यूपी: योगी सरकार में गुंडे नहीं अब पुलिस पिटती है, बीजेपी नेताओं ने मिट्टी में मिला दिया पुलिस का इकबाल

ये बात किसी से छिपी नहीं नहीं है कि उत्तर प्रदेश के थानों में बीजेपी नेताओं का जबरदस्त दखल है। उनकी सिफारिशों से प्रदेश में दारोगा चार्ज लेते हैं और वह पुलिस थानों में अपनी मर्जी से काम करवाते हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

आस मोहम्मद कैफ

उतर प्रदेश की योगी सरकार भले ही प्रदेश की पुलिस का इकबाल बुलंद होने का दावा करे लेकिन जमीनी सच्चाई इस से बहुत अलग है। उतर प्रदेश की पुलिस लगातार सत्ताधारी बीजेपी नेताओं से पिटा रही है जो उस के इकबाल को बुलंद नहीं बल्कि मिट्टी में मिलाता है। ये सिलसिला प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही शुरू हो गया था जो अब तक जारी है। यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि बीजेपी हमेशा पिछली सरकारों पर कानून अपने हाथ में लेने और पुलिस को आजादी ना देने का आरोप लगाती रही है लेकिन मौजूदा माहौल पहले से भी कहीं ज्यादा खतरनाक और संगीन है।

ये किसी से छिपा नहीं है कि थानों में बीजेपी नेताओं का जबरदस्त दखल है। उनकी सिफारिशों से दारोगा चार्ज लेते हैं और पुलिस थानों में अपनी मर्ज़ी के मुताबिक काम करवाते हैं। अगर पुलिस अधिकारी उनकी बात नहीं मानते तो फिर वो अक्सर पिटाई कर देते हैं। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार अपने दो साल पूरे कर रही है और इस दौरान उसके मंत्रियों-नेताओं ने पुलिस विभाग का हौसला बढ़ाने की जगह गिराने का ही काम किया है।

उतर प्रदेश में पुलिस का मनोबल गिराने वाली सबसे बड़ी घटना अप्रैल 2017 को सहारनपुर में हुई थी, जब बीजेपी के स्थानीय लोकसभा सांसद राघव लखनपाल के साथ सैंकड़ों बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जिले के एसएसपी आवास पर हमला कर दिया और नेम प्लेट तोड़ दिया। इतना ही नहीं, परिसर में लगी उनकी गाड़ी के साथ भी तोड़फोड़ की गई और कई कार्यकर्ता घर के अंदर काफी देर तक हंगामा मचाते रहे।

इस घटना के बाद बीजेपी सरकार ने अपने सासंद के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह पीड़ित एसएसपी लव कुमार का ही तबादला कर दिया, लेकिन आरोपी सांसद के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। दरअसल बीजेपी के लोग मुस्लिम बहुल गांव सड़क दुधली में शोभायात्रा निकालना चाहते थे जिसकी इजाजत पुलिस नहीं दे रही थी। इसको लेकर मामला गंभीर हो गया और उसका खामियाजा पुलिस अधिकारी को भुगतना पड़ा।

मुरादाबाद में भी पुलिस अधिकारी की पिटाई का एक मामला सामने आया था। यहां ठाकुरद्वारा के बीजेपी नगर अध्यक्ष शिवेंद्र गुप्ता ने थाने में घुस कर दारोगा को पीट डाला और बड़े अधिकारियों के सामने भी उसे जूते से मारने की धमकी दी। पीड़ित दारोगा अमित शर्मा कुछ नहीं कर पाए, बस अपना अपमान बर्दाश्त कर के रह गए। बीजेपी नेता शिवेंद्र गुप्ता को वहां के सांसद कुंवर सर्वेश सिंह का करीबी बताया जाता है। मुरादाबाद से ताल्लुक रखने वाले प्रदेश के पूर्व राज्यमंत्री इकराम कुरैशी का कहना है कि ये इकलौती घटना नहीं है, उसके बाद बहुत सी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। सांसद सर्वेश सिंह खुद कई बार अधिकारियों पर हावी हुए हैं और उन्हें दौड़ाया भी है। हद तो ये है कि बीजेपी कार्यकर्ता इससे भी आगे बढ़ गए और थाने में ही पुलिस की पिटाई करने लगे हैं।

इसके बाद मेरठ सहारनपुर इलाहाबाद ,आगरा और नोएडा में पुलिस के साथ बीजेपी नेताओं की मारपीट की घटनाएं बदस्तूर जारी रहीं। अकेले मेरठ में ऐसी आधा दर्जन से ज्यादा घटनाएं हुईं। यहां सबसे चर्चित मामला दरोगा सुखपाल पंवार का रहा। वह अपनी महिला मित्र के साथ होटल में खाना खाने गए थे, जहां उनका होटल के कर्मचारियों से विवाद हो गया, जिसके बाद बीजेपी पार्षद मनीष चौधरी में उन्हें गिरा-गिरा कर पीटा।

इस घटना का वीडियो बड़े पैमाने पर वायरल हो गया और मेरठ पुलिस की जमकर आलोचना हुई। मेरठ की पूरी बीजेपी टीम आरोपी पार्षद मनीष के पक्ष में खड़ी हो गई। उसके पक्ष में प्रदर्शन भी किये गए। उस पर लगाई गई सभी गंभीर धारा हटा ली गई। यह घटना अक्टूबर 2018 की थी मगर इससे पहले कई बार बीजेपी नेता मेरठ में सत्ता की हनक दिखा चुके थे, जिनमें बीजेपी के जिला मंत्री कमलदत्त शर्मा का कारनामा प्रमुख है। वह खुलेआम दंगा कराने की धमकी दे चुके हैं और पुलिस को कई बार सरेआम बेइज्जत भी कर चुके हैं।

पिछले साल सितंबर में इलाहाबाद (अब प्रयाग राज) में हुई दारोगा की हत्या के बाद उतर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा था कि यूपी पुलिस का इकबाल पूरी तरह से मिट्टी में मिल चुका है। बुलंदशहर में इंसपेक्टर सुबोध कुमार की हत्या की वजह भी इसी इकबाल के खत्म होने की निशानी थी। समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव मनीष जगन कहते हैं कि बीजेपी के यही लोग इससे पहले की सरकारों पर कानून अपने हाथ में लेने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब तो बीजेपी वालों ने एक नया नारा दिया है- कानून हमारे ठेंगे पर। पूरे राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद ये घटनाएं शुरू हुई थीं, जो अब तक जारी है। प्रदेश के थानों में बीजेपी के लोगों का हस्तक्षेप अपने चरम पर है।

बात सिर्फ थानों में दखल की नहीं है बल्कि पुलिस कप्तानों की तैनाती की भी है, जिसे बीजेपी नेता जमकर प्रभावित करते हैं। बिजनौर के पुलिस कप्तान रहे उमेश कुमार सिंह की तैनाती में यहां के बढ़ापुर के बीजेपी विधायक सुशांत सिंह की चिट्ठी चर्चा के केंद्र में रही। सुशांत के पिता सर्वेश सिंह मुरादाबाद के सांसद हैं और मुजफ्फरनगर के पुलिस कप्तान सुधीर कुमार सिंह के समधी हैं। बिजनौर के पूर्व विधायक शेष राम का कहना है, “अब कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं है। क्या आप अंदाज़ा नहीं लगा सकते कि इस के बाद बिजनौर एसपी को कितनी आजादी मिली होगी!”

3 दिन पहले नोएडा के मंडवा में एक दारोगा को केरोसीन तेल डाल कर जिंदा जलाने की कोशिश की गई। इससे पहले गाजीपुर में भी दारोगा के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। रिटायर्ड सर्किल ऑफिसर एस के एस प्रताप के अनुसार उनके जमाने में ऐसा करने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी। उन्होंने कहा कि आलाधिकारियों का मजबूत सहयोग होना बहुत जरूरी है।

लखनऊ में आपराधिक मामलों की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार राशिद अली कहते हैं कि ये बात बिलकुल सही है कि उतर प्रदेश में बीजेपी नेता पहले की सरकारों से ज्यादा बेलगाम हैं। पुलिस के साथ बीजेपी वालों के बुरे सुलूक की शिकायतें लगातार मिलती रहती हैं। बड़े पुलिस अधिकारी इससे अपनी आंखें चुरा रहे हैं। पुलिस का हौसला पस्त हो चुका है। बीजेपी नेताओं के दबाव में आकर अक्सर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है। इसकी एक वजह ये भी है कि बीजेपी 15 साल बाद सत्ता में आई है, जिससे उसके कार्यकर्ता बेकाबू हो गए हैं।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 18 Jan 2019, 6:59 PM