पश्चिम बंगाल: ‘जय श्री राम’ पर तकरार के बीच ममता ने बीजेपी दफ्तर का तुड़वाया ताला, कब्जे का लगा आरोप

30 मई को ममता बनर्जी राज्‍य के उत्‍तरी 24 परगना जिले के दौरे पर गईं थी और उन्होंने नैहाटी इलाके में एक ऑफिस पर फिर से कब्‍जा कर लिया। इस ऑफिस पर बीजेपी का सिंबल लगा था और पार्टी का नाम पेंट किया हुआ था।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा के बाद बीजेपी और टीएमसी के बीच तकरार जारी है। 30 मई को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी उत्तर 24 परगना के नैहाटी इलाके में पहुंची और टीएमसी के कब्जाए दफ्तर को आजाद कराया।

टीएमसी कार्यकर्ताओं का कहना है कि बीजेपी के लोगों ने दफ्तर पर कब्जा करने के साथ ही उसे भगवा कलर से पेंट करने के साथ ही कमल का निशान बना दिया था। टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने अपने हाथों में ब्रश लिया और टीएमसी के रंग में दफ्तर को रंगने के साथ ही पार्टी का चुनाव निशान भी बनाया। इस दौरान टीएमसी नेताओं का आरोप लगाया कि बैरकपुर से बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद अर्जुन सिंह के निर्देश पर टीएमसी दफ्तर पर कब्जा किया गया था।

दूसरी ओर हाल ही में बीजेपी कार्यकर्ताओं के ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने पर भड़कीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमत्री ममता बनर्जी और टीएमसी के कई नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर और फेसबुक पर अपनी डिस्पले पिक्चर (डीपी) रविवार रात को बदल दी और उनकी डीपी में अब ‘जय हिंद, जंय बांग्ला नजर आ रहा है।

इससे पहले फेसबुक पोस्ट में ममता बनर्जी ने बीजेपी पर धर्म को राजनीति के साथ मिलाने का आरोप लगाया था और लोगों से किसी भी तरह की अराजकता और अशांति को रोकने का आग्रह किया था।


महात्मा गांधी, क्रांतिकारी नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मातंगिनी हाजरा, नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ टैगोर, और कवि काजी नजरूल इस्लाम की तस्वीरों के साथ तृणमूल के आधिकारिक ट्विटर और फेसबुक अकाउंट की डीपी भी बदलकर ‘जय हिंद, जय बांग्ला’ कर दी गई।

19वीं सदी के बंगाल के पुनर्जागरण के अगुआ जैसे कि ईश्वर चंद्र विद्यासागर, राजा राम मोहन राय, धार्मिक और सामाजिक विचारक स्वामी विवेकानंद और भारतीय संविधान के जनक बी आर अम्बेडकर भी डीपी का हिस्सा हैं।


ममता बनर्जी और तृणमूल के अन्य नेताओं ने पिछले महीने कोलकाता में बीजेपी प्रमुख अमित शाह के चुनाव रोड शो के दौरान हुई हिंसा और विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने के विरोध में विद्यासागर की तस्वीर प्रदर्शित करने के लिए अपनी सोशल मीडिया डीपी को बदल दिया था।

ममता बनर्जी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा था, “जय सिया राम, जय राम जी की, राम नाम सत्य है आदि धार्मिक और सामाजिक धारणाएं हैं। हम इन भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन बीजेपी धर्म को राजनीति के साथ मिलाकर धार्मिक नारे जय श्री राम का अपने पार्टी के नारे के रूप में गलत तरीके से इस्तेमाल कर रही है।”

उन्होंने कहा, “हम तथाकथित आरएसएस के नाम पर दूसरों पर राजनीतिक नारों को थोपने का सम्मान नहीं करते जिसे बंगाल ने कभी स्वीकार नहीं किया। यह बर्बरता और हिंसा के माध्यम से नफरत की विचारधारा को बेचने का एक जानबूझकर किया जा रहा प्रयास है जिसका हमें विरोध करना चाहिए।”


यह स्पष्ट करते हुए कि उन्हें किसी भी पार्टी के नारे के साथ कोई समस्या नहीं है, उन्होंने लिखा, “प्रत्येक राजनीतिक दल का अपना नारा होता है। मेरी पार्टी के पास जय हिंद, वंदे मातरम का नारा है। वामपंथियों का नारा है इंकलाब जिंदाबाद। अन्य पार्टियों के अलग-अलग नारे हैं। हम एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।”

टीएमसी अध्यक्ष ने कहा कि कोई भी हर समय लोगों को मूर्ख नहीं बना सकता है। उन्होंने बंगाल में फैलाए जा रहे विभाजन के प्रयास के प्रति लोगों को चेताया। उन्होंने लोगों से देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को बरकरार रखने के लिए बीजेपी के ऐसे कदमों का कड़ाई के साथ विरोध करने का आग्रह किया।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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