बुलंद कर अपना विरोध दर्ज करा रही हैं।

ऑल इंडिया किसान यूनियन अमृतसर के बैनर तले आए बलजिंदर सिंह ने बताया, "कल सुबह हम दिल्ली आ गए थे और दिल्ली के मजनूं के टीले के पास पहुंच गए थे। वहीं हमारे 35 बन्दों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, फिर हरिनगर स्टेडिम ले गए और शाम को बुराड़ी मैदान में छोड़ दिया।"

ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनवाल ने बताया, "पंजाब से आने पर बॉर्डर पर पुलिस ने हमारे लिए बैरिकेड खोल दिए। हम कुछ लोग ही यहां आ सके हैं, लेकिन हमारे अधिक्तर लोग बॉर्डर पर हैं। हमारे सभी साथी बहादुरगढ़, टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर मौजूद हैं। बॉर्डर पर मौजूद किसान अपने साथ हुए व्यवहार पर गुस्से में हैं। हमने ये तय किया था कि 26 नवंबर संविधान दिवस के दिन हम राम लीला मैदान जाएंगे, क्योंकि हमारी बात नहीं सुनी जा रही।"

मेजर सिंह पुनवाल ने कहा, "हम चाहते हैं कि जो तीन कृषि कानून पास हुए हैं, वो सरकार वापस ले, यदि ऐसा नहीं हुआ तो हमारा देश भुखमरी का शिकार हो जाएगा। डीजल खरिदने पर 50 फीसदी की सब्सिडी मिले, क्योंकि खेती में डीजल की सबसे ज्यादा खपत है।" उन्होंने बताया, "ढाई बजे एक बैठक हुई है, जिसमें सभी किसानों के नेता शामिल थे। बैठक में इस बात पर फैसला लिया गया कि रविवार तक जो किसान जहां हैं, वो वहीं रहेंगे। जो किसान बुराड़ी आ गए हैं, वो धीरे-धीरे बॉर्डर पहुंचें, वरना वहीं बैठे रहें।"

पंजाब से आए किसानों के अनुसार 10 हजार से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉली पंजाब से आए हैं, जो अभी बॉर्डरों पर मौजूद हैं। पंजाब से भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के बैनर तले आए किसानों को बहादुरगढ़ बॉर्डर पर पुलिस ने बुराड़ी जाने के लिए कहा, जिसके बाद करीब दर्जन भर ट्रैक्टर-ट्रॉली निरंकारी मैदान में आ गए।

हालांकि अभी कह पाना मुश्किल होगा कि किसानों का आगे का रवैया क्या होने वाला है। बॉर्डर पर मौजूद किसान उठने का नाम नहीं ले रहे हैं, वहीं निरंकारी मैदान में आए किसानों को भी फिलहाल कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा है। दिल्ली पहुंचे किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियों में करीब 6 महीने का राशन ले कर आए हैं, किसानों का कहना है कि हम यहां से तभी उठेंगे जब हमारी मांगों को मान लिया जाएगा।

निरंकारी मैदान में दिल्ली सरकार के कार्यकर्ता और स्थानीय विधायक लगातार नजर बनाए हुए हैं और किसानों से बार-बार व्यवस्थाओं को लेकर पूछ रहे हैं। हालांकि किसानों को किसी राजनीतिक पार्टी के नेताओं से कोई मतलब नहीं दिखा।

मैदान में हजारों की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसमें सीआईएसएफ के जवान भी शामिल हैं। मैदान के चारों ओर जवानों को तैनात किया गया है। ताकि किसी भी हालात से निपटा जा सके, लेकिन मैदान में किसानों की संख्या ज्यादा न होने के कारण जवान राहत की सांस ले रहे हैं। सुबह से कई दफा पुलिस के आला अधिकारी मैदान में आ कर मौके का जायजा ले चुके हैं। आला अधिकारी मैदान के चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। इसके अलावा ड्रोन से भी निगरानी रखी जा रही है।

दिल्ली सरकार के अंतर्गत दिल्ली सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स भी निरंकारी मैदान में मौजूद हैं। जो लगातार लोगों से दो गज की दूरी बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। वहीं मैदान में एम्बुलेंस भी खड़ी की गई हैं, ताकि किसी को मेडिकल की जरूरत पड़े तो किसानों को तुरंत सुविधा मुहैया करा सकें।
किसानों से बातचीत करने के लिए मीडिया कर्मी भी मौजूद हैं, जो किसानों से उनकी परेशनियों और उनकी मांगों को लेकर पूछ रहे हैं।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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