लेह में अब कैसे हैं हालात? अभी भी कड़ी पाबंदियां लागू, बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात

प्रशासन ने बताया कि जिले में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। सुबह से ही सुरक्षा कर्मी मुख्य बाजारों और संवेदनशील इलाकों में गश्त कर रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लद्दाख के लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसा के बाद हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। प्रशासन ने भारतीय न्याय संहिता (BNSS) 2023 की धारा 163 के तहत लगाई गई पाबंदियों को फिलहाल जारी रखा है। इस आदेश के तहत जिले में 5 या उससे अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। साथ ही, किसी भी तरह की रैली, जुलूस या मार्च निकालने से पहले प्रशासन से लिखित अनुमति लेना अनिवार्य होगा।

लेह में सुरक्षा के कड़े इंतजाम

स्थानीय प्रशासन ने बताया कि जिले में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। सुबह से ही सुरक्षा कर्मी मुख्य बाजारों और संवेदनशील इलाकों में गश्त कर रहे हैं।


प्रशासन की अपील

जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और शांति बनाए रखने में सहयोग करें। अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो भी व्यक्ति आदेशों का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

आगे की स्थिति

  • फिलहाल प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है। अगर आने वाले दिनों में स्थिति सामान्य होती है तो पाबंदियों की समीक्षा की जा सकती है। लेकिन अभी के लिए लेह में किसी भी तरह की भीड़भाड़ और बिना अनुमति के सार्वजनिक आयोजन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे।

  • BNSS, 2023 में धारा 163 उसी तरह लागू होती है जैसे पहले IPC की धारा 144 के तहत होती थी, यानी शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सामूहिक गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है।


लेह में 24 सितंबर को क्या हुआ था?

  • लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्ज और संवैधानिक सुरक्षा जैसे छठी अनुसूची की मांग को लेकर हिंसका प्रदर्शन हुआ।

  • पहले यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन था, लेकिन बाद में हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।

  • प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय, क्षेत्रीय सरकारी भवन और पुलिस वाहनों में आग लगा दी।

  • पुलिस ने नियंत्रण करने के लिए आंसू गैस, लाठीचार्ज, और अपराध नियंत्रण उपाय किए।

  • संघर्ष में कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए।

  • सुरक्षा बलों और पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं।

  • इसके बाद प्रशासन ने प्रतिबंध और सुरक्षा बढ़ाने जैसे कदम उठाए।

  • इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं और कई सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई।

वांगचुक के समर्थन में सड़क पर उतरे लोग

  • सोनम वांगचुक पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांगों का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने इस आंदोलन में जनता को आशा और नेतृत्व दिया, जिसमें युवा और स्थानीय संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।

  • वांगचुक ने विरोध प्रदर्शन और अनशन भी किया। 15 दिनों तक चले इस अनशन को उन्होंने तब तोड़ा, जब प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया। इस दौरान उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

  • पुलिस और प्रशासन ने आरोप लगाया कि वांगचुक के बयान “उत्तेजक” थे और उन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


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