दिल्ली के कुछ इलाकों में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण किया गया, विमान ने छिड़का रसायन, अब कृत्रिम बारिश का इंतेजार
पिछले हफ्ते भी बुराड़ी में विमान ने एक परीक्षण उड़ान भरा था और कृत्रिम वर्षा कराने वाले रसायनों का छिड़काव किया था। लेकिन बारिश वाले बादलों का निर्माण करने के लिए हवा में 50 प्रतिशत नमी होनी चाहिए लेकिन नमी 20 प्रतिशत से कम होने की वजह से बारिश नहीं हुई।

राजधानी दिल्ली में आज प्रदूषण से निजात पाने के लिए बहुचर्चित क्लाउड सीडिंग का दूसरा परीक्षण किया गया। इसके तहत दिल्ली के कुछ इलाकों में एक विमान से रसायनों का छिड़काव किया गया। कहा जा रहा है कि परीक्षण के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर बारिश हो सकती है, जिससे प्रदूषण से निजात मिलेगी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि उनकी सरकार ने आईआईटी-कानपुर के सहयोग से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में कृत्रिम बारिश का पहला परीक्षण किया और अगले कुछ दिनों में इस तरह के और परीक्षण किए जाने की योजना है।रसायनों का छिड़काव करने के लिए एक सेसना विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और मेरठ की हवाई पट्टी पर उतरने से पहले बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे क्षेत्रों में रसायनों का छिड़काव किया।
सिरसा ने एक वीडियो बयान में कहा, ‘‘सेसना विमान ने कानपुर से उड़ान भरी। इसने आठ चरणों में रसायनों का छिड़काव किया और परीक्षण आधे घंटे तक चला।’’ मंत्री ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-कानपुर का मानना है कि परीक्षण के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर बारिश हो सकती है। सिरसा ने बताया कि दूसरा परीक्षण आज दिन में बाहरी दिल्ली में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में नौ से दस परीक्षण करने की योजना है। मंत्री ने कहा, ‘‘प्रदूषण कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया यह एक बड़ा कदम है। अगर परीक्षण सफल रहे, तो हम एक दीर्घकालिक योजना तैयार करेंगे।’’
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा कराने के उद्देश्य से किया गया यह परीक्षण, सर्दियों के महीनों के दौरान बिगड़ती वायु गुणवत्ता में सुधार की दिल्ली सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि पिछले हफ्ते बुराड़ी के आसमान में भी विमान ने एक परीक्षण उड़ान भरी थी। परीक्षण के दौरान, विमान से कृत्रिम वर्षा कराने वाले ‘सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिकों’ की सीमित मात्रा का छिड़काव किया गया था। हालांकि, बारिश वाले बादलों का निर्माण करने के लिए हवा में कम से कम 50 प्रतिशत नमी होनी चाहिए लेकिन नमी 20 प्रतिशत से भी कम होने की वजह से बारिश नहीं हुई।
दिल्ली सरकार ने 25 सितंबर को आईआईटी कानपुर के साथ कृत्रिम बारिश के पांच परीक्षणों के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। ये सभी परीक्षण उत्तर-पश्चिम दिल्ली में आयोजित करने की योजना है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने इससे पहले आईआईटी कानपुर को एक अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच किसी भी समय परीक्षण करने की अनुमति दी थी।
परीक्षण के लिए डीजीसीए के अलावा 10 से अधिक केंद्रीय और राज्य विभागों से भी मंजूरी ली गई है, जिनमें केंद्रीय पर्यावरण, रक्षा और गृह मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो आदि शामिल हैं। दिल्ली मंत्रिमंडल ने सात मई को 3.21 करोड़ रुपये की कुल लागत से कृत्रिम बारिश के लिए पांच परीक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। हालांकि, प्रतिकूल मौसम और मानसून की स्थिति के कारण परीक्षण को कई बार स्थगित करना पड़ा।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia