टूलकिट केसः दिशा रवि पर मीडिया रिपोर्टिंग को हाईकोर्ट ने माना पूर्वाग्रह से ग्रस्त, पुलिस को भी सख्त निर्देश

अदालत आज दिशा रवि की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने से पुलिस को रोकने का अनुरोध किया है। याचिका में मीडिया को उनकी व्हाट्सऐप बातचीत या अन्य चीजें प्रकाशित करने से रोकने का भी अनुरोध किया गया है।

फाइल फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

दिल्ली हाईकोर्ट ने क्लाइमेट ऐक्टिविस्ट दिशा रवि द्वारा दायर एक याचिका पर आज निर्देश जारी करते हुए कहा कि टूलकिट मामले में की गई मीडिया कवरेज सनसनीखेज और पूर्वाग्रह पर आधारित थी। दिशा ने अपनी याचिका में मांग की थी कि कोर्ट दिल्ली पुलिस को निर्देश दे कि वह मीडिया को टूलकिट मामले की जांच संबंधी जानकारी लीक न करे। याचिका में इस 21 वर्षीय कार्यकर्ता ने कहा है कि जांच की लीक हुई जानकारियों को लेकर दिल्ली पुलिस और मीडिया उन्हें जमकर निशाना बना रही है। हालांकि पुलिस ने इस आरोप को खारिज किया है।

मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह टूलकिट मामले में कानून का और ऐसे मामलों की मीडिया कवरेज के सिलसिले में 2010 के एजेंसी के ज्ञापन का पालन करते हुए प्रेस ब्रीफिंग कर सकती है। साथ ही अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह हलफनामा में दिए गए अपने इस रूख का पालन करे कि उसने जांच संबंधी कोई जानकारी प्रेस को लीक नहीं की और न ही उसका ऐसा कोई इरादा है।

वहीं अदालत ने मीडिया को लीक हुई जांच सामग्री को प्रसारित नहीं करने का निर्देश देते हुए कहा, "मीडिया यह सुनिश्चित करेगा कि उनकी खबरें सत्यापित और प्रामाणिक स्रोतों से प्राप्त हों। संपादकीय टीमें यह सुनिश्चित करें कि प्रसारित होने वाली सामग्री प्रमाणित हो। साथ ही चैनल संपादक अपने कंटेंट पर नियंत्रण रखें ताकि जांच में बाधा न आए।" कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया यह सुनिश्चित करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है कि कोई सनसनीखेज घटना न होने पाए, लेकिन हालिया कवरेज से पता चलता है कि उसने खुद सनसनीखेज और पूर्वाग्रही रिपोर्टिग की है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी.राजू ने कोर्ट से कहा कि पुलिस पर लगाए गए आरोप झूठे हैं और मामले से जुड़ी ऐसी कोई जानकारी मीडिया के साथ साझा नहीं की गई है। उन्होंने कहा, "लीक हुआ संदेश 3 फरवरी का है, जबकि उसे 10 दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। उसने यह मैसेज लोगों को भेजा और इसे पुलिस को बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया। यह जांच एजेंसियों पर दबाव बनाने का एक सिस्टेमेटिक प्रयास है।"

बता दें कि अदालत किसान आंदोलन से संबंधित एक टूलकिट को संपादित करने और सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिए पिछले हफ्ते बेंगलुरु से गिरफ्तार दिशा रवि की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने से पुलिस को रोकने का अनुरोध किया है। याचिका में मीडिया को उनकी व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत या अन्य चीजें प्रकाशित करने से रोकने का भी अनुरोध किया गया है।

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Published: 19 Feb 2021, 4:06 PM
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