बिहार में कोरोना गाइडलाइन का कितना असर? शहरों में टल रहीं शादियां, गांवों में बज रहीं शहनाइयां

कोरोना मरीजों की संख्या को बढ़ते देखते हुए बिहार सरकार ने शादी समारोहों में 50 से अधिक लोगों के शामिल होने पर पाबंदी लगा दी है। इस कारण पहले से तय हुई तिथियों पर या तो शादियां टल रही हैं या फिर लोग गांव में जाकर शादियां कर रहे हैं।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

हिंदू परंपरा के मुताबिक खरमास समाप्त होने के बाद शादी विवाह का लग्न शुरू हो गया, हालांकि कोरोना की गाइड लाइन के कारण इस बार शहर से ज्यादा गांवों में शहनाई बज रही हैं। शहर के होटलों में रिंग सेरेमनी या सगाई की रस्म जरूर निभाई जा रही है। कोरोना मरीजों की संख्या को बढ़ते देखते हुए बिहार सरकार ने शादी समारोहों में 50 से अधिक लोगों के शामिल होने पर पाबंदी लगा दी है। इस कारण पहले से तय हुई तिथियों पर या तो शादियां टल रही हैं या फिर लोग गांव में जाकर शादियां कर रहे हैं।

हिंदू परंपरा के मुताबिक, शादियां शुभ मुहूर्त में करना शुभ माना जाता है। ऐसे में लोग खरमास के बाद शुभ लग्न में शादियों की तिथि निश्चित कर चुके थे। इधर, सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों के कारण लोग अब लोग अपने गांव में जाकर शादी करना चाह रहे है, जिनके गांवों में सुविधा नहीं मिल रही है, वह शादी की तिथि अप्रैल या उससे आगे निश्चित कर रहे।

शहर के जितने भी होटल व बैंक्वेट हॉल हैं, वहां पर जनवरी, फरवरी में शादी समारोह कम होते जा रहे हैं, लेकिन रिंग सेरेमनी के आयोजन हो रहे हैं।

पटना के राजा बाजार स्थित एक होटल प्रबंधक ने बताया कि शादी के लिए बुकिंग लगभग टल गयी है, लेकिन इस बीच 50 लोगों से कम की रिंग सेरेमनी का आयोजन शुरू होने से कुछ राहत मिल रही है।

उन्होंने बताया कि कुछ शादियां भी होने के लिए बुकिंग कराई थी, लेकिन लोग अब अप्रैल में शादी करना चाह रहे हैं। लोगों का मानना है कि अप्रैल तक कोरोना का भय पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।

इधर, गांवों में टेंट हाउस संचालकों की बुकिंग तेज है। औरंगाबाद के अंबा के एक टेंट हाउस संचालक ने बताया कि शहरी क्षेत्र की अधिकतर बुकिंग कैंसिल हो गई है, लेकिन गांवों से अभी ऑर्डर मिलने लगे हैं।

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