कूनो नेशनल पार्क में और दो चीता शावकों की मौत, एक की हालत गंभीर, दो माह में 6 मौतों से प्रोजेक्ट पर उठे सवाल

पीएम मोदी ने 17 सितंबर 2022 को देश में दक्षिण अफ्रीकी देशों से चीतों को लाकर बसाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसके तहत कुल 20 चीते लाए गए थे। इनमें से अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है, वहीं इनसे जन्मे चार शावकों में से तीन की मौत हो गई है।

कूनो नेशनल पार्क में और दो चीता शावकों की मौत, एक की हालत गंभीर
कूनो नेशनल पार्क में और दो चीता शावकों की मौत, एक की हालत गंभीर
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नवजीवन डेस्क

भारत में चीतों की वंश वृद्धि के लिए चल रहे प्रोजेक्ट को गुरुवार को उस समय एक और बड़ा झटका लगा, जब मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में और दो चीता शावकों की मौत हो गई। अब तक कूनो पार्क में तीन चीतों और तीन शावकों को मिलाकर कुल छह चीतों की मौत हो चुकी है। अभी दो दिन पहले 23 मई को दो माह के एक शावक चीता की मौत हो गई थी। इन सभी चीतों को दक्षिण अफ्रीकी देशों से लाया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीतों के पहले दल को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। उसके बाद दूसरे दल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में छोड़ा गया था। जिसके बाद यहां चीतों की कुल संख्या 20 हो गई थी। इसी बीच ज्वाला नामक माता चीता ने चार शावकों को जन्म दिया था, जिससे संख्या बढ़कर 24 हो गई थी।

कूनो नेशनल पार्क में और दो चीता शावकों की मौत, एक की हालत गंभीर, दो माह में 6 मौतों से प्रोजेक्ट पर उठे सवाल

एक तरफ इस प्रोजेक्ट से जहां चीतों की वंश वृद्धि की उम्मीद जागी थी वहीं दूसरी ओर मौत का सिलसिला भी शुरू हो गया। प्रधान मुख्य वन संरक्षक की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी में बताया गया है कि 23 मई की सुबह ज्वाला के एक शावक की मौत हुई थी, उसके बाद उसके जीवित बचे तीन शावक और ज्वाला पर पालपुर में चिकित्सकों और निगरानी टीम द्वारा लगातार नजर रखी जा रही थी।

वन विभाग ने बताया कि इस बीच भीषण गर्मी और तापमान 40 से 46 डिग्री तक पहुंचने पर ज्वाला के तीनों शावकों की तबीयत बिगड़ गई। शावकों की असामान्य स्थिति को देखते हुए टीम ने तत्काल उन्हें रेस्क्यू कर इलाज देने का निर्णय लिया। लेकिन इलाज के दौरान इनमें से दो शावकों की गुरुवार के मौत हो गई, जबकि एक शावक गंभीर हालत में है जिसका पालपुर कुनो अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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वन विभाग की ओर से बताया गया है कि इन शावकों ने 8-10 दिन पहले ही अपनी मां के साथ घूमना फिरना शुरू किया था। ज्वाला के जिंदा बचे एक शावक की स्थिति अभी गंभीर है और उसका उपचार चल रहा है। दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया के चीता विशेषज्ञ और चिकित्सकों से लगातार सलाह ली जा रही है। वहीं यह शावक गहन उपचार में है और उसकी स्थिति स्थिर बनी हुई है।

चीता शावकों की मौत पर वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि जन्म से ही सभी शावकों की स्थिति कमजोर थी। ये सभी सामान्य से कम वजन के और अत्यधिक डिहाइड्रेटेड पाए गए थे। शावकों की मां ज्वाला हैंड रियार्ड चीता है जो पहली बार मां बनी है। इन चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ता है।

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हालांकि, शावक की मौत से पूरे वन अमले के दावों पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कूनो नेशनल पार्क में महज दो महीने में ही 3 नामीबियाई चीते और 3 शावक जान गंवा चुके हैं। 23 मई को दो माह के एक शावक चीता की मौत हो गई थी। उसके पहले इसी महीने 9 मई को मादा चीता दक्षा की मौत हो गई थी। उसके पहले मार्च और अप्रैल में उदय और साशा नाम के दो चीतों की किडनी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। अब तक तीन चीतों और तीन शावकों की मौत हो चुकी है।

बता दें कि 17 सितंबर 2022 को पीएम मोदी ने काफी शोर-शराबे के साथ देश में दक्षिण अफ्रीकी देशों से चीतों को लाकर बसाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया से 8 और साउथ अफ्रीका से 12 चीते लाए गए थे। इनमें से अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है, वहीं इनसे जन्मे चार शावकों में से तीन की मौत हो गई है। अब सिर्फ 17 चीते ही बचे हैं। इन शेष चीतों में से 6 जंगल में हैं और बाकी बाड़े में रखे गए हैं।

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