मणिपुर को ‘अफगानिस्तान की राह’ पर क्यों जाने दिया जा रहा है? कांग्रेस सांसद का मोदी सरकार से सवाल
अकोइजाम ने कहा कि जब मणिपुर में 60,000 सैनिक मौजूद हैं, केंद्र सरकार को इस संकट को इतने लंबे समय तक खिंचने से रोकना चाहिए था। उन्होंने पूछा कि अगर यह उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान या मध्य प्रदेश में हुआ होता, तो क्या इसे लंबे समय तक जारी रहने दिया जाता?
मणिपुर में जारी संकट के बीच कांग्रेस सांसद ए. बिमल अकोइजाम ने केंद्र की निष्क्रियता पर तीखे सवाल उठाते हुए पूछा कि मोदी सरकार मणिपुर को अफगानिस्तान की तरह ‘बनाना रिपब्लिक’ क्यों बनने दे रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि ऐसी स्थिति उत्तर प्रदेश और बिहार में पैदा हुई होती तो इसे अनसुलझा नहीं छोड़ा जाता।
अकोइजाम ने मणिपुर की स्थिति से निपटने के केंद्र के तरीके की कड़ी निंदा की और सवाल किया कि भारत सरकार पूर्वोत्तर राज्य को अफगानिस्तान की तरह क्यों बनने दे रही है। उन्होंने अफगानिस्तान को ‘बनाना रिपब्लिक’ (कमजोर सरकार वाला ऐसा देश जो किसी एक ही वस्तु के