उत्तरकाशी आपदा: बादल फटने के बाद युद्धस्तर पर राहत-बचाव कार्य जारी, NDRF-ITBP की टीमें तैनात, जानें अब कैसे हैं हालात?
एनडीआरएफ की चार और आईटीबीपी की तीन टीमें मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। लेकिन, गंगोत्री हाईवे पर कई जगह भूस्खलन और बोल्डर गिरने से राहत दलों को आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही है।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार दोपहर को बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है। घटना के बाद न सिर्फ स्थानीय गांव, बल्कि सेना का कैंप और हेलीपैड भी इसकी चपेट में आ गया। अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर से ऑपरेशन में बाधा आ रही है।
सेना का कैंप भी चपेट में, कई जवान लापता!
उत्तरकाशी के हर्षिल क्षेत्र में मौजूद सेना की 14 राजपूताना राइफल्स यूनिट भी इस आपदा से अछूती नहीं रही। पहाड़ से आया मलबा सीधे आर्मी कैंप, आर्मी मेस और कैफे को चपेट में ले गया। कई जवानों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। हर्षिल का हेलीपैड पूरी तरह बह गया है, जिससे हवाई रेस्क्यू फिलहाल रुका हुआ है।
NDRF, ITBP की टीमें तैनात, लेकिन रास्ते बाधित
एनडीआरएफ की चार और आईटीबीपी की तीन टीमें मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। लेकिन, गंगोत्री हाईवे पर कई जगह भूस्खलन और बोल्डर गिरने से राहत दलों को आगे बढ़ने में कठिनाई हो रही है। धराली गांव तक पहुंचने वाले रास्ते पूरी तरह तबाह हैं। 150 मीटर सड़क का स्ट्रेच गंगोत्री-हर्षिल रूट पर बह गया है।
बारिश बनी सबसे बड़ी चुनौती, स्कूलों में छुट्टी
राज्य के 9 जिलों- देहरादून, नैनीताल, चंपावत, रुद्रप्रयाग, टिहरी, चमोली, पौड़ी, अल्मोड़ा और बागेश्वर में कक्षा 1 से 12वीं तक के सभी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद कर दिए गए हैं। मौसम विभाग ने भारी बारिश को देखते हुए कई जिलों में रेड अलर्ट और अन्य में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
केदारनाथ यात्रा स्थगित, नदियां उफान पर
रुद्रप्रयाग में रातभर भारी बारिश के चलते अलकनंदा नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी है। केदारनाथ धाम की यात्रा को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। वहीं, बागेश्वर में गोमती और सरयू नदी उफान पर हैं, जिससे आस-पास के क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बन गई है।
बचाव में देरी, सिस्टम नहीं तैयार
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, फिलहाल घटनास्थल पर भारी मलबा जमा है और कोई डिटेक्शन सिस्टम नहीं होने की वजह से मलबे में दबे लोगों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। भारी बारिश और लैंडस्लाइड के चलते भारी मशीनरी भी मौके पर नहीं पहुंच पाई है।
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Published: 06 Aug 2025, 9:15 AM