‘चुनावी लोकार्पण’ के लिए बन तो गईं गोरखपुर में अस्पतालों की इमारतें, लेकिन डॉक्टर-दवा सब नदारद

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में अस्पतालों की इमारतें तो बन रही हैं और मोदी-योगी इन इमारतों का लोकार्पण भी करने में जुटे हैं, लेकिन एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है जिसे सर्व सुविधा संपन्न कहा जा सके। ज्यादातर अस्पतालों में ओपीडी तक नहीं चल पा रही।

फोटो : सोशल मीडिया
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बीमारियों की गिरफ्त में फंसे पूर्वांचल में सेहत पर सियासत नई बात नहीं है। इसीलिए योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो पूर्वांचल के प्रमुख केंद्र गोरखपुर में एम्स समेत सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को लेकर काम तेज हुए ताकि चुनाव के समय उपलब्धियां गिनाई जा सकें। चुनाव से ऐन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री योगी तक ताबड़तोड़ ‘चुनावी लोकार्पण’ कर रहे हैं। करोड़ों खर्च कर अस्पताल की बिल्डिंग भी खड़ी हो गई, लेकिन डॉक्टर नहीं हैं। एम्स में जहां उधार पर बुलाए गए जोधपुर के डॉक्टरों से जैसे-तैसे ओपीडी चल रही तो वहीं बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल को जैसे-तैसे चलाया जा रहा है।

इंसेफेलाइटिस समेत अन्य बीमारियों को लेकर सड़क से लेकर संसद तक आंदोलन करने वाले योगी आदित्यनाथ को सूबे की कमान मिली तो पूर्वांचल के सेहतमंद होने की उम्मीदें जगीं। बीते 24 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने गोरखपुर में एम्स की ओपीडी के साथ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 150 करोड़ की लागत से बने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का लोकार्पण किया। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री पहले ही गोरखपुर में महिला अस्पताल से सटे 100 बेड के मैटरनिटी अस्पताल और 100 बेड के टीबी अस्पताल का लोकार्पण कर चुके हैं।

दिल्ली के एम्स सरीखी चिकित्सा की उम्मीद में लोग घंटों लाइन लगाकर रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं। दुर्भाग्य यह है कि प्रतिष्ठित चिकित्सा केंद्र में भी केंद्र और प्रदेश की सरकारें जुगाड़ से ही इलाज करा रही है। एम्स में अभी मानक के मुताबिक डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो सकी है। उधर, चुनावी मौसम में सरकार यह बताने का साहस नहीं जुटा पा रही है कि एम्स में सिर्फ क्रिटिकल मरीजों का ही इलाज हो सकेगा।

एम्स प्रशासन ने 10 विभागों के लिए 34 डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए आवेदन निकाला था। लखनऊ के पीजीआई में 6 से 8 फरवरी तक 800 से अधिक डॉक्टरों का साक्षात्कार हुआ। लेकिन सिर्फ आठ की नियुक्ति हो सकी। इनमें भी दो ने अब तक ज्वाइन नहीं किया है। नियुक्ति पाने वाली एक डॉक्टर एक आरएसएस कार्यकर्ता की बेटी हैं। एम्स की ओपीडी को जोधपुर एम्स के डॉक्टरों की मदद से जैसे-तैसे चलाया जा रहा है।

