ट्रेन हादसा: बाइक की लाइट की सहायता से खिड़कियों के कांच तोड़े, लोगों को बाहर निकाला, यात्रियों ने सुनाई आपबीती

कुछ यात्री रात्रि में भोजन कर चादर तान सो रहे थे, तो कुछ सोने की तैयारी में थे। इसी बीच, अचानक पहले तेज झटका लगा और फिर चीख पुकार और अफरा तफरी मची।

फोटो: IANS
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आईएएनएस

रात धीरे-धीरे गहरी होती जा रही थी और आनंद विहार टर्मिनल से चली नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस तेज गति से अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ रही थी। कुछ यात्री रात्रि में भोजन कर चादर तान सो रहे थे, तो कुछ सोने की तैयारी में थे। इसी बीच, अचानक पहले तेज झटका लगा और फिर चीख पुकार और अफरा तफरी मची। लोग कुछ समझ नहीं पा रहे थे। फिर पता चला कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई है, वह डब्बे से बाहर निकलने की चेष्टा में थे।

दानापुर की रहने वाली अंजु बुधवार की रात में नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस से सफर कर रही थी और जब उस मंजर के विषय में पूछा तो कुछ ऐसा ही बयान किया।

अंजू बताती हैं कि लोग मदद की आस में इधर-उधर देख ही रहे थे कि तेज आवाज सुनकर बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे और मददगार बन गए। उस समय ये ग्रामीण उन यात्रियों के लिए फरिश्ते से कम नहीं थे। स्थानीय दुकानें बंद हो गई थी, सभी लोग बाजार से घर जा चुके थे, लेकिन व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज बढ़ता गया और लोग घटनास्थल पर पहुंचते गए।

स्थानीय बाजार के युवा और सामाजिक कार्यकर्ता यात्रियों की मदद कार्य में जुट गए। जिस जगह ये हादसा हुआ, वहां रघुनाथपुर बाजार स्थित है। यहां के लोगों ने जब हादसे के बारे में सुना तो वो तुरंत मौके पर पहुंचे। कुछ इलाके के दूसरे गांवों से भी पहुंचे लोगों की मदद ली और अपने वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाना शुरू किया।

ग्रामीण हर सहायता पहुंचाना चाहते थे। साधन उपलब्ध नहीं था तो जुगाड़ के जरिए लोगों को मदद पहुंचाना शुरू कर दिया। भरखर, कांट, कैथी, रहथुआ, शाहपुर, बाबूडेरा सहित कई गांव के लोग पहुंच गए।


रोहिल छपरा गांव के रहने वाले समाजसेवी आनंद कुमार तत्काल पहुंचने वाले लोगों में से एक थे। वे बताते हैं, घुप्प अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। इसके बाद मोटर साइकिल की लाइट की सहायता से खिड़कियों के कांच तोड़े गए और लोगों को बाहर निकालने का काम शुरू किया। वे कहते हैं कि इसके बाद पुलिस और जिला प्रशासन की टीम भी पहुंच गई।

रघुनाथपुर के विशाल सिंह बताते हैं कि जो यात्री बोगी से निकाले जा रहे थे, उन्हें भी सहसा जिंदा रहने पर विश्वास नहीं हो रहा था। महिला यात्रियों के निकलने के बाद भी पांव कांप रहे थे। वे बताते हैं कि इसके बाद गांव से रोशनी के लिए जेनरेटर की व्यवस्था कराई गई। बच्चो के लिए दूध उपलब्ध करवाया गया। इस दुर्घटना में बचने वाले भगवान को याद कर रहे थे और उसे धन्यवाद दे रहे थे।

बक्सर के रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के पास नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इस हादसे में 23 डब्बे बेपटरी हुए है। लेकिन हादसे के बाद जिस तरह का मंजर दिखा और जब लोग डरे सहमे थे वैसी स्थिति में ग्रामीणों ने जिस तरह पहुंचकर मदद की, वो मानवता का एक मिसाल पेश कर गए।

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