लॉकडाउन में अनोखी मिसाल, दिव्यांग दोस्त की मदद के लिए 780 किलोमीटर का सफर किया तय, अंत तक नहीं हारे हौसला

नागपुर का अनिरुद्ध और मुजफ्फरनगर का गय्यूर जोधपुर के एक क्वारंटाइन सेंटर में मिले। 14 दिन साथ में रहे और उसके बाद अनिरुद्ध ने दिव्यांग गय्यूर को 780 किमी दूरी तय कर उसके घर मुजफ्फरनगर पहुंचाया।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

कोरोना लॉकडाउन में दोस्ती की ऐसी मिसाल पेश हुई है जिसकी तारीफ हर तरफ हो रही है। नागपुर के अनिरुद्ध और मुजफ्फरनगर के गय्यूर जोधपुर के एक क्वारंटाइन सेंटर में मिले। 14 दिन साथ में रहे और उसके बाद अनिरुद्ध ने दिव्यांग गय्यूर को 780 किमी दूरी तय कर उसके घर मुजफ्फरनगर पहुंचाया। इतना ही नहीं इसमें आधा रास्ता अनिरुद्ध ने दिव्यांग गय्यूर की ट्राई साइकिल को धकेल कर पूरा किया। जिसकी प्रशंसा हर कोई कर रहा है।

दिव्यांग गय्यूर को उसके घर पहुंचाने के चलते अनिरुद्ध अपने घर नागपुर जा नही पाया। बता दें कि जोधपुर के क्वारंटाइन सेंटर से नागपुर की दूरी 1074 किमी है और मुजफ्फरनगर से नागपुर की दूरी 1159 किमी है। लेकिन अनिरुद्ध ने सिर्फ गय्यूर को उसके घर पहुंचाने के लिए अपने घर की दूरी को बड़ी कर ली। अब बारी गय्यूर की थी जिसने अनिरुद्ध को अपने घर बतौर मेहमान 14 दिन के लिए रोक लिया और अनिरुद्ध को नागपुर अपने खर्चे पर भेजने की जिम्मेदारी ली।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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इंसानियत के इस गठजोड़ की शुरुआत 21 दिन पहले हुई थी। जोधपुर में गय्यूर लकड़ी का बेहतरीन कारीगर है और फर्नीचर बनाता है। अनिरुद्ध भी जोधपुर में रहकर नौकरी करता है। 23 मई को इन्हें जोधपुर में ही एक स्थान पर एहतियातन क्वारंटाइन किया गया था। गय्यूर ने बताया कि उनका वहीं अनिरुद्ध से जान पहचान हुई। 14 दिन तक साथ रहने के बाद दोनों ने अपनी सुख दुख की बात एक दूसरे से साझा की।

गय्यूर ने बताया, “अब बारी घर निकले का था तो अनिरुद्ध को जाना था नागपुर। वो जोधपुर से 1074 किमी दूर है, जबकि मुझे मुजफ्फरनगर आना था। जोधपुर से भरतपुर तक बस से आया जा सकता था। बस भरतपुर से पहले 40 किमी मजदूरों को छोड़ कर आ रही थी। मैं दिव्यांग हूं। ट्राई साईकिल से चलता हूं। मैं बस में नहीं चढ़ सकता था। अनिरुद्ध यह सब समझ रहा था मगर मैं उससे यह नहीं कह सकता था क्योंकि उसे महाराष्ट्र के नागपुर जाना था। जो बिल्कुल ही अलग रास्ता है। मैं उससे कह नहीं सकता था। 8 मई को हमारा क्वारंटाइन पूरा हुआ। मैंने अनिरुद्ध से कहा जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे। अनिरुद्ध ने कहा मैं आपके साथ चल रहा हूं, पहले आपको घर छोड़ दूंगा फिर मैं वहां से चला जाऊंगा। आप अकेले नहीं जा पाओगे।”

गय्यूर आगे बताते हैं कि वो अनिरूद्ध को देखते रह गए और कुछ नही कह पाएं। जोधपुर से भरतपुर तक बस मिल गई। इस बस ने हमें 40 किमी पहले उतार दिया। अब सबसे बड़ी समस्या बेरिकेडिंग पार करने की थी। राजस्थान से बाहर आना मुश्किल था। मेरे पास ट्राई साईकिल थी। वो हाइवे पर बहुत तेज चलती थी और नियंत्रित नहीं होती थी। लेकिव अनिरुद्ध उसे पकड़ कर चलता था।”


गय्यूर ने आगे बताया, “भरतपुर बॉर्डर पर पुलिस ने हमें वापस भेज दिया। मगर अब हम वापस नहीं जा सकते थे। हमनें तय किया कि गांव की गलियां और जंगल का रास्ता बॉर्डर पार करने के लिए चुनना होगा। राजस्थान के लोग काफी मददगार होते हैं। उन्होंने सही रास्ता चुनने में मदद की। मगर इन कच्चे पक्के रास्ते पर ट्राई साइकिल नहीं चल सकती थी। इसके लिए अनिरुद्ध को मेरी ट्राई साइकिल को धकेलना पड़ा।”

उन्होंने आगे बताया, “पूरे पांच दिन-रात हम चलते रहे। थक जाते थे तो कहीं भी पेड़ की नीचे जगह देखकर आराम कर लेते थे। मंगलवार को हम मुजफ्फरनगर पहुंच गए।” गय्यूर का घर मुजफ्फरनगर के किदवई नगर में है। अनिरुद्ध भी यहीं है। अगले 14 दिन तक उसको भी स्थानीय प्रशासन ने होम क्वारंटाइन कर दिया है।

अनिरुद्ध ने कहा, “नागपुर में उसका परिवार है। मां-बाप परेशान है। वो जोधपुर में काम करता था। नागपुर के ही कुछ परिचितों के जरिए वो यहां आया था वो निकल गए और मुझे छोड़ गए। मेरी गय्यूर से मुलाकात क्वारंटाइन सेंटर जोधपुर में हुई।”


उन्होंने आगे कहा, “गय्यूर ने बताया था कि इनकी बीवी भी दिव्यांग है। इनकी हिम्मत टूट चुकी थी। एक दिव्यांग इतना मुश्किल सफर नहीं कर सकता था। मुझे भी अपने घर जाना था। मुझे समझ नहीं आ रहा था मुझे क्या करना चाहिए। मेरी अंतरात्मा ने कहा कि मुझे इनकी मदद करनी चाहिए। तब मैंने निर्णय लिया कि पहले इनको इनके घर पहुंचाउंगा फिर उसके बाद मैं चला जाऊंगा। मुझे यहां आकर बहुत प्यार और इज्जत मिली।”

यहां की पार्षद सरिता उर्फ़ सादिया ने इस परिवार को राशन भिजवाने की बात कही है। उनके पति मोहम्मद उमर के मुताबिक, “यह निहायत ही सुखद और प्रेरक बात है। मजबूर और मजदूर की एक ही जाति और धर्म होता है और वो है ‘भूख’। गय्यूर और अनिरुद्ध दोनों कमाने के लिए घर से इतनी दूर गए थे। अब वो वापस लौट आए हैं। अनिरुद्ध को उसके घर नागपुर भिजवाने की जिम्मेदारी हमारी है। यह हालत बेहद ही तकलीफदेह है।”

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Published: 14 May 2020, 4:58 PM