एक मंत्री की सरपरस्ती, एक वकील की सलाह और एनकाउंटर न होने की गारंटी पर दी थी विकास दुबे ने गिरफ्तारी

विकास दुबे मारा गया। लेकिन एक हिंदी अखबार की दावा है कि उसे राज्य के एक मंत्री की सरपरस्ती हासिल थी और एक वकील की सलाह पर ही वह एमपी के उज्जैन में गिरफ्तारी देने गया था। दावा है कि उसे एनकाउंटर न होने की गारंटी दी गई थी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कानपुर देहात में 8 पुलिस वालों की हत्या करने के बाद कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे बुरी तरह घबरा गया था। तभी उसे राज्य के एक मंत्री ने शरण दी और उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन जाने के लिए तैयार किया। इस काम में उसे एक वकील की सलाह भी मिली और एक कारोबारी ने उसकी मदद की। यह खुलासा उत्तर प्रदेश से प्रकाशित अखबार अमर उजाला ने किया है। अखबार का दावा है कि योजना बनाकर ही उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर में भेजकर गिरफ्तारी कराई गई।

अखबार के मुताबिक नेताओं की ढाल बनाकर ही वह हत्याकांड के 6 दिन बाद तक पुलिस की पकड़ से दूर रहा। अखबार का कहना है कि पूछताछ के दौरान विकास ने पुलिस को कई जानकारियां दी थीं जिनमें उसके यूपी, एमपी और दूसरे राज्यों में नेताओं और मंत्रियों से रिश्ते सामने आए थे। इन्हीं आधार पर वह बेखौफ अपराध करता रहा और बचता रहा।

अखबार ने लिखा है कि कानपुर की घटना होने के कुछ घंटे के अंदर ही उसके हर करीबी को इसकी जानकारी मिल गई थी और एक मंत्री ने उसे एनकाउंटर से बचाने का भरोसा दिया था। उसे एक वकील ने भी सलाह दी थी कि इधर-उधर भागने के बजाए उसे सार्वजनिक तौर पर गिरफ्तारी दे देनी चाहिए। इस मामले में उसे मध्य प्रदेश के एक बड़े कारोबारी ने भी काफी मदद की।

विकास से पूछताछ में शामिल रहे एक पुलिस अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा है कि मंत्री ने कहने पर उसे वकील ने सलाह दी थी कि या तो वह अदालत में सरेंडर कर दे या फिर सार्वजनिक तौर पर अपनी गिरफ्तारी दे दे, जिससे उसकी गिरफ्तारी का वीडियो वायरल हो जाए। इस तरह वह एनकाउंटर से बच सकता है। अदालत में सरेंडर करने से विकास डर रहा था इसीलिए यूपी के बाहर सार्वजनिक तौर पर गिरफ्तार होने की योजना बनाई गई। बताया जाता है कि जिन मंत्री के संपर्क में विकास दुबे था उनका मध्य प्रदेश में भी खासा दबदबा है। इसीलिए चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे वाले उज्जैन के महाकाल मंदिर को चुना गया। और गिरफ्तारी होने के बाद बाकायदा उसने चिल्लाकर ‘मैं विकास दुबे हूं, कानपुर वाला’ कहा। वीडियो में साफ दिख रहा है कि खुद की पहचान बताने के बाद वह किसी को देखने की कोशिश कर रहा है, मानो निश्चिंत हो जाना चाहता है कि उसे अब बचा लिया जाएगा।


इस मामले में एक और तथ्य पर सवाल उठ रहे है कि आखिर विकास दुबे की गिरफ्तारी से एक शाम पहले ही उज्जैन महाकाल मंदिर वाले थाने के थानेदार और सर्किल अफसर को क्यों हटाया गया था। पुलिस सूत्रों का मानना है कि उसकी गिरफ्तारी कराने के लिए थाने में विशेष थानेदार और सीओ की तैनाती कराई गयी थी।

लेकिन अब भी कई ऐसे सवाल हैं जिनकी गुत्थियां अनसुलझी हैं, और विकास की मौत के बाद कई सवाल खुद ही खामोश हो गए हैं।

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Published: 11 Jul 2020, 9:56 AM