कोई भूखा न रहे, सबके लिए काम और आमदनी की गारंटी: देश-दुनिया के इकोनॉमिस्ट-एक्टिविस्ट ने बनाया ‘मिशन जय हिंद’
कोरोना संकट में कैसे हो लोगों की मदद और कैसे वापस आए पटरी पर अर्थव्यवस्था, इसे लेकर देश-दुनिया के अर्थशास्त्रियों और बुद्धिजीवियों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक खाका तैयार किया है। इसे मिशन जय हिंद का नाम दिया गया है।

देश-दुनिया के जाने माने अर्थशास्त्रियों, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने मिशन जय हिंद के नाम से एक एक्शन प्लान तैयार किया है। इस प्लान का फोकस कोरोना संकट में लोगों को दुश्वारियों और परेशानियों से निकालने के साथ ही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपाय भी सुझाए गए हैं।
इस एक्शन प्लान तैयार करने वाले लोगों में योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन, ब्राउन यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर आशुतोष वार्ष्णेय, महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी, अर्थशास्त्री दीपक नैयर, कारवां-ए-मोहब्बत के फाउंडर हर्ष मंदार, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव जैसे लोग शामिल हैं।
अर्थशास्त्रियों और जानकारों का मत है कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित कथित 20 लाख करोड़ का पैकेज आम लोगों को आर्थिक मदद नहीं देता है, जबकि यही वो लोग हैं जो कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। 'मिशन जय हिन्द' एक सात पॉइंट का एक्शन प्लान है। कोरोना संकट में केंद्र और राज्य सरकारें क्या कदम उठाएं उन्हें इन सात बिंदुओं में बताया गया है:
1. 10 दिन के अंदर घर भेजे जाएं प्रवासी मजदूर
- सरकार इस बात की जिम्मेदारी ले कि प्रवासी 10 दिनों के अंदर अपने घर पहुंच जाएं
- केंद्र सरकार इन प्रवासियों के लिए ट्रेनों की व्यवस्था करे और उसका पैसा भी दे
- राज्य सरकारें प्रवासियों के इंटर-स्टेट मूवमेंट की जिम्मेदारी लें और स्टेशन या बस टर्मिनल से गांव तक मुफ्त ट्रांसपोर्ट दे
- स्थानीय प्रशासन तुरंत खाना, पानी और शेल्टर मुहैया कराए
- सिविल एडमिनिस्ट्रेशन की मदद के लिए आर्मी स्टैंडबाई पर रहे
2. फ्रंटलाइन वर्कर्स की एक साल की आर्थिक और चिकित्सीय सुरक्षा
- जिन मरीजों में लक्षण हैं, उनका मुफ्त टेस्ट हो
- प्राइवेट इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल इंस्टीट्यूशनल क्वॉरंटीन के लिए किया जाए
- अस्पताल बेड और वेंटिलेटर की पर्याप्त व्यवस्था हो
- सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स और उनके परिवारों के लिए पूरे एक साल को आर्थिक और चिकित्सीय सुरक्षा मुहैया कराई जाए
- बीमारी और स्वास्थ्य सुविधाओं से जुड़ी जानकारी का समय-समय पर पूरी तरह खुलासा हो
3. कोई भूखा न रहे
- हर राशन कार्डधारी को 10 किलो अनाज, 1.5 किलो दाल, 800 मिली तेल और आधा किलो चीनी हर महीने मिले
- सर्टिफिकेट के आधार पर कार्ड में अतिरिक्त नाम जुड़े या इमरजेंसी राशन कार्ड बनाया जाए
- मिड डे मील और आईसीडीएस स्कीम के बराबर का राशन बच्चों के घर पहुंचाया जाए
- हर स्कूल में कम्यूनिटी किचन स्थापित किए जाएं
4. सब के लिए नौकरी
- मनरेगा में काम के दिन गारंटी बढ़ाकर 200 दिन हो
- शहरों में 400 दिहाड़ी के हिसाब से हर व्यक्ति के लिए 100 दिन का रोजगार मुहैया कराया जाए
- लॉकडाउन में नौकरी जाने पर सभी जॉब कार्ड होल्डरों को मनरेगा के मुताबिक 30 दिन तक मुआवजा दिया जाए
- सभी गांवों में मनरेगा काम जारी रखना अनिवार्य किया जाए
- मनरेगा का भुगतान दिहाड़ी मजदूरी के हिसाब से किया जाए
5. सब के लिए आमदनी
- ईपीएफ में रजिस्टर सभी कर्मचारियों को नौकरी जाने का मुआवजा सुनिश्चित हो
- आर्थिक रूप से खस्ताहाल कंपनियों को बिन ब्याज का कर्ज मिले जिससे वो कर्मचारयों को वेतन दे सके
- न्यूनतम समर्थन मूल्य के नीचे दाम जाने और खराब होने वाले कृषि उत्पादों के नुकसान पर किसानों को मुआवजा मिले
- हॉकर्स, वेंडर्स, छोटे दुकानदारों को बिजनेस दोबारा शुरू करने के लिए एक बार में 10,000 रुपए की सब्सिडी दी जाए
6. अर्थव्यवस्था सुधरने तक ब्याज नहीं
- अगर कोई घर की किश्त देने में असमर्थ है और इसके लिए अप्लाई करता है तो उसे तीन महीने तक कर्ज चुकाने और ब्याज से मुक्ति मिले
- इसी तरह जिन लोगों ने मुद्रा 'शिशु' और 'किशोर' लोन लिया है उन्हें भी किश्त और ब्याज से तीन महीने की राहत मिले
7. नेशनल मिशन तैयार करना
- नागरिकों और देश के पास मौजूद नकदी, जमीन-जायदाद यानी रियल एस्टेट, प्रॉपर्टी, बॉन्ड जैसे सभी संसाधनों को राष्ट्रीय संसाधन समझा जाए
- इस तरह जुटाए गए अतिरिक्त राजस्व का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा राज्य सरकारों को दिया जाए
- इस मिशन के तहत होने वाले खर्च को सरकार प्राथमिकता दे और सभी गैर-जरूरी खर्च और सब्सिडी रोक दी जाएं
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