उन्नाव रेप केस: कुलदीप सेंगर को जमानत के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन, 'फांसी दो' के लगे नारे

कुलदीप सेंगर को मिली जमानत के खिलाफ बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर जनवादी महिला समिति के बैनर तले महिलाओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उन्नाव रेप केस में सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत का मामला अब केवल कानूनी दायरे तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तूल पकड़ता नजर आ रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है और इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती भी दी जा चुकी है। इसी बीच, जमानत के विरोध में जनता का आक्रोश खुलकर सामने आने लगा है।

दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर महिलाओं का जोरदार प्रदर्शन

शुक्रवार को कुलदीप सेंगर को मिली जमानत के खिलाफ बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर आईं। दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर जनवादी महिला समिति के बैनर तले महिलाओं ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने “वी वांट जस्टिस” और “फांसी दो” जैसे नारे लगाए और कुलदीप सेंगर को फांसी देने की मांग की।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उन्नाव गैंगरेप जैसे गंभीर अपराध में दोषी ठहराए जा चुके व्यक्ति को जमानत दिया जाना न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है और इससे पीड़ितों का भरोसा कमजोर होता है।


पीड़िता भी पहुंची, लेकिन सुरक्षा कारणों से बस में रहीं

इस विरोध प्रदर्शन में उन्नाव रेप पीड़िता भी दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची थी। हालांकि, वह प्रदर्शन के दौरान बस से बाहर नहीं आईं। बताया गया कि सुरक्षा कारणों को देखते हुए उन्हें प्रोटेस्ट में सीधे शामिल नहीं किया गया। इसके बावजूद, पीड़िता की मौजूदगी ने इस विरोध को और मजबूत संदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, बढ़ी कानूनी लड़ाई

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उन्नाव गैंगरेप मामले में सजायाफ्ता कुलदीप सेंगर की सजा को सस्पेंड करते हुए जमानत दिए जाने के बाद पीड़िता ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया। यह याचिका दाखिल भी की जा चुकी है। अब सबकी नजरें शीर्ष अदालत पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रहेगा या नहीं।


क्यों बढ़ रहा है जनआक्रोश?

प्रदर्शन कर रही महिलाओं और सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस फैसले से गलत संदेश गया है। उनका मानना है कि इतने गंभीर अपराध में दोषी व्यक्ति को राहत मिलने से पीड़ितों की सुरक्षा और न्याय दोनों पर सवाल खड़े होते हैं। यही वजह है कि यह मामला अब एक बार फिर राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है।

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