तुर्की से हमने क्या सीखा, भारत में विनाशकारी भूकंप आया तो क्या होगा? देश के इन इलाकों पर मंडरा रहा तबाही का खतरा

भारत के 59 फीसदी इलाके भूकंप के लिहाज से खतरे में हैं। इनमें 11 प्रतिशत इलाके भूकंप की आशंका वाले जोन-5 यानी सबसे ज्यादा संभावित खतरे वाले क्षेत्र में आते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

तुर्की और सीरिया में शक्तिशाली भूकंप से चारों तरफ तबाही का आलम है। अब तक 9500 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 20 हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। सैकड़ों इमारतें जमींदोज हो गई हैं। इमारतों के मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालने के लिए बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेश चलाया जा रहा है। तुर्की और सीरिया से आ रही तस्वीरों को देखकर आंखें नम हैं, मन विचलित है। इन सबके बीच मन में जो सवाल घूम रहे हैं वह ये कि अगर भारत में इस तरह के शक्तिशाली भूकंप आए तो क्या होगा? भारत के कौन-कौन से इलाकों में इस तरह का भूंकप आने की संभावना है? और सबसे बड़ा सवाल यह कि तुर्की और सीरिया से हमें क्या सबक मिली?

भूकंप के लिहाज से खतरे में हैं भारत के 59% इलाके

भारत के 59 फीसदी इलाके भूकंप के लिहाज से खतरे में हैं। मतलब यह कि देश का 59 फीसदी इलाका भूकंप आने की उच्च संभावना वाले चार जोन में शामिल है। इनमें 11 प्रतिशत इलाके भूकंप की आशंका वाले जोन-5 यानी सबसे ज्यादा संभावित खतरे वाले क्षेत्र में आते हैं। इनमें 18 फीसदी इलाके भूकंप की आशंका वाले जोन-4 में आते हैं, जबकि जोन-2 और जोन-3 में 30 फीसदी हिस्से आते हैं। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं हमारे भी देश में विनाशकारी भूकंप आने का खतरा कितना ज्यादा है।


कौन सा राज्य किस भूकंप जोन में आता है?

भारत में भूकंप से सबसे ज्यादा खतरा हिमालयी इलाकों को है। भारतीय मानक ब्यूरो ने भूकंप के खतरे के लिहाज से देश को 5 अलग-अलग भूकंप जोन में बांटा है। देश में पांचवें जोन को सबसे ज्यादा खतरनाक और सक्रिय माना जाता है। इस जोन में आने वाले राज्यों और इलाकों में तबाही का खतरा सबसे ज्यादा है।

भूकंप जोन-5: भूकंप के लिहास से इस जोन को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है। इस जोन में कश्मीर घाटी, पश्चिमी हिमाचल, पूर्वी उत्तराखंड, गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरी बिहार, पूर्वोत्तर के सभी राज्य और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को शामिल है।

भूकंप जोन-4: जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, उत्तराखंड के कुछ इलाके, लद्दाख, हिमाचल और हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, सिक्किम, उत्तरी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके, गुजरात, पश्चिमी घाट पर महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और पश्चिमी राजस्थान के कुछ इलाके इस जोन में शामिल हैं।

भूकंप जोन-3: उत्तर प्रदेश, लक्षद्वीप, केरल, गोवा, हरियाणा के कुछ हिस्से, पंजाब, पश्चिम बंगाल और गुजरात के कुछ क्षेत्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और बिहार के कुछ इलाके, पश्चिमी राजस्थान और झारखंड का उत्तरी हिस्सा इस जोन में शामिल हैं। महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ इलाकों को भी इस जोन में रखा गया है।

भूकंप जोन-2: मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्से इस जोन में आते हैं।

भूकंप जोन-1: यह वो जोन है, जिसमें भूकंप आने की संभावना बहुत कम है। इसमें देश के बाकी बचे इलाके आते हैं।

दिल्ली में आ सकता है 7 तीव्रता वाला भूकंप

दिल्ली को जिस जोन में रखा गया है, उससे आशंका जताई गई है कि यहां 7 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप भी आ सकते हैं। जाहिर है अगर ऐसा हुआ तो राजधानी में भारी तबाही मचेगी। भू-विज्ञान मंत्रालय ने एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में अगर 6 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता का भूकंप आता है, तो यहां बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि हो सकती है। दिल्ली की आधा से ज्यादा इमारतें भूकंप के तेज झटके को झेल पाने में सक्षम नहीं हैं। वहीं कई इलाकों में घनी आबादी की वजह से बड़ी संख्या में जनहानि हो सकती है।


 दिल्ली के किन इलाकों को भूकंप से है ज्यादा खतरा?

सिस्मिक हजार्ड माइक्रोजोनेशन ऑफ दिल्ली की एक रिपोर्ट में दिल्ली को तीन जोन में बांटा गया है। इसमें ज्यादा खतरे में यमुना नदी के किनारे के ज्यादातर इलाके और कुछ उत्तरी दिल्ली के इलाके शामिल हैं। सबसे ज्यादा खतरे वाले जोन में दिल्ली यूनिवर्सिटी का नार्थ कैंपस, सरिता विहार, गीता कॉलोनी, शकरपुर, पश्चिम विहार, वजीराबाद, रिठाला, रोहिणी, जहांगीरपुरी, बवाना, करोलबाग, जनकपुरी हैं।

वहीं, दूसरे सबसे बड़े खतरे वाले जोन में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बुराड़ी और नजफगढ़ शामिल हैं। दिल्ली का लुटियंस जोन भी हाई रिस्क वाला इलाका है, हालांकि यहां खतरा उतना नहीं है। इसमें संसद भवन, कई मंत्रालय और मंत्रियों के आवास हैं। वहीं, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, एम्स, छतरपुर, नारायणा, हौज खास सबसे सुरक्षित जोन में हैं।

भूकंप के लिहाज से दिल्ली में 90% भवन असुरक्षित

दिल्ली के कई इलाके भूकंप जोन-4 में आते हैं। यानी दिल्ली में तगड़ा भूकंप आने का खतरा है। पृथ्वी मंत्रालय और एमसीडी द्वारा साल 2020 में किए गए सर्वे में यह बात सामने आई थी कि दिल्ली के 90 प्रतिशत भवन सिस्मिक जोन-4 के खतरों से निपटने के मानक पर खरे नहीं उतरते हैं। ऊंची-ऊंची इमारतों के निर्माण और भारी भीड़ के कारण आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्य भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, जो एक चिंता का विषय है।

दिल्ली में इमारतों को भूकंप रोधी और उनकी मजबूती सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली हाइकोर्ट के आदेश पर 2019 में एक एक्शन प्लान भी बना था। इसके तहत दो साल में सभी ऊंची इमारतों और अगले तीन वर्ष में सभी इमारतों की ढांचागत मजबूती सुनिश्चित करने को कहा गया था, लेकिन यह कार्य अभी भी पूरा नहीं हो पाया है।

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Published: 08 Feb 2023, 1:24 PM