उत्तर प्रदेशः योगी के ‘घर’ के थप्पड़मार और गालीबाज़ विधायक, सत्ता के हनक में सारी मर्यादाएं ताक पर

योगी के ‘घर’ के विधायकों के गुस्से के पीछे उपेक्षा और बेशुमार उम्मीदें भी हैं। पांच बार के विधायक डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल मंत्री पद के दावेदारों में थे, पर मुख्यमंत्री पर ही पर कतरने के आरोप हैं। विधायक विपिन सिंह और महेन्द्र पाल सिंह को भी मन मुताबिक कुछ नहीं मिला।

फोटोः पूर्णिमा श्रीवास्तव
फोटोः पूर्णिमा श्रीवास्तव

इसे सत्ता के रसूख में लोकतांत्रिक मर्यादाओं का डिरेल होना कहें या फिर ‘बेकाम‘ का होने के चलते संतुलन खोना। मुख्यमंत्री के 'घर' के बीजेपी विधायकों की जो कारगुजारियां उजागर हो रही हैं, उससे साफ है कि ये माननीय 'बेकाम' के तो हैं ही बेलगाम भी हैं। योगी के माननीयों पर गाली देने, थप्पड़ मारने से लेकर छेड़खानी तक के आरोप हैं। विधायकों की एक के बाद एक कारगुजारियां उजागर हो रहीं हैं, इसके बाद भी न तो पार्टी कोई कार्रवाई करने की स्थिति में है, न ही पुलिस।

गोरखपुर शहर विधानसभा से पांचवीं बार जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचने वाले डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही अपनी कारगुजारियों के चलते विवादों में हैं। योगी के मुख्यमंत्री बनने के चंद दिनों बाद ही डॉ.राधा मोहन का आईपीएस चारु निगम से बदसलूकी का वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें विधायक की बदसलूकी से आहत आईपीएस फफकते हुए दिखी थीं। विधायक का तो कुछ नहीं बिगड़ा, अलबत्ता आईपीएस ने खुद का दूसरे जिले में तबादला करा लिया।

अब ताजा विवाद जल निगम के छह इंजीनियरों के सामूहिक अवकाश पर जाने से खड़ा हुआ है। 30 दिसंबर से 8 जनवरी तक छह इंजीनियरों ने विधायक पर गाली देने और बदसलूकी करने का आरोप लगाते हुए सामुहिक अवकाश ले लिया था। प्रमुख सचिव से लेकर कमिश्नर को लिखे पत्र में इंजीनियरों ने आरोप लगाया कि ‘विधायक बात-बात में गाली देते हैं, तीन साल के मासूम बच्चों को सीवर लाइन के गड्ढे में दबा देने की धमकी भी देते हैं।’

विरोध की अगुवाई करने वाले इंजीनियर रतनसेन सिंह कहते हैं कि “काम घटिया है या भ्रष्टाचार की शिकायत है तो हमारे खिलाफ कार्रवाई कीजिये। बहुत हो तो हमें बर्खास्त कर दें। लेकिन बात-बात में गाली बर्दाश्त कैसे करें? विधायक मासूम बेटे-बेटियों को सीवर लाइन के गड्ढे में डालने की धमकी देते हैं। इसे कैसे बर्दाश्त करें?” उधर, विधायक डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल अपनी सफाई में कहते हैं कि “इंजीनियर भ्रष्टाचार करें, घटिया निर्माण करें, नाागरिकों की जिंदगी नरक बना दें। ऐसा कैसे और कब तक बर्दाश्त करूं? रही बात गाली देने के आरोप की, इसकी हकीकत जनता जानती है।”


योगी के एक और करीबी विधायक विपिन सिंह भी पिछले एक पखवाड़े से अपनी कारगुजारियों से विवादों में हैं। विधायक विपिन सिंह द्वारा अवैध तरीके से पाले हुए हाथी ने महावत शब्बीर को बीते दिनों पटक-पटक कर मार डाला। मौके पर पहुंचे विधायक ने महावत के परिजनों को सांत्वना देने की बजाए हाथी को ही पुचकारा। विधायक हाथी के पास जाकर बोले, “का हो गंगा प्रसाद, ई का भइल ह। अब शांति बनाव।”

इतना ही नहीं जब वन विभाग ने कार्रवाई की बात कही तो एक बार फिर विधायक की दबंगई सामने दिखी। वन विभाग ने अवैध तरीके से हाथी पालने का मुकदमा दर्ज करने के बाद हाथी को अपने कब्जे में ले लिया था। हाथी को लखीमपुर खीरी के दुधवा नेशनल पार्क या फिर मथुरा के वाइल्ड लाइफ एसओएस हाथी सरंक्षण केंद्र भेजने की वन विभाग की योजना को विधायक ने ठेंगा दिखा दिया। विधायक ने अपनी दबंगई से हाथी को वन विभाग के कब्जे से छुड़ा लिया। बेबस डीएफओ अविनाश कुमार कहते हैं कि विधायक नोटिस नहीं रिसीव कर रहे हैं। अब रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी जाएगी। वन विभाग की धाराओं में कार्रवाई करेंगे।

