पराली की आंच में पंचायत चुनावों की खिचड़ी पका रही योगी सरकार, विरोधियों को निपटाने के लिए दर्ज किए जा रहे मुकदमे

उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पराली जलाने के नाम पर उन किसानों और प्रधानों की पहचान कर मुकदमे दर्ज कर रही है जो आने वाले पंचायत चुनाव में उसके विरोधी हो सकते हैं। हर जिले में बाकायदा ऐसे किसानों को चिंहित कर जु्र्माना वसूलने का टारगेट भी तय किया गया है।

प्रतीकात्मक फोटो
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के संतोष

पिछले दिनों यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही लखनऊ में पत्रकारों से मुखातिब हुए तो उम्मीद थी कि वे किसानों को राहत देने वाली कोई घोषणा करेंगे। प्रेस वार्ता में मंत्री ने किसानों के खिलाफ हुई कार्रवाई पर अपनी पीठ थपथपाते हुए बताया कि ‘पराली जलाने पर सूबे में 500 से ज्यादा मुकदमे दर्ज किये गए हैं। 60 से अधिक किसानों की गिरफ्तारी हुई है।’ हालांकि कृषि मंत्री ने ये बातें नहीं बताई कि 200 से अधिक प्रधानों को नोटिस के साथ 100 से अधिक सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है। दरअसल, पराली की आंच में योगी सरकार चुनावी एजेंडा चला रही है। पंचायती चुनाव की जमीन तैयार करने के लिए पराली को सियासी हथियार बनाया जा रहा है। विरोध करने वाले किसानों से लेकर प्रधानों पर कार्रवाई हो रही है।

जिलाधिकारियों ने तय कर दिया है टारगेट

खेतों में पराली जलाने पर यूपी सरकार ने तीन साल पहले ही किसानों पर मुकदमे के साथ प्रति एकड़ 2500 रुपये की दर से जुर्माना करने का आदेश जारी किया था। लेकिन इस आदेश पर अमल में सक्रियता अब दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पराली के मुद्दे पर टिप्पणी के बाद सरकार को कार्रवाई की कानूनी वैद्यता भी मिल गई। जिले के पुलिस कप्तानों और जिलाधिकारियों ने अघोषित रुप से मुकदमा कायम करने और जुर्माने को लेकर थानेदारों और लेखपालों को टॉरगेट दे दिया है। खुद मुख्यमंत्री के गढ़ में किसानों पर दर्ज मुकदमे और जुर्माने इसकी तस्दीक कर रहे हैं।


विरोध हुआ हुआ तो सामने रखी आईसीएआर की रिपोर्ट

आंकड़ों को देखें तो गोरखपुर मंडल में सर्वाधिक 91 मामले कृषि मंत्री के गृह जनपद देवरिया में दर्ज किये गए हैं। देवरिया और कुशीनगर में पराली जलाने के 91-91 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में 30 नवम्बर तक 84 मामले दर्ज हुए हैं। गोरखपुर मंडल में किसानों पर 20 लाख से अधिक का जुर्माना भी लगाया गया है। पूरे प्रदेश में 10 हजार से अधिक किसानों को नोटिस भी जारी किया गया है। अब सरकार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की रिपोर्ट के हवाले से खुद की पीठ थपथपा रही है। रिपोर्ट कहती है कि उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में पिछले वर्ष की तुलना में 46.9 प्रतिशत की कमी आई है। सरकार ने इस रिपोर्ट को उस वक्त जोर-शोर से सामने रखा जब कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने प्रदूषण बढ़ने को लेकर किसानों को जिम्मेदार बताए जाने पर सरकार को घेरा और समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने भी सरकार पर हमला बोला।

सैटेलाइट से पराली जलाने वालों की पहचान, लेकिन फंस रहे बेकसूर

प्रशासन सैटेलाइट से उन खेतों को चिन्हित कर रहा है जहां पराली जलाई जा रही है। लेकिन, इसकी जद में ऐसे किसान भी आ रहे हैं, जिनके खेत में पराली जली ही नहीं। महाराजगंज जिले के फरेंदी तिवारी गांव के किसान अखिलेश तिवारी बताते हैं कि 15 दिन पहले थानेदार ने फोन पर धमकी देते हुए कहा कि आपके खेत में पराली जलाई गई है। जुर्माना नहीं भरेंगे तो मुकदमा दर्ज होगा। उनका कहना है कि उनके खेत में तो पराली से भूसा बनाया जा चुका था। इसी तरह कन्नौज में एक ही गांव के पांच किसानों पर मुकदमा दर्ज हुआ, तो औरैया जिले में 156 किसानों को नोटिस जारी किया गया। औरैया में तीन किसानों की गिरफ्तारी कर 3.90 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया। वहीं समाजवादी पार्टी के क गढ़ इटावा में 224 किसानों पर जुर्माना लगाकर 5.67 लाख रुपये वसूले गए। जालौन में 27 किसानों पर मुकदमा दर्ज किया है। बरेली में तो डीएम नीतीश कुमार और एसएसपी शैलेश पांडेय को नोटिस भेजकर धीमी कार्रवाई पर जवाब मांगा गया है।

गोरखपुर के पिपराइच क्षेत्र के सुग्रीव और सोहावती के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। वहीं शिवशंकर, राममूरत, नौशाद, बदरी भी कार्रवाई की जद में आये। सोहावती कहती हैं कि 'बेटी की शादी है। मुकदमा लड़ें या फिर शादी का कामकाज देंखे।' रायबरेली के सवैया गांव के किसान इरशाद खान को पराली जलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट ने फिलहाल उन्हें जमानत दे दी है। इरशाद का कहना है कि 'पंचायत चुनाव सिर पर है। ऐसे में गांव में बीजेपी का समर्थन नहीं करने वालों के खिलाफ जबरदस्ती कार्रवाई की जा रही है।'

उधर गाजीपुर पुलिस ने भी बीते रविवार को पराली जलाने के आरोप में पकड़ी गांव के 16 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। गांव के किसान मनीष राय का कहना है कि, “जितने कीमत की धान खेत में नहीं हुई, उससे अधिक की रकम मुकदमा और जुर्माने में खर्च हो गई। सरकार किसानों को एक हाथ से सालाना छह हजार दे रही है, और दूसरे हाथ से वसूल ले रही है।“


सरकारी कर्मचारियों पर भी कार्रवाई

सरकार के उत्पीड़न की जद में सिर्फ किसान ही नहीं सरकारी कर्मचारी भी आ रहे हैं। अभी तक गोरखपुर में 5, देवरिया में 16 और कुशीनगर में 39 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। चंदौली जिले के बरहनी ब्लाक में कार्यरत एक प्राविधिक सहायक को निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा सभी प्राविधिक सहायकों को प्रतिकूल प्रविष्टी भी दी जा रही है। हरदोई में प्राविधिक सहायक के साथ चार लेखपाल, मथुरा में दो और बुलंदशहर में एक लेखपाल को निलंबित किया गया है। पीलीभीत में दरोगा को लाइन हाजिर किया गया है। बैंकों से लोन लेकर रोजगार करने वाले किसानों की कंबाइन और हार्वेस्टर को भी जब्त किया गया है। अभी तक प्रदेश में 200 से अधिक कंबाइन और हार्वेस्टर जब्त किए जा चुके हैं।

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