मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही से कई क्विंटल चने की बोरियां भीगी, पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं

मध्य प्रदेश के दमोह और हटा में अधिकारियों की लापरवाही से लाखों रुपये के चने बारिश में भीग गए हैं। कृषि मंडी में चने की ये बोरियां खुले में रखी गई थीं। चने को बारिश से बचाने के लिए अधिकारियों ने कोई इंतजाम नहीं किए थे।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

मध्य प्रदेश में किसान अपनी कई मांगों को लेकर ‘गांव बंद’ आंदोलन कर रहे हैं। सूबे की शिवराज सरकार भले ही खुद को किसानों का हितैषी बता रही हो और उनके लिए बेहतर काम करने का दम भर रही हो, लेकिन प्रदेश में किसानों की हालात किसी से छिपी नहीं है। किसानों के प्रति शिवराज सरकार का क्या रुख है, इसका एक उदाहरण दमोह और हटा में देखने को मिला है। जहां सरकार और उसके अधिकारियों की लापरवाही के चलते किसानों के लाखों रुपये के काबुली चने पानी में बह गए। कृषि उपज मंडी में काबुली चने की ये बोरियां खुले में रखी गई थीं। अधिकारियों ने न तो बोरियों को शेल्टर में रखवाईं और न ही चने को बचाने के लिए कोई इंतजाम किया।

चना बारिश के पानी में भीग चुका है, किसानों की मेहनत बर्बाद हो चुकी है। बावजूद इसके अधिकारी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। अधिकारियों ने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा कि चने भीगने से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। अपना बचाव करते हुए अधिकारियों ने कहा कि चने की बोरियों के ऊपर प्लास्टिक के तिरपाल डाले गए थे, लेकिन तेज हवाओं में तिरपाल उड़ गए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही की वजह से चने भीगे हैं। स्थानीय लोगों ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर अधिकारियों ने बोरियों के ऊपर प्लास्टिक के तिरपाल डलवा दिए होते, तब भी बारिश की वजह से खुले में रखी बोरियां नीचे से गीली हो होती, ये हाल नहीं होता।

तेंदूखेड़ा नगर पंचायत के कृषि उप मंडी में चना और गेहूं खरीद केंद्र में खुले में रखी लगभग 4 हजार बोरियां बारिश से गीली हो गईं है। हैरानी की बात यह है कि 25 मई से गेंहू की खरीद बंद है। 13 दिनों में गेंहू खरीद केंद्र की दो समितियों की 30 हजार बोरियों का उठाव नहीं हुआ है। जबकि 9 जून यानी कल तक चना की खरीद चालू है। बारिश की वजह से खुले में रखी चना की लगभग 1500 बोरियां गीली हो गई हैं। साथ ही गेंहू खरीद केंद्र की लगभग 2500 बोरियां भीग गई हैं। इसके अलावा बारिश के बाद हटा के मंडी परिसर में रखी चने की 400 बोरियां गीली हो गई हैं।

15 मई को सुसनेर में इसी तरह लापरवाही के चलते 5 हजार क्विंटल अनाज बारिश की भेंट चढ़ गया था, जिस पर अभी अब तक कोई जवाबदेही तय कर कार्रवाई नहीं की गई है।

खबरों के मुताबिक, दमोह, हटा, पथरिया, तेंदूखेड़ा, जबेरा और बटियागढ़ मंडी में 27 सहकारी समितियों के माध्यम से चना, मसूर और सरसों की खरीद चल रही है। जिनमें अब तक कुल 91 हजार 136 टन (9 लाख 13 हजार क्विंटल) खरीद हो चुकी है। जिसमें से अब तक 6 लाख 32 हजार टन (अर्थात 6 लाख 26 हजार क्विंटल) का परिवहन हो चुका है। लेकिन अभी भी जिले में कुल 2 लाख 80 हजार क्विंटल अनाज खुले में पड़ा है।

मध्य प्रदेश सरकार की लापरवाही से कई क्विंटल चने की बोरियां भीगी, पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
25 मई को दमोह के उपज मंडी में किसानों ने अनाज खरीद में देरी का आरोप लगाया था

मंडी में अधिकारियों की लारवाही को लेकर यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी प्रदेश के कई हिस्सों में ऐसी घटना सामने आ चुकी है। कुछ दिन पहले 25 मई को दमोह के उपज मंडी में किसानों ने सरकारी अधिकारियों घूस लेकर जानबूझकर अनाजों की खरीद में देरी करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि व्यापारियों से रिश्वत लेकर अधिकारी उनसे ही अनाज खरीद रहे हैं। जिसकी वजह से मंडी के बाहर अनाज से भरी गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई थी।

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Published: 08 Jun 2018, 3:36 PM