निजीकरण के खिलाफ विजाग स्टील प्लांट के कर्मचारियों ने खोला मोर्चा, मोदी सरकार के खिलाफ किया जोरदार प्रदर्शन
इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कर्मचारियों ने बैनर और तख्तियां लेकर सड़कों पर मार्च निकाला। समिति ने चेतावनी दी कि वे आरआईएनएल के 100 फीसद विनिवेश के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त किसी भी सलाहकार को इस्पात संयंत्र में प्रवेश नहीं करने देंगे।
![फोटोः सोशल मीडिया](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2021-09%2F608aba03-71c3-4ccd-b285-40719be52bd8%2FVIzag_Steel_Plant.jpg?rect=0%2C77%2C1200%2C675&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के कर्मचारियों ने उपक्रम के निजीकरण के लिए कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति की प्रक्रिया को रोकने की मांग को लेकर गुरुवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कर्मचारियों ने प्लांट के मुख्य द्वार पर धरना दिया। उन्होंने मांग की कि कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति की ऑनलाइन प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए।
विशाखापत्तनम स्टील प्लांट की कॉर्पोरेट इकाई राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) की रणनीतिक बिक्री के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रही विशाखा उक्कू परिक्षण समिति द्वारा धरने का आयोजन किया गया था। इस दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कर्मचारियों ने बैनर और तख्तियां लेकर सड़कों पर मार्च निकाला। समिति ने चेतावनी दी कि वे आरआईएनएल के 100 फीसद विनिवेश के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त किसी भी सलाहकार को इस्पात संयंत्र में प्रवेश नहीं करने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार स्टील प्लांट को पार्टी के गुर्गों को सौंपने की कोशिश कर रही है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 27 जनवरी को निजीकरण के माध्यम से रणनीतिक विनिवेश द्वारा अपनी सहायक कंपनियों/संयुक्त उद्यमों में आरआईएनएल की हिस्सेदारी के साथ आरआईएनएल में सरकारी हिस्सेदारी के 100 प्रतिशत विनिवेश के लिए अपनी 'सैद्धांतिक' मंजूरी दे दी। इस फैसले को अमली जामा पहनाने के लिए कानूनी सलाहकारों की नियुक्ति की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है।
वहीं स्टील प्लांट के कर्मचारी निजीकरण के कदम का कड़ा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने धरना प्रदर्शन के लिए एक कमेटी का गठन किया है। समिति के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर एक लाख से अधिक लोगों को सहायता प्रदान करने वाले संयंत्र का निजीकरण कर दिया जाता है, तो तेलुगु लोग चुप नहीं रहेंगे। राज्य सरकार ने भी निजीकरण के कदम का विरोध किया है। फरवरी में मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने 'आंध्र प्रदेश के गहनों' की रक्षा का भी आह्वान किया।
कर्मचारियों के आंदोलन और राज्य सरकार के विरोध के बावजूद केंद्रीय वित्त मंत्रालय के निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) ने निजीकरण के प्रस्ताव में तेजी लाई। इसने हाल ही में आरआईएनएल के 100 प्रतिशत रणनीतिक विनिवेश और इसकी सहायक कंपनियों और संयुक्त उद्यमों में हिस्सेदारी के लिए एक कानूनी सलाहकार और एक लेनदेन सलाहकार की नियुक्ति के प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) की मांग करते हुए अलग अधिसूचना जारी की है।
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