'न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा', पूर्व न्यायाधीशों और विधि विशेषज्ञों ने की सलवा जुडुम मामले पर शाह की टिप्पणी की निंदा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के सलवा जुडुम मामले में दिए गए निर्णय के बयान पर SC के पूर्व न्यायाधीशों, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों व न्यायाधीशों और प्रख्यात विधि विशेषज्ञों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों और कुछ सीनियर एडवोकेट्स ने ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी कर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और विपक्ष समर्थित उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जस्टिस एस सुदर्शन रेड्डी को को लेकर गृहमंत्री अमित शाह के बयान की निंदा की है। बयान में शाह की टिप्पणी को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया है।

उन्होंने कहा है कि इस प्रकार की सार्वजनिक गलत व्याख्या से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों पर भय का माहौल बन सकता है, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है। बयान में उपराष्ट्रपति चुनाव में सभ्यता और गरिमा बनाए रखने की अपील की गई है।

संयुक्त बयान में क्या कहा गया है?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सलवा जुडुम मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की सार्वजनिक रूप से गलत व्याख्या करना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह निर्णय कहीं भी, न तो स्पष्ट रूप से और न ही इसके पाठ, निहितार्थ या तर्क से माओवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन करता है। भारत के उपराष्ट्रपति के पद के लिए अभियान वैचारिक हो सकता है, फिर भी इसे गरिमा और सभ्यता के साथ चलाया जाना चाहिए। किसी भी उम्मीदवार की विचारधारा की आलोचना करने से बचना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की किसी उच्च राजनीतिक पदाधिकारी द्वारा पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या का न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और यह न्यायाधीशों के आत्मविश्वास को कम कर सकता है। बयान में आगे कहा गया है कि भारत के उपराष्ट्रपति के पद के सम्मान को ध्यान में रखते हुए, नाम लेकर आलोचना से परहेज करना बुद्धिमानी होगी।

किन लोगों ने दिया बयान

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश

ए.के. पटनायक, अभय ओका, गोपाल गौड़ा, विक्रमजीत सेन, कुरियन जोसेफ, मदन बी. लोकुर, जे. चेलमेश्वर

उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश

गोविंद माथुर, एस. मुरलीधर, संजीब बनर्जी, उच्च न्यायालयों के पूर्व न्यायाधीश, अंजना प्रकाश, सी. प्रवीण कुमार, ए. गोपाल रेड्डी, जी. रघुराम, के. कन्नन, के. चंद्रू, बी. चंद्रकुमार, कैलाश गम्भीर

अन्य: प्रो. मोहन गोपाल, संजय हेगड़े, वरिष्ठ अधिवक्ता


अमित शाह के बयान पर सुदर्शन रेड्डी ने क्या कहा?

सलवा जुडूम फैसले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी पर नक्सलवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में रेड्डी ने कहा कि हर नागरिक के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।

रेड्डी ने कहा, "मैं भारत के माननीय गृह मंत्री के साथ सीधे तौर पर इस मुद्दे पर नहीं जुड़ना चाहता। उनका संवैधानिक कर्तव्य और दायित्व वैचारिक मतभेदों के बावजूद, प्रत्येक नागरिक के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करना है। दूसरी बात, मैंने फैसला लिखा है। यह फैसला मेरा नहीं है, यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय का है।

रेड्डी ने कहा कि उनकी इच्छा है कि अमित शाह 40 पन्नों का फैसला पढ़ें। उन्होंने जोर देकर कहा, "अगर उन्होंने फैसला पढ़ा होता तो शायद वह यह टिप्पणी नहीं करते। मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं और यहीं खत्म करता हूं। बहस में शालीनता होनी चाहिए।"

अमित शाह ने क्या कहा था?

केंद्रीय गृह मंत्री ने रेड्डी पर हमला करते हुए कहा था, "विपक्ष के प्रत्याशी सुर्दशन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद को मदद करने के लिए सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था और अगर ये जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो गया होता।

उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस पार्टी, वामपंथी दलों के दबाव में एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है जिसने नक्सलवाद का समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल किया।