यूपी राज्यसभा चुनाव: दावतों और चाय पर चर्चा के बीच बीजेपी के साथ नितिन तो एसपी को मिले राजा भैया
राज्यसभा चुनाव में अगर बीएसपी का उम्मीदवार जीतता है तो आने वाला समय बीजेपी के लिए मुश्किल भरा होगा और अगर बीजेपी 9 सीटें जीतती है तो बीजेपी के खिलाफ तैयार हो रहे विपक्षी मोर्चे की मजबूती को झटका लगेगा
![फोटो : सोशल मीडिया](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2018-03%2Fef8e8c9c-3b80-4d69-8d7c-3d6f6edd0ca0%2F8abff3fc-f849-4e6c-8456-9bdc36466635.jpg?rect=29%2C0%2C640%2C360&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
लोकसभा उपचुनावों में बुआ-बबुआ गठबंधन के हाथों करारी शिकस्त झेल चुकी बीजेपी अब राज्यसभा चुनावों के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। वहीं, अखिलेश यादव अपनी बुआ यानी मायावती को फूलपुर-गोरखपुर में जीत के रिटर्न गिफ्ट के तौर पर राज्यसभा सीट देने का गणित बैठा रहे हैं।
लेकिन मामला बीजेपी के लिए थोड़ा टेढ़ा दिख रहा है, क्योंकि राज्यसभा चुनावों में एसपी-बीएसपी के साथ अब कांग्रेस और आरएलडी भी खड़ी दिख रही है। मामला चूंकि विधायकों के वोट का है, ऐसे में ध्यान माहौल बनाने के बजाय जोड़-घटाने पर ज्यादा रहता है। देश की कुल 58 राज्यसभा सीटों के लिए 23 मार्च शुक्रवार को चुनाव होना है। इनमें से दस सीटें उत्तर प्रदेश से हैं।
विधानसभा की मौजूदा स्थिति के हिसाब से बीजेपी के पास 8 सीटें जीतने के लिए तो वोट हैं, लेकिन उसने नौंवा उम्मीदवार उतारकर पूरे अंकगणित को दिलचस्प बना दिया है। बीजेपी के नौवें उम्मीदवार अनिल अग्रवाल के लिए संख्या के हिसाब से 9 वोट कम हैं। वहीं वोटों के आधार पर समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार यानी जया बच्चन को तो आसानी से जिता सकती है, लेकिन बीएसपी के भीमराव अंबेडकर को सारे वोट मिलने के बाद भी एक वोट की कमी नजर आ रही है। ऐसे में अब सबकी निगाहें आजाद विधायकों के वोट पर हैं।
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उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की कुल 10 सीटों के लिए फिलहाल 11 उम्मीदवार मैदान में हैं। विधानसभा की क्षमता के मुताबिक एक सीट के लिए 37 विधायकों के वोट चाहिये। बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के मिलाकर कुल 324 विधायक हैं। ऐसे में उसकी 8 सीटें जीतना तो निश्चित है, लेकिन नौंवी सीट के लिए उसे कम से कम 9 वोट और चाहिए। वहीं एसपी-बीएसपी और कांग्रेस-आरएलडी को मिलाकर कुल 74 वोट हैं। इस तरह देखें तो एसपी और बीएसपी दोनों सीटें जीत सकती हैं। लेकिन बीजेपी ने कुछ दिनों पहले नरेश अग्रवाल को पार्टी में शामिल करके जो दांव खेला है, उससे बीजेपी के खिलाफ तैयार हो रहे एसपी-बीएसपी या फिर कहें कि विपक्षी गठबंधन की एक सीट फंसी हुई लगती है। इस एक सीट पर बीएसपी के भीमराव अंबेडकर मैदान में हैं।
नरेश अग्रवाल के बीजेपी में जाने के बाद उनके विधायक पुत्र जो समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीते थे, बीजेपी की बैठक में नजर आए। इस तरह उनका वोट अगर बीजेपी को गया तो बीएसपी के पास एक वोट कम हो जाएगा।
यहां एंट्री होती है उत्तर प्रदेश के चार निर्दलीय विधायकों की। ये हैं विजय मिश्रा ज्ञानपुर, जो निषाद पार्टी से अकेले विधायक हैं। यह पहले एसपी से तीन बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन टिकट को लेकर एसपी से तल्खी हो गयी थी और निर्दलीय जीत गए। उन पर कई आपराधिक मुकदमे हैं। बीएसपी शासन में भी उन पर नजर रखी गई थी, ऐसे में इस बात की संभावना कम दिखती है कि वे एसपी-बीएसपी गठबंधन को वोट देंगे। यूं भी वह बीजेपी को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं।
दूसरे आते हैं कुंडा से बाहुबलि विधायक राजा भैया। राजा भैया एसपी-बीएसपी को शायद वोट दे देंगे क्योंकि बुधवार शाम लखनऊ में हुई समाजवादी पार्टी के डिनर में वे अखिलेश यादव और जया बच्चन के साथ बैठे नजर आए हैं। राजा भैया के पास दो वोट हैं। एक खुद का दूसरा विमल कुमार का, जिनके बारे में कहा जाता है कि वो राजा भैया की बदौलत ही जीतते हैं। लिहाजा वोट भी उन्हीं के इशारे पर देंगे। वैसे मायावती ने तो 2002 में राजाभैया के पिता सहित उनके कई रिश्तेदारों पर अपराधिक मामले दर्ज करा दिये थे।
एक और विधायक हैं अमनमणि त्रिपाठी, जो नौतनवां से विधायक हैं और अमरमणि के बेटे हैं। अमरमणि कवियत्री मधुरिमा हत्याकांड में जेल में बंद हैं और अमनमणि खुद भी पत्नी की हत्या के आरोपी है। इनका रुझान भी बीजेपी की तरफ दिख रहा है।
ऐसे में नरेश अग्रवाल को साथ मिलाकर बीजेपी ने उनके बेटे नितिन अग्रवाल का वोट हासिल करने के लिए जो चौका मारा था, उसके जवाब में अखिलेश ने राजा भैया को साथ मिलाकर छक्का ठोक दिया है।
लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं होता। समाजवादी पार्टी ने अपने सभी विधायकों को राज्यसभा चुनाव होने तक लखनऊ में ही रहने को कहा था। विधायकों को एकजुट करने के लिए लगातार कार्यक्रम और दावतों का दौर भी जारी है। बुधवार को भी एक बैठक बुलाई गई, लेकिन खबर है कि इस बैठक में 7 विधायक नदारद थे। इसके बाद से समाजवादी पार्टी खेमे में कुछ तेज हलचल शुरु हुई है।
अखिलेश डिनर दे रहे हैं तो योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को ही सबको चाय पर बुलाया और सबसे मुलाकात की। चाय की इस दावत में एसपी के नितिन अग्रवाल भी पहुंचे। बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि राज्यसभा के लिए वोट कैसे दिये जायेंगे, इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है, क्योंकि बीजेपी से करीब 200 विधायक नए हैं।
इस बीच खबर है कि बीएसपी 22 मार्च यानी आज गुरुवार को अपने विधायकों की बैठक करेगी। दौरान पूरे दिन बीएसपी के विधायक मायावती के साथ रहेंगे। उन्हें भी बताया जाएगा कि वोट कैसे दिए जाएंगे? वोट किसे दिखाने हैं और किसे नहीं, ये भी बताया जाएगा। दरअसल बीसएपी को सेंध की आशंका है, इसलिए एक-एक विधायक से मायावती खुद बात करने वाली हैं।
कुल मिलाकर बिसात बिछा दी गई हैं, मोहरे तैयार हैं, बस निगाह रखनी है कि सही समय पर सही चाल चली जाए, क्योंकि अगर बीएसपी का उम्मीदवार जीतता है तो आने वाले समय में बीजेपी के लिए मुश्किल वक्त होगा और अगर बीजेपी 9वीं सीट जीतती है तो बीजेपी के खिलाफ तैयार हो रहे विपक्षी मोर्चे की मजबूती को झटका लगेगा।
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