उत्तर प्रदेश: कफ सिरप तस्करी नेटवर्क पर एक्शन, दो फर्मों का लाइसेंस रद्द, सीमा पार तक फैले तार

उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने 12 नवंबर को इस मामले में विभोर राणा, विशाल, सचिन और बिट्टू को गिरफ्तार किया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप की अवैध तस्करी के मामले में प्रशासन ने कार्रवाई की है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने लखनऊ से संचालित बताए जा रहे नेटवर्क से जुड़े दो कारोबारों पर कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए हैं।

किन फर्मों पर गिरी गाज

एफएसडीए के अनुसार, विभोर राणा के नाम से पंजीकृत जीआर ट्रेडिंग और उसके भाई विशाल द्वारा संचालित एवट हेल्थ केयर का लाइसेंस रद्द किया गया है। जांच में इन फर्मों की सप्लाई चेन, खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड और वितरण नेटवर्क में गंभीर खामियां सामने आईं। अधिकारियों का कहना है कि कागजी तौर पर वैध दिखने वाले दस्तावेजों की आड़ में कोडीन युक्त कफ सिरप की बड़ी खेप अलग-अलग राज्यों में भेजी जाती रही।


लखनऊ से बांग्लादेश तक फैले नेटवर्क के संकेत

जांच एजेंसियों को मिले सुरागों के अनुसार, इस नेटवर्क के तार लखनऊ से निकलकर पश्चिम बंगाल, असम, उत्तराखंड और बिहार तक जुड़े पाए गए हैं। इतना ही नहीं, बांग्लादेश तक अवैध आपूर्ति के संकेत भी मिले हैं। एफएसडीए का मानना है कि लाइसेंस निरस्तीकरण आगे होने वाली आपराधिक कार्रवाई के लिए मजबूत आधार तैयार करेगा।

एसटीएफ की गिरफ्तारी के बाद तेज हुई जांच

यूपी एसटीएफ ने 12 नवंबर को इस मामले में विभोर राणा, विशाल, सचिन और बिट्टू को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा से लगातार पूछताछ चल रही है। जांच एजेंसियां वित्तीय लेनदेन, परिवहन के रास्तों और गोदामों की कड़ियां जोड़ने में जुटी हैं। खबरों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान कई नए नाम और ठिकानों की जानकारी सामने आई है।


जिम्मेदारी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप

मामले में शुभम जायसवाल पर पूरे नेटवर्क का ठीकरा फोड़े जाने की बातें भी सामने आई हैं, हालांकि उसने खुद को निर्दोष बताया है। एजेंसियां सभी बयानों और दस्तावेजों का आपस में मिलान कर रही हैं, ताकि किसी भी स्तर पर सच्चाई से समझौता न हो।

संपत्ति और आय के बीच फंसा सवाल

खबरों के मुताबिक, आलोक सिंह पिछले तीन सालों में करीब 20 करोड़ रुपये की लागत से बने एक आलीशान बंगले के खर्च का संतोषजनक हिसाब नहीं दे सका है। जांच में उसकी ज्ञात आय और संपत्ति के अनुपात पर सवाल खड़े हुए हैं। एफएसडीए और एसटीएफ मिलकर बैंक खातों, संपत्तियों और कंपनियों के रिकॉर्ड खंगाल रही हैं।

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