उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र कल से शुरू, बीजेपी के लिए अपने विधायकों को समझाना बना चुनौती

चुनौती से हलकान उत्तर प्रदेश बीजेपी में विधायकों को संभालने की रणनीति बन रही है। इसके लिए प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और सुरेश खन्ना जैसे नेता विधायकों से बकायदे बात कर, उन्हें संतुष्ट करने के प्रयास में लगे हैं। सचेतकों को भी कुछ विधायकों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के खौफ के बीच विधानमंडल का मॉनसून सत्र गुरुवार से शुरू हो रहा है। लेकिन प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी के अपने कई विधायक पुलिस और अधिकारियों के रवैये से खासे नाराज चल रहे हैं। कुछ ने तो अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर भी कर दी है। ऐसे में कल से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में ऐसे विधायकों को संभालना बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती है।

चुनौती से हलकान उत्तर प्रदेश बीजेपी के अंदर सदन में विधायकों को संभालने की रणनीति बन रही है। बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि इसके लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और सुरेश खन्ना जैसे नेता विधायकों से बकायदे बात कर, उन्हें संतुष्ट करने के प्रयास में लगातार लगे हैं। कुछ विधायकों को संयमित रखने के लिए सचेतकों को भी जिम्मेंदारी सौंपी गयी है।

गौरतलब है कि राज्य में पिछले तीन-चार माह में अलीगढ़, हरदोई, उन्नाव समेत कई स्थानों पर ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें बीजेपी विधायकों-नेताओं और पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच कहासुनी तक हो गई है। पिछले ही दिनों अलीगढ़ इगलास के विधायक राजकुमार सहयोगी और एक थानेदार के बीच मारपीट की घटना हो गई।

बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया कि गोंडा थाने में एसओ सहित तीन दारोगा ने उन पर हमला बोल दिया और कपड़े भी फाड़ दिए। वहीं मामले में एसओ का कहना है कि विधायक ने ही सबसे पहले हाथ उठाया था। इस घटना के बाद थाने के बाहर विधायक समर्थकों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। बवाल बढ़ने पर एएसपी देहात को जिले से हटाने और एसओ को निलंबित करने का फरमान जारी कर दिया गया गया।

इसी प्रकार बीते दिनों उन्नाव सदर से बीजेपी विधायक पंकज गुप्ता अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना पर बैठ गए। विधायक ने सदर कोतवाली में बुजुर्गो के खिलाफ गलत कार्रवाई पर सीओ से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की थी। डीएम के निष्पक्ष जांच के आश्वासन के बाद उन्होंने धरना समाप्त किया था।

बीजेपी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, "पिछले सत्र के बाद से पार्टी विधायकों के रूख पर विशेष नजर बनाए हुए है। उन विधायकों से संपर्क साधाने का प्रयास किया जा रहा है, जो पिछले दिनों कुछ मुखर दिखे हैं।” संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि "सदन व्यवस्थित ढंग से चले, इसके लिए सभी सचेतकों को जिम्मेंदारी सौंपी गयी है।”

विधानमंडल के इस विशेष सत्र में विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही होगी। इस सत्र के शुरू होने से पहले ही सभी लोगों का कोरोना टेस्ट हो रहा है। सरकार ने सत्र के दौरान विधानभवन की कैंटीन बंद रखने का निर्णय लिया है। विधानमंडल का तीन दिवसीय (20, 21 और 24 अगस्त) मानसून सत्र 20 अगस्त से शुरू होना है। सत्र की तैयारियों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने दलीय नेताओं के साथ बैठक भी की है।

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