हाथी प्रकरण अभी चल ही रहा था कि विधायक विपिन सिंह का पड़ोसी के ड्राइवर को थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल हो गया। ड्राइवर का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने अपने मालिक के घर के सामने बाइक खड़ी कर दी थी। प्रकरण में रिटायर्ड कस्टम सुपरिटेंडेंट एनडी सिंह ने कैंट पुलिस से शिकायत भी की, लेकिन इंस्पेक्टर ने आवेदन लेने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उन्हें ऑनलाइन शिकायत करनी पड़ी। कैंट इंस्पेक्टर रवि राय रस्मी जवाब देते हुए कहते हैं, “जांच की जा रही है।”

वहीं विधायक के खिलाफ एक युवती ने छेड़खानी और जमीन कब्जा करने की शिकायत भी की है। सुनवाई नहीं होता देख युवती ने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा भी खटखटाया है। संतकबीरनगर से बीजेपी सांसद प्रवीण निषाद पर भी बीते सितंबर महीने में महिला ने ‘गलत काम’ करने का आरोप लगाया था। जांच सीओ गोरखनाथ को मिली। अभी तक चुप्पी पर पुलिस की दलील है कि महिला बयान नहीं दर्ज करा रही है।


महोत्सव में भी विधायक की बदतमीजी

11 से 14 जनवरी तक हुए गोरखपुर महोत्सव में विकास को लेकर गोरखपुर जिले के विधायक और अफसर एक मंच पर मंथन कर रहे थे। इसी दौरान पिपराइच से बीजेपी विधायक महेन्द्र पाल सिंह और बीआरडी मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. गणेश प्रसाद एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए भिड़ गए। विधायक ने इलाज में लापरवाही और मेडिकल कॉलेज के भवन पर पेड़ उगने की बात उठाई तो प्राचार्य ने एक शेर पढ़कर विधायक को खुद के गिरेबां में झांकने की नसीहत दे डाली। प्राचार्य ने शेर पढ़ा, “नजर को बदलिए नजारे बदल जाएंगे, सोच को बदलिए सितारे बदल जाएंगे, जरूरत नहीं है कश्ती को बदलने की, धारा को बदलिए किनारे बदल जाएंगे।” लेकिन मामला यहीं नहीं थमा, प्राचार्य ने दोबारा अपनी बाद कहने की कोशिश की तो विधायक ग्रामीण विपीन सिंह ने आंखें और उंगली दिखाकर प्राचार्य को खामोश कर दिया।

इसके पहले हिन्दू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष रहे और सिद्धार्थनगर जिले की डुमरियागंज सीट से विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह के भाई जगदंबा सिंह का एक शराब कारोबारी को धमकाने का ऑडियो वायरल हुआ था। जिसमें विधायक का भाई कह रहा था कि “मेरे भाई का कद डिप्टी सीएम के बराबर है। शराब का लाइसेंस कैंसिल करा लो।” वरिष्ठ कांग्रेस नेता तलत अजीज कहती हैं कि बीजेपी के विधायक सत्ता के हनक में सारी मर्यादाएं भूल गए हैं। विधायक कानून की ऐसी तैसी कर रहे हैं, और मुख्यमंत्री कानून का राज होने का ढोल पीट रहे हैं।

तो गुस्सा निकाल रहे हैं विधायक

कहा जा रहा है कि योगी के 'घर' के विधायकों के गुस्से के पीछे उपेक्षा और बेशुमार उम्मीदें भी हैं। पांच बार के विधायक डाॅ. राधा मोहन दास अग्रवाल प्रदेश सरकार में मंत्री पद के प्रबल दावेदारों में थे, पर अपने ही मुख्यमंत्री उनका पर कतर रहे हैं। ऐसे भी कयास हैं कि योगी किसी को उपकृत करने की स्थिति में नहीं हैं। विधायक विपिन सिंह और महेन्द्र पाल सिंह को योगी ने अपनी प्रतिष्ठा बताते हुए जीत दिलाई थी। अब विधायक महेन्द्र पाल सिंह का गुस्सा पुलिस और प्राचार्य पर निकल रहा है। विधायक का एक वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ था, जिसमें वह थानेदार से योगी सरकार में सुनवाई नहीं होने का रोना रो रहे थे। विधायक विपिन सिंह मूलत ठेकेदार हैं। उन्हें भी उम्मीद के मुताबिक कुछ नहीं मिल रहा है।

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