गौमाता के नाम पर सियासत चमकाने वाली योगी सरकार में गायों की हालत बदतर, 2 घंटे में 2 दर्जन गोवंशों ने तोड़ा दम

बदायूं के सरकारी गोशाला में 73 गोवंश रह रहे थे। बताया जा रहा है कि रविवार शाम को गायों को चारा डाला गया था। शाम करीब 7 बजे के आसपास गोवंशों की तबीयत बिगड़ने लगी। देखते ही देखते 22 गोवंशों ने गोशाला में दम तोड़ दिया।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश में गाय के नाम पर सियासत चमकाने वाली योगी सरकार के राज में गायों के मरने का सिलसिला जारी है। ताजा मामला बदायूं में सामने आया है। यहां के सरकारी गौशाला में चारा खाने के महज दो घंटे के भीतर 22 गोवंशों ने दम तोड़ दिया। इनमें 11 गायें, तीन बछिया और 4 सांड शामिल हैं। सरकारी गोशाल में गायों के मरने और बीमार पड़ने की खबर के बाद हड़कंप मच गया। सूचना मिलने के बाद डीएम और एसएसपी समेत कई बड़े अधिकारी पशु चिकित्सकों के साथ गोशाला पहुंचे और बीमार गायों का इलाज करना शुरू किया।

कछला नगर पंचायत की ओर से बनाए गए निराश्रित गोवंशों के लिए सरकारी गोशाला में 73 गोवंश रह रहे थे। बताया जा रहा है कि रविवार शाम को गायों को चारा डाला गया था। शाम करीब 7 बजे के आसपास गोवंशों की तबीयत बिगड़ने लगी। देखते ही देखते 22 गोवंशों ने गोशाला में दम तोड़ दिया। डॉक्टरों के मुताबिक, गायों ने बाजरे का ज्यादा हरा चारा खाया था। डॉक्टरों का कहना है कि बाजरे का ज्यादा हरा चारा खाने से गायों के शरीर मे नाइट्रोजन की मात्रा ज्यादा हो गई, जिससे गायों की मौत हो गई। फिलहाल गायों का इलाज जारी है। वहीं पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी हुई है।

जिला अधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि आईवीआरआई बरेली के डॉक्टरों की टीम बीमार गायों का इलाज कर रही है। उन्होंने बताया कि 51 गोवंशों को बचा लिया गया है। 22 गोवंशों की मौत हुई है।


उत्तर प्रदेश में गायों की मौत का यह पहला मामला नहीं है। प्रशासन की लापरवाही और सरकार की बेरुखी से अब तक कई गायों की मौत हो चुकी है। इससे पहले 12 जुलाई, 2019 को प्रयागराज जिले की एक गोशाला में 35 गायों की मौत हो गई थी। स्थानीय लोगों का कहना था कि 52 बीघे तालाब में बनी इस स्थानीय गोशाला में पिछले दो-तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से तालाब पानी से भर गया। ग्रामीणों का कहना था कि भूख और कीचड़ में फंस कर इन गायों की मौत हो गई।

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