वीडियो: देखिए कैसे बेरोजगारी, महंगाई और कालेधन पर सवाल सुनकर अचकचा गईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
बजट पेश करने के बाद हुई प्रेस कांफ्रेंस में जब पत्रकारों ने महंगाई, बेरोजगारी और कालेधन से जुड़े सवाल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से किए, तो वे अचकचा गईं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर मेरी बात नहीं समझ आ रही तो मैं किसी और से कहूंगी कि वह जवाब दे।
![प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2022-02%2F6a339811-671d-421f-a35d-18ba8464bedf%2FSitharaman_Confused.jpg?rect=0%2C0%2C1230%2C692&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
मोदी सरकार की भद्द पिटवाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट बाद की प्रेस कांफ्रेंस में उन सवालों के जवाब देने में हकलाने लगीं जो महंगाई, बेरोजगारी और कालेधन से जुड़े थे। इस प्रेस कांफ्रेंस को सरकार के प्रेस इंफार्मेशन ब्यूरो ने आयोजित किया था। तीन अहम मुद्दों पर पूछे सवाल में उन्होंने बातों को गोल-गोल घुमाना शुरु कर दिया।
जब एक पत्रकार ने दोबारा अपना सवाल दोहराया तो निर्मला सीतारमण झुंझला गईं और उन्होंने महंगाई पर अपने उसी जवाब को फिर से दोहरा दिया। लेकिन कालेधन पर उन्होंने जवाब को टाल दिया और एक शब्द भी नहीं बोला।
पीआईबी ने जो वीडियो शेयर किया है उस में सीतारमण साफ तौर पर अपना जवाब दोहराते हुए दिख रही है। उन्होंने कहा, “मैं अपना जवाब दोहरा रही हूं अगर पत्रकारों को यह घुमावदार लगता है तो...” इसके आगे उन्होंने कहा, “अगर आपको यह घुमावदार लग रहा है तो मैं किसी और को बोलती हूं इस सवाल का जवाब देने के लिए...” लेकिन उसी सांस में उन्होंने कह दिया, “आपकी बात को टालने की कोशिश नहीं की जा रही है सर...
वैसे तो वित्त मंत्रालय में पिछले साल से पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी लगी हुई है। लेकिन वित्त मंत्रालय कवर करने वाले पत्रकारों को सीतारमण का यह जवाब बहुत ही अटपटा लगा। एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, “शायद वह अर्थव्यवस्था के सामने आए संकट से जुड़े तीखे सवाल पूछे जाने से घबरा गई थीं...”
लेकिन रोचक बात यह है कि सीतारमण ने यह तो स्वीकार किया कि आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने और महंगाई में उछाल के चलते आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “मैं इससे इनकार नहीं कर रही हूं। लेकिन जब तिलहन का संकट पैदा हुआ तो हमने तुरंत टैक्स घटाया। हमने पाम ऑयल का आयात बढ़ाने के भी प्रयास किए। हमने इस बजट में भी इसका प्रावधान किया है जिससे तिलहन का उत्पादन बढ़े।”
अपनी बात को सही साबित करने के लिए वित्त मंत्री ने यूपीए सरकार के समय की महंगाई दर का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “मैं इस बात रेखांकित करना चाहती हूं कि हमारी सरकार के दौर महंगाई 6 फीसदी नहीं उछली है...2014 से पहले लगातार 10, 11 और 12 फीसदी के आसपास बनी रही थी।”
बेरोजगारी के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने वैश्विक हालात और महामारी का बहाना बना दिया। उनहोंने कहा, “महामारी का असर नौकरियों पर पड़ा है, लेकिन आत्मनिर्भर के जरिए बहुत से रोजगार मजबूती से बने रहे...हम लोगों को योजनाओं के जरिए मदद कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं इस बात से इनकार नहीं कर रही हूं कि महामारी का असर नौकरियों और रोजगार पर नहीं पड़ा, लेकिन यह कहना कि हमने कुछ नहीं किया सही नहीं है....हमने आर्थिक सर्वे में विस्तार से इस बात को सामने रखा है कि हमने रोजगार और नौकरियों के मोर्चे पर क्या किया है...मैं संजीव सान्याल (सरकार के आर्थिक सलाहकार) से कहूंगी कि वह सारी सूचनाएं आप लोगों के साथ शेयर करें. उससे आपको समझने में मदद मिलेगी।”
लेकिन कालेधन पर सवाल को उन्होंने टाल दिया। इसके बाद उन्होंने माइक अपने साथ बैठे एक अफसर को दे दिया। ध्यान रहे कि मोदी सरकार ने अपने सातवें बजट में पूंजीगत खर्च को 27 फीसदी बढ़ाया है और इसका बड़ा हिस्सा ढांचागत परियोजनाओँ में लगाने की बात की है, लेकिन साथ ही सरकार ने कई मोर्चों पर सब्सिडी भी खत्म कर दी है।
इसके अलावा मनरेगा जैसी योजनाओं के लिए बजटीय प्रावधान नहीं बढ़ाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी और रोजगार सृजन में भी दिक्कतें आएंगी।
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