किसानों के समर्थन में उतरे ट्रांसपोर्टर, मांगे नहीं मानी गईं तो 8 दिसंबर से देश भर में ट्रकों का चक्का जाम होगा

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में ट्रासंपोर्ट्स भी उतर आए हैं। उन्होंने ऐालान किया है कि अगर किसानों की मांगे नहीं मानी गईं तो देश भर में 8 दिसंबर से चक्का जाम कर दिया जाएगा जिससे माल ढुलाई पर गहरा असर पड़ेगा।

प्रतीकात्मक फोटो : Getty Images
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मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को ट्रांसपोर्टरों ने समर्थन का ऐलान किया है। ट्रांसपोर्टरों ने ऐलान किया है कि अगर किसानों की मांगे नहीं मानी गईं तो 8 दिसंबर से पूरे देश में जरूरी सामान की ढुलाई बंद कर चक्का जाम कर देंगे। यह ऐलान ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने किया है।

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस देश के ट्रांसपोर्टरों की शीर्ष संस्था है जिसमें सभी ट्रक यूनियनें शामिल हैं। समें करीब एक करोड़ ट्रक वाले शामिल हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतरन सिंह अटवाल ने कहा है कि, “अगर किसानों की मांगे नहीं मानी गईं तो हम पूरे उत्तर भारत में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चक्का जाम कर देंगे। इनमें दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। हमने फैसला किया है कि अगर किसानों की बात नहीं सुनी गई तो पूरे देश में चक्का जाम कर दिया जाएगा।”

ध्यान रहे कि भारत में करीब 60 फीसदी माल ढुलाई सड़क के रास्ते होती है।

एआईएमटीसी ने एक बयान में कहा है कि ट्रांसपोर्टर किसानों के आंदोलन को अपना खुला समर्थन दे रहे हैं। बयान में कहा गया कि, “वे अपने वाजिब हक के लिए लड़ रहे हैं, सड़क परविहन की तरह ही कृषि भी देश के जीवन की रीढ़ है, ग्रामीण भारत के 70 फीसदी से ज्यादा घर खेती पर ही निर्भर हैं। हम हड़ताल करेंगे तो पूरा उत्तर भारत प्रभावित होगा क्योंकि हम पंजाब हरियाणा हिमाचल, यूपी, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों से माल की ढुलाई करते हैं। हम किसानों का इसलिए समर्थन कर रहे हैं कि क्योंकि देश के कुल ट्रकों में से 65 फीसदी फसलों की ही ढुलाई करते हैं।”

बयान के मुताबिक, “…सेब के सीजन में यह बरबाद हो रहा है वहीं आलू प्याज और दूसरे फल – सब्जियों की आपूर्ति के साथ ही दूध, दवाई आदि की ढुलाई पर भी असर पड़ेगा। अगर सरकार ने सही कदम नहीं उठाया तो आने वाले दिनों में हालात खराब हो सकते हैं।”

गौरतलब है कि देश भर के किसान कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इन कानूनों के जरिए मंडी सिस्टम खत्म किया जा रहा है और प्राइवेट सेक्टर का कृषि क्षेत्र पर कब्जा हो जाएगा। बीते करीब सप्ताह भर से किसानों ने दिल्ली में मोर्चा संभाल रखा है। सरकार के साथ पहली दिसबंर को हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है।

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