त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू, BJP और लेफ्ट-कांग्रेस में सीधा मुकाबला, CAA बना अहम मुद्दा

चुनाव में 31 महिलाओं सहित कुल 259 उम्मीदवार मैदान में हैं। कुल 3,327 मतदान केंद्रों पर राज्य के 28.13 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें से 1100 मतदान केंद्र संवेदनशील माने गए हैं। मतदान के लिए कुल 31,000 मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए आज सभी 60 सीटों पर एक साथ मतदान हो रहा है। करीब एक महीने से अधिक समय से चला आ रहा प्रचार अभियान मंगलवार को समाप्त हो गया था। इसके बाद आज राज्य के 8 जिलों के सभी 60 विधानसभा क्षेत्रों में भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो गया, जो शाम 4 बजे तक चलेगा। वोटों की गिनती 2 मार्च को होगी। चुनाव अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) और राज्य पुलिस ने सभी निर्वाचन क्षेत्रों में मोर्चा संभाल लिया है।

कुल 259 उम्मीदवार, 3,327 मतदान केंद्र

त्रिपुरा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) गीते किरणकुमार दिनकरराव ने एक दिन पहले कहा था कि 16 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में 31 महिलाओं सहित कुल 259 उम्मीदवार मैदान में हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में 24 महिलाओं सहित 297 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। आयोग ने कहा कि कुल 3,327 मतदान केंद्रों पर राज्य के 28.13 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मतदान के लिए कुल 31,000 मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें से 1100 के करीब मतदान केंद्र संवेदनशील माने गए हैं।

राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्रालय ने राज्य में निष्पक्ष और हिंसा मुक्त विधानसभा चुनाव के लिए सीएपीएफ की 400 कंपनियां (30,000 सुरक्षाकर्मी) प्रदान की हैं। अधिकारी ने बताया कि सीएपीएफ के अलावा, असम राइफल्स, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, लगभग 9,000 टीएसआर जवानों और 6,000 से अधिक त्रिपुरा पुलिस कर्मियों को भी चुनाव में तैनात किया गया है।


किसके कितने उम्मीदवार?

त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीट के लिए कुल 259 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस बार बीजेपी और आईपीएफटी मिलकर चुनाव में उतरी है। बीजेपी ने जहां 55 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं आईपीएफटी 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं मुख्य विपक्षी दल लेफ्ट औऱ कांग्रेस गठबंधन से वाम मोर्चा 46 और कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि एक सीट पर निर्दलीय को समर्थन दिया गया है। वहीं पहली बार चुनाव लड़ रही प्रद्योत बिक्रम की नई पार्टी टिपरा मोथा ने 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। जबकि ममता बनर्जी की टीएमसी यहां 28 सीट पर चुनाव लड़ रही है। इनके अलावा 58 उम्मीदवार निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।

पांच साल सत्ता में रहकर बीजेपी एक बार फिर पीएम मोदी के नाम के सहारे चुनाव मैदान में है, लेकिन इस बार त्रिपुरा में बीजेपी की जीत आसान नजर नहीं आ रही है। दरअसल 2018 में लेफ्ट का किला ढहाकर बीजेपी ने पहली बार त्रिपुरा में बिप्लब देब के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। लेकिन चार साल के बाद मई 2022 में बिप्लब देब से सत्ता की कमान लेकर माणिक साहा सीएम बनाना पड़ा। इस बार बीजेपी माणिक साहा की अगुवाई में ही मैदान में है, लेकिन राज्य के राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। इस बार कांग्रेस और लेफ्ट साथ हैं तो टीएमसी और टिपरा मोथा पार्टी भी अलग फैक्टर बनकर उभरी है।

त्रिपुरा की राजनीतिक-सामाजिक स्थिति

त्रिपुरा में सबसे ज्यादा आदिवासी समुदाय का वोट है। त्रिपुरा में 32 फीसदी आदिवासी आबादी है। राज्य की कुल 60 में से 20 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है, जबकि बाकी 40 सीट अनारक्षित है। राज्य की सीमा बांग्लादेश से लगती है और लगभग 65 फीसदी बांग्लाभाषी रहते हैं। वहीं राज्य में करीब 8 फीसदी मुस्लिम आबादी है। राज्य में सांप्रदायिकता कभी मुद्दा नहीं रहा। लेकिन दो साल पहले बांग्लादेश में दुर्गा पंडालों में हिंसा की आंच त्रिपुरा तक जरूर पहुंची थी। पिछली बार बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन सभी 20 आदिवासी रिजर्व सीट जीतने में सफल रही थी। लेकिन इस बार हालात बदले हैं।


CAA बना प्रमुख मुद्दा

त्रिपुरा चुनाव में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है, जो बीजेपी के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) को एक पूर्ण राज्य बनाने की मांग करने वाली प्रभावशाली आदिवासी आधारित टिपरा मोथा पार्टी ने कहा है कि अगर वह सत्ता में आती है तो 150 दिनों के भीतर सीएए के खिलाफ विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करेगा। वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी की सहयोगी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) भी लो प्रोफाइल तरीके से सीएए के खिलाफ हैं। विपक्षी कांग्रेस और सीपीएम तो सीएए के सख्त खिलाफ हैं ही।

बीजेपी ने प्रचार में उतारी पूरी फौज

त्रिपुरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के लिए दक्षिणी, उत्तरी और पश्चिमी तीन चुनावी रैलियों को संबोधित किया, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई चुनावी रैलियों को संबोधित किया। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सबार्नंद सोनोवाल, स्मृति ईरानी, अर्जुन मुंडा, असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह के साथ ही पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी, विधायक अग्निमित्रा पॉल, अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती और हेमा मालिनी और राज्य के बाहर के कई बीजेपी नेताओं और सांसदों ने पार्टी के लिए प्रचार किया।


वहीं विपक्ष की ओर से सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, पोलित ब्यूरो सदस्य प्रकाश करात, बृंदा करात, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार और कई अन्य वामपंथी नेताओं ने वाम दलों और कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए साझा प्रचार किया। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी त्रिपुरा में टीएमसी के लिए चुनावी रैलियों को संबोधित किया। कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद दीपा दासमुंशी, कांग्रेस नेता अलका लांबा और पार्टी के कुछ अन्य केंद्रीय नेताओं ने पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। त्रिपुरा में कांग्रेस और सीपीएम के नेताओं ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में संयुक्त रैलियां भी कीं।

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