वर्तमान में एम्स जिला अस्पताल की ओपीडी सरीखा नजर आ रहा है। सर्वाधिक भीड़ 20 रुपये में हो रहे रजिस्ट्रेशन के लिए है। 4 मार्च तक 3000 से अधिक रजिस्ट्रेशन काउंटर से तो 6000 से अधिक ऑनलाइन हो चुके हैं। एम्स के ठीक बगल में रहने वाले प्रमोद साहनी का कहना है कि उनके परिवार में दस सदस्य हैं। साल भर में कभी तो बीमार पड़ेंगे। इसलिए एडवांस में रजिस्ट्रेशन करा लिया है। एम्स प्रबंधन की मॉनिटरिंग जोधपुर एम्स निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा कर रहे हैं। स्थानीय स्तर पर जोधपुर एम्स के उपनिदेशक एन आर विश्नोई कार्यभार देख रहे हैं। उपनिदेशक का कहना है कि ‘एम्स को लेकर लोगों की उम्मीदें हैं। इसीलिए लोग सुबह 3 बजे से ही पंजीकरण के लिए लाइन में लग जा रहे हैं। धीरे-धीरे डॉक्टर भी आ जाएंगे और एम्स अपनी छवि के अनुरूप कार्य करने लगेगा। 50 एमबीबीएस सीटों के लिए इसी सत्र से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।’

गोरखपुर से सपा सांसद प्रवीण निषाद आरोप लगाते हैं कि ‘प्रदेश और केंद्र की सरकारें सिर्फ बिल्डिंग खड़ी कर इलाज कराने का दावा कर रही हैं। बीमार लोगों की भावनाओं से खेला जा रहा है। चुनावी लोकार्पण से पूर्वांचल के लोगों की सेहत नहीं सुधरेगी। सरकार अस्पतालों में डॉक्टर और सुविधाएं दे, ईंट पत्थर की बिल्डिंग से इलाज नहीं होगा।’

स्पेशियलिटी अस्पताल में डॉक्टरों की तैनाती नहीं

गोरखपुर के बीआरडी में 200 बेड वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की मंजूरी वर्ष 2013 में ही मनमोहन सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत की थी। इसमें केंद्र सरकार ने 120 करोड़ और प्रदेश सरकार ने 30 करोड़ का अंशदान दिया है। पीएम मोदी ने पिछले 24 फरवरी को स्पेशियलिटी अस्पताल का लोकार्पण किया। इस अस्पताल में यूरो सर्जरी, यूरोलॉजी, गैस्ट्रोसर्जरी, कार्डियो थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी, कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी और नेफ्रोलॉजी सरीखे विभागों में जैसे-तैसे ओपीडी ही चल रही है। बीआरडी प्रशासन ने डॉक्टरों के लिए दो बार विज्ञापन निकाला लेकिन आठ विभागों में सिर्फ छह डॉक्टर मिले, वह भी ठेके पर। ऑपरेशन और जांच तो दूर की बात है, पिछले एक सप्ताह में 100 मरीजों की ओपीडी भी नहीं हो सकी है। अभी भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ही पर्ची पर मरीजों को देखा जा रहा है।

लोकार्पण पर जोर, सुविधाएं नदारद

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरवरी माह में जिला महिला अस्पताल के ठीक बगल में 100 बेड के मैटरनिटी विंग का लोकार्पण किया। लोकार्पण के समय गर्भवती महिलाओं की 24 घंटे सर्जरी से लेकर एनआईसीयू (न्यूयोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) का दावा मुख्यमंत्री ने किया था। हकीकत यह है कि मैटरनिटी विंग की इमरजेंसी को जिला अस्पताल की इमरजेंसी बंद कर चलाया जा रहा है। अब तक केंद्रीयकृत ऑक्सीजन प्रणाली की शुरूआत नहीं हो सकी है। अस्पताल में न तो जनरेटर की सुविधा है, न ही कोई सफाई कर्मी है।

मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों एयर फोर्स के पास बने 100 बेड वाले टीबी अस्पताल का भी लोकार्पण किया है। कहने को टीवी अस्पताल में आठ डॉक्टरों की तैनाती है, लेकिन कभी भी दो से अधिक नहीं दिखे। बीआरडी मेडिकल कॉलेज का ट्रामा सेंटर लोकार्पण के 18 महीने बाद भी चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा है। सेंटर में सिर्फ एक बेहोशी के डॉक्टर की तैनाती है, जबकि कम से कम तीन होने चाहिए।

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