उत्तर प्रदेशः लॉकडाउन ने खोली वोट की फसल काटने वाली योजनाओं की पोल, संकट में भी गरीबों के हक पर जारी है डाका

सरकारी तंत्र ठीक हो, तो बहुत कुछ हो सकता है लेकिन उत्तर प्रदेश में इस पर किसी का नियंत्रण नहीं, जिससे लाॅकडाउन के दौर में भी गरीब सबसे अधिक परेशान हैं। जनधन खाता हो या उज्जवला या फिर मनरेगा, गरीबों तक राहत पहुंचाने वाली हर सरकारी योजना में भ्रष्टाचार चरम पर है।

फोटोः सोशल मीडिया
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पहले उत्तर प्रदेश सरकार के ये दावे देखें। दावे किए गए कि केंद्र सरकार की तरफ से महिलाओं के जनधन खातों में 500-500 रुपये, श्रमिकों के खाते में एक-एक हजार रुपये, वृद्धा, दिव्यांग और विधवा पेंशनर्स को दो-दो माह की एडवांस पेंशन भेज दी गई है। इसके साथ ही यूपी के 1.47 करोड़ उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों और 27.50 लाख मनरेगा मजदूरों के खातों में बकाया मजदूरी का पैस भी पहुंच गया है। प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (वित्त) संजीव मित्तल का दावा था कि महिलाओं के जनधन खातों में तीन बार में 1,500 रुपए डाले जाएंगे और जनधन खाताधारक महिलाएं दस अप्रैल से पैसे निकाल सकेंगी।

अब इन दावों का असली हाल जानिये। उत्तर प्रदेश के किसी ग्रामीण इलाके में जाएं और देखें कि 500 रुपये के लिए महिलाएं घंटों बैंक के बाहर धूप में अपनी बारी का इंतजार किस तरह कर रही हैं। हरदोई में तो बीते 13 अप्रैल को इस पैसे की उम्मीद में स्टेट बैंक की गंगारामपुर शाखा पहुंची सरोजनी नाम की महिला की मौत ही हो गई। उनके बेटे प्रमोद का कहना है कि 2 घंटे धूप में लाइन में लगने के बाद रुपये तो मिले, लेकिन बाहर आते ही मां बेहोश हो गईं और अस्पताल पहुंचने से पहले ही चल बसीं।

वैसे, अब अधिकारी ही मान रहे हैं कि बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिनके जनधन खाते लंबे समय से लेनदेन नहीं होने से निष्क्रिय हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करीब 15.50 लाख जनधन खाते हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार, इनमें करीब 70 फीसदी खाते निष्क्रिय हो गए हैं। यहां की 6 लाख महिलाओं के खातों में 500-500 रुपये की राशि पहुंच तो गई है, पर खातों के निष्क्रिय हो जाने से वे रकम नहीं निकाल पा रही हैं। इन महिलाओं को खातों के इस हाल की जानकारी बैंक पहुंचने के बाद हो रही है।

जिले की बड़ौदा यूपी बैंक की हीरमपुर शाखा में 500 रुपये निकालने पहुंचीं कलावती, कुसुम और खेवली- जैसी हजारों महिलाओं को काउंटर पर पहुंचने के बाद खाता निष्क्रिय होने की जानकारी मिली। बैंक ऑफ इंडिया चुनार रोड के बाहर खड़ी रोहनिया निवासी कलावती देवी कहती हैं कि 3 घंटे लाइन में लगने के बाद बताया गया कि रुपये नहीं मिलेंगे। लीड बैंक के मैनेजर मिथिलेश कुमार का कहना है कि जो खाते निष्क्रिय हैं, उन्हें एक्टिव करने के लिए आधार कार्ड या अन्य फोटो प्रमाण पत्र साथ लाना होगा। इसी तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इलाके- गोरखपुर में 5.80 लाख जनधन खाते महिलाओं के नाम से हैं। इनमें से 1.60 लाख निष्क्रिय हैं।

मुरादाबाद जिले में जनधन के 7.50 लाख खाते में से 1.50 लाख से अधिक खाते निष्क्रिय हैं। कौशांबी में 70 हजार के आसपास जनधन खाते महिलाओं के नाम से हैं। इनमें से आधे निष्क्रिय है। यहां एसबीआई की भड़ेसर शाखा में घंटों इंतजार के बाद निराश हुई महिलाओं ने जमकर हंगामा किया। कुशीनगर में 5 लाख से अधिक जनधन खातों में 3 लाख महिलाओं के नाम से हैं। इनमें से 2 लाख से अधिक निष्क्रिय की श्रेणी में हैं।

उज्ज्वला की बुकिंग से खुली हकीकत

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, प्रदेश में 1.47 करोड़ उज्ज्वला लाभार्थियों के खाते में पहला सिलेंडर खरीदने के लिए रकम भेज दी गई है। योजना के तहत तीन बड़े और आठ छोटे सिलेंडर मुफ्त दिए जा रहे हैं। नोडल अधिकारी रजनीश कुमार का कहना है कि बिना सिलेंडर लिए दूसरी किस्त नहीं मिलेगी। इंडियन ऑयल, लखनऊ के कार्यकारी निदेशक उत्तीय भट्टाचार्य ने भी सभी जिला प्रमुखों को बताया है कि अप्रैल का सिलेंडर रिफिल होगा, तभी मई के लिए लिंक खाते में रुपये भेजे जाएंगे। लेकिन खाते में रकम आने के बाद भी बुकिंग नहीं हो रही है।

बरेली जिले में 3.50 लाख उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के खाते में 760-760 रुपये आ गए हैं। दस दिनों में केवल 29,730 लोगों ने सिलेंडर की बुकिंग कराई। यही हाल गोरखपुर का है। यहां डेढ़ लाख से अधिक उज्ज्वला लाभर्थियों में से बमुश्किल 30 हजार ने ही सिलेंडर के लिए बुकिंग कराई है। वाराणसी में 1.76 लाख लाभार्थियों के खाते में पहली किस्त आने के बाद भी 30 फीसदी बुकिंग भी नहीं हो सकी है। ऐसे में, गोरखपुर कांग्रेस की जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान की यह आशंका सच लगती है कि तमाम ऐसे लोगों को उज्ज्वला का लाभ दे दिया गया जो आज भी लकड़ी पर ही खाना पका रही हैं। महिलाएं सिलेंडर खरीदने के लिए खाते में पहुंचे 800 रुपये से ही संतुष्ट हैं।

मनरेगा के रकम की मची है लूट

सब मानते हैं कि इस वक्त मनरेगा सबसे कारगर हथियार है। योगी सरकार ने प्रदेश के 27.5 लाख मनरेगा मजदूरों के खाते में 611 करोड़ डाले भी हैं। लेकिन इस रकम को लेकर प्रदेश के सभी जिलों से लूट-खसोट की खबरें ही अधिक आ रही हैं। जौनपुर में तो लाइन बाजार थाना क्षेत्र के पचोखरा गांव के एक मनरेगा मजदूर के खाते से वहां के प्रधान ने 4,900 रुपये निकाल लिए। मजदूर की शिकायत पर डीएम निदेश कुमार सिंह ने प्रधान को जेल भेजवाया।

इसी तरह कुशीनगर में दुदही ब्लाॅक में एक रोजगार सेवक ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक को लेकर ही लाभार्थी मजदूरों के घरों तक पहुंच गया। मजदूरों को 100 रुपये देकर शेष रकम निकाल लिए। मामला तब खुला जब मजदूर और रोजगार सेवक से बातचीत का एक ऑडियो वायरल हो गया। यहां के गौरी श्रीराम के लालगंज टोला निवासी मजदूर अली हुसैन, जैनुल खातून का कहना है कि रोजगार सेवक ग्राहक सेवा केंद्र के संचालक को साथ लेकर चल रहा है। बायोमेट्रिक सिग्नेचर लेकर रुपये निकाल ले रहा है।

गोरखपुर के बांसगांव में भी मनरेगा मजदूरों के खाते से हिस्सेदारी लेने के मामले सामने आए हैं। तहसील के हरक कैथोलिया के ग्राम प्रधान राम धवन पर महिलाओं ने खाते में आए रकम में हिस्सेदारी लेने का आरोप लगाया है। गांव की कबुतरी बताती हैं कि प्रधान ने 400 रुपये देकर शेष रुपये ले लिए। बताया कि खाते में चक रोड का पैसा आया है। वहीं गांव की विद्या बताती हैं कि प्रधान ने आधार कार्ड लेकर बुलाया था। खाते से 1,100 रुपये निकाले और 300 रुपये देकर बोले कि यह नरेगा वाला पैसा है, फ्री वाला बाद में मिलेगा।

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