दिल्ली में वीवीपैट से नहीं मिली पर्ची तो शिकायत करने वाले को दी गई धमकी, चार घंटे बिठाया थाने में

दिल्ली के मटियाला इलाके में एक वोटर ने जब वोट डालने के बाद देखा कि वीवीपैट से पर्ची किसी और उम्मीदवार की निकली है तो उसने इसकी शिकायत की। इस पर पोलिंग बूथ में मौजूद अधिकारियों ने वोटर को धमकी दी और उसे पुलिस के हवाले कर दिया।

(बाएं) शिकायतकर्ता मिलन गुप्ता और (दाएं) ईवीएम और वीवीपैट की सांकेतिक फोटो
(बाएं) शिकायतकर्ता मिलन गुप्ता और (दाएं) ईवीएम और वीवीपैट की सांकेतिक फोटो
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उमाकांत लखेड़ा

अगली बार यदि आप किसी पोलिंग बूथ पर अपने वोट का मिलान वीवीपैट की पर्ची से करेंगे तो आपको अपमान सहने के लिए तैयार रहना होगा। यानी ईवीएम के वोट और वीवीपैट में पड़े वोट अलग-अलग पार्टियों को पड़ने की शिकायत करने की हिमाकत की तो, खबरदार आपको गिरफ्तारी तक की नौबत झेलनी पड़ सकती है।

तीसरे चरण की वोटिंग के दौरान 23 अप्रैल को गुवाहटी में ऐसा ही वाकया हुआ था जब असम पुलिस के रिटायर्ड डीजीपी ने बूथ पर ही इस बात की शिकायत की थी कि जिस पार्टी को उन्होंने वोट किया है, वीवीपैट में उनका वोट दूसरे उम्मीदवार को गया। इस वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को पोलिंग बूथ पर चुनाव अधिकारियों ने खुलेआम धमकी दी थी कि अगर जांच में आपकी यह शिकायत बोगस निकली तो जेल हो सकती है।

बुढ़ापे में अपनी इज्जत बचाने को इस रिटायर्ड अधिकारी हरिकिशन डेका ने धमकी मिलते ही शिकायत वापस ले ली थी। लेकिन यह खबर पूरे देश में मीडिया में सुर्खियां बनने से से नहीं रुक पायी।

गुवाहटी जैसा वाकया रविवार को देश की राजधानी दिल्ली में भी दोहराया गया। दिल्ली के द्वारका इलाके में आईआईटी और आईआईएम पास कर चुके मिलन गुप्ता नामक एक शख्स ने ठीक ऐसे ही एक हैरतअंगेज करने वाले अनुभव को बयान किया है कि किस तरह वीवीपैट से निकली गलत पर्ची को चुनौती देने पर उन्हें बूथ पर पोलिंग अधिकारियों ने गिरफ्तारी की धमकी दी।

गुप्ता का दावा है कि वीवीपैट देश के मतदाताओं के साथ एक बड़ा धोखा है, क्योंकि जिस पार्टी या उम्मीदवार को हम वोट डाल रहे हैं, वीवीपैट पर्ची दूसरे के नाम निकल रही है। साथ ही इस अवैध कारगुजारी का विरोध करने वाले को प्रताड़ित, अपमानित व आतंकित किया जा रहा है।


मिलन गुप्ता आपबीती सुनाते हुए बताते हैं कि 12 मई रविवार को दिल्ली द्वारिका इलाके के मटियाला बूथ नंबर 96 पर लोकसभा चुनाव के लिए वोट डालने गए थे। बटन दबाया तो मशीन का लाल बटन तो चमका लेकिन वीवीपैट की पर्ची में उस उम्मीदवार को मेरा वोट पड़ गया जिसे हमने वोट ही नहीं दिया था।

उनका कहना है कि, “मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी के समक्ष शिकायत के साथ विरोध करने पर मुझे सलाह दी गई कि बूथ के नोडल अधिकारी को शिकायत करें। उसके उपरांत मुझे सेक्टर के अधिकारी से संपर्क करने को कहा गया। मुझे इस बात से गहरा धक्का लगा कि शिकायत पर अमल के बजाय सारे अधिकारियों ने मुझे धमकाना शुरू कर दिया कि मैं इस बाबत को कोई शिकायत न करूं।”


मिलन बताते हैं कि, “जब मेरे पूरी तरह अड़े रहने पर मुझे खुली धमकी दे दी गई कि मुझे आईपीसी की धारा 177 के तहत गिरफ्तार कर दिया जाएगा। कानून की जानकारी रखने वाले इस युवक ने जब बताया कि इस धारा के तहत बिना कोर्ट के आदेश के किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता और कहा कि कम से कम उनकी लिखित शिकायत को कानूनी प्रक्रिया के तहत स्वीकार किया जाय तो अनुच्छेद 6 के अधीन शिकायत करने पर आपको गिरफ्तार कर दिया जाएगा।”

उन्होंने बताया कि बूथ पर मुझे मतदान अधिकारियों ने मेरी पत्नी को भी फोन से इस बाबत सूचना देने को कहा जिसका सीधा सा आशय था उन्हें आतंकित करना। अधिकारियों का दावा था कि पूरे देश में किसी ने भी वीवीपैट मामलों में गड़बड़ी के बाबत कोई शिकायत नहीं की इसलिए अनुच्छेद 6 के तहत की गई शिकायत को मुझे वापस लेना होगा।”

बकौल गुप्ता, इसी बीच उन पर यह भी दबाव बनाया गया कि वे टेस्ट वोट के लिए तैयार रहें। लेकिन मुझे यह सुझाव बेतुका लगा। साफ था कि इससे मेरे वोट की गोपनीयता ही भंग हो जाती। मिलन गुप्ता ने अधिकारियों को कहा कि यदि आप शिकायत करेंगे तो आपने वोट किसे दिया यह हमें बताना होगा। तो कहने पर मैंने अधिकारियों को कहा कि मुझे इस बारे में लिखित तौर पर अपनी बात कहें। कोई लिखित देने को तैयार नहीं हुआ।

फिर अधिकारी दबाव बनाने लगे कि मैं टेस्ट वोट के लिए तैयार रहूं। इस बहसबाजी में करीब डेढ घंटा नष्ट हो गया। गुप्ता कहते हैं मेरे प्रतिरोध के बाद भी वोटिंग प्रक्रिया चलती रही। वे इस बात को बार बार धमकी के तौर पर कहते रहे कि अगर टेस्ट वोट पर दावा सही नहीं पाया गया तो मुझे वे हिरासत में ले लेंगे। मिलन गुप्ता कहते हैं कि अधिकारियों की सारी बातें फिजूल थीं।

उनके मुताबिक “काफी जद्दोजहद के बाद मेरा टेस्ट वोट 6 बजे शुरू हुआ। जबकि मेरी शिकायत डेढ़ घंटा पहले रजिस्टर्ड हो चुकी थी। वोटिंग टेस्ट आरंभ हुआ। मुझसे कोई भी बटन दबाने को कहा गया। उस मौके पर गवाह भी मेरे साथ था। मैं इवीएम मशीन के सामने खड़ा हुआ। अपनी आंखों को ऊपर केंद्रित किया। इवीएम का बटन बिना देखे अचानक दबाया। स्पष्ट था कि इससे मेरे पिछले वोट की मेरी मंशा जाहिर नहीं होती। इसी क्रम में मेरी अंगुली ईंट के चुनाव चिन्ह पर लगी तो शायद किसी निर्दलीय उम्मीदवार के नाम था। उसके बाद अधिकारी ने कहा कि मैं गलत साबित हो चुका हूं। मैने अधिकारी से जिरह की कि आपने अचानक बटन दबाने को कहा था और मैंने वैसा ही फ़ॉलो किया था। अधिकारी ने मेरी कुछ नहीं सुनी। बूथ पर मौजूद पुलिस कर्मी को बुलाकर मुझे तत्काल गिरफ्तार करने का हुक्म हो गया।

उन्होंने बताया कि “पुलिसवाला मौन रहा लेकिन उसके कुछ देर बाद पुलिसकर्मी ने मुझे थाने चलने को कहा। मैं साथ में द्वारिका के सेक्टर 9 थाने पहुंचा। वहां आलम यह था कि मेरा क्या करना है किसी पुलिसकर्मी को पता ही नहीं था। थाने से पुलिसकर्मी चुनाव अधिकारी को फोन पर पूछते रहे कि मेरे बारे में क्या कार्रवाई करनी है। चार घंटे तक भी वे कुछ नहीं कर सके। मुझे अवैध तौर पर नजरबंद रखा गया। बाद में मेरा धैर्य टूट गया। मैने थाने में कहा कि या तो मुझे गिरफ्तार किया जाए या मुझे घर जाने दिया जाए। उसके बाद पुलिस वाले दबाव में आए और मुझे घर छोड़ गए।

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