यूपी चुनाव: वाराणसी में किसान मोर्चा का अभियान- किसान विरोधी बीजेपी को सजा दें, घर-घर जाकर बांट रहे पर्चे

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में संयुक्त किसान मोर्चा और अधिकार कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त अभियान शुरु किया है। मोर्चा ने घर-घर जाकर लोगों से अपील की है कि, "किसान विरोधी बीजेपी को इस चुनाव में सजा दें"

फोटो : समाजवादी जन परिषद
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश चुनाव की हवा पूर्वांचल पहुंच चुकी है, और इस दौरान विपक्षी दलों के साथ ही सिविल सोसायटी के सदस्यों ने भी बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतर कर यूपी से योगी सरकार की वापसी का अभियान शुरु कर दिया है। खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में यह अभियान घर-घर जाकर चलाया जा रहा है।

सिविल सोसायटी के सदस्य, मानवाधिकार कार्यकर्ता और संयुक्त किसान मोर्चा ने बीते कई दिनों से वाराणसी में अपने अभियान को तेज किया है। यह लोग पर्चे बांट कर और आसपास के गांवों में जाकर बीजेपी के खिलाफ मतदान के लिए लोगों से अपील कर रहे हैं।

हिंदी में लिखे पर्चों में किसानों की तकलीफों को सामने रखा गया है कि किस तरह मोदी सरकार ने साल भर तक किसानों को परेशान किया और आखिरकार सरकार को अन्नदाता के सामने झुकते हुए तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े।

यूपी चुनाव: वाराणसी में किसान मोर्चा का अभियान- किसान विरोधी बीजेपी को सजा दें, घर-घर जाकर बांट रहे पर्चे
यूपी चुनाव: वाराणसी में किसान मोर्चा का अभियान- किसान विरोधी बीजेपी को सजा दें, घर-घर जाकर बांट रहे पर्चे
यूपी चुनाव: वाराणसी में किसान मोर्चा का अभियान- किसान विरोधी बीजेपी को सजा दें, घर-घर जाकर बांट रहे पर्चे
यूपी चुनाव: वाराणसी में किसान मोर्चा का अभियान- किसान विरोधी बीजेपी को सजा दें, घर-घर जाकर बांट रहे पर्चे

पर्चों में लिखा गया है कि, “किसानों के करीब एक साल चले आंदोलन के दौरान कम से कम 700 किसानों की जान गई। बीजेपी को सच और झूठ का अंदाजा नहीं है, और अच्छे बुरे में फर्क नहीं पता है। यह पार्टी सिर्फ वोट की भाषआ जानती है। इसलिए किसानों का अपमान करने वाली बीजेपी को सबक सिखाना जरूरी है।” पर्चों में अपील की गई है कि वोट देते समय उन 740 किसानों के चेहरे याद रखना जो आंदोलन में शहीद हो गए।

नेशनल हेरल्ड से बातचीत में समाजवादी जन परिषद, के महासचिव अफलातून ने कहा कि बीजेपी सरकार ने छोटे और मझोले उद्योग-धंधों की कमर तोड़ दी और आम लोगों को धर्म के नाम पर एक दूसरे से लड़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि परिषद लोगों से बीजेपी को वोट न देने की अपील कर रही है और लोगों में इसे लेकर अच्छी प्रतिक्रिया भी मिल रही है।

इस दौरान वाराणसी के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर रखने वाले पर्यवेक्षकों का कहना है कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की सिविल सोसायटी के इस अभियान पर पैनी नजर है और उन्हें यह भी आशंका है कि इसका गहरा प्रभाव मतदान पर पड़ सकता है। एक पर्यवेक्षक न कहा कि, “कुछ कार्यकर्ता अब वाराणसी से वापस चले गए हैं क्योंकि उन्हें आशंका थी उन्हें एहतियाती हिरासत में लिया जा सकता है।”


वाराणसी के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि बीजेपी विरोधी अभियान के जवाब में बीजेपी ने हाईपर लोकर प्रचार शुरु किया है और लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। उसने बताया कि बीजेपी ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर मोदी के छोटे-छोटे वीडियो प्रसारित करना शुरु किए हैं, जिससे कि लोगों को रिझाया जा सके।

एक अनुमान के मुताबिक कम से कम 200 ब्रॉडकास्ट बनाकर उन्हे व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम और फेसबुक के जरिए लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।

वाराणसी के एक पत्रकार ने बताया कि ऐसे समूहों में कम से कम 35 हजार लोग हैं जो इस किस्म के संदेश भेज रहे हैं।

पूर्वांचल की कुल 118 सीटों पर दो चरणों में 3 और 7 मार्चको मतदान है। वाराणसी में आखिरी चरण में 7 मार्च को मतदान होना है।

ध्यान रहे कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वाराणसी ने शहर की 6 सीटें जीती थीं जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (एस) और एसबीएसपी ने एक-एक सीट जीती थी। इस बार एसबीएसपी का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन है।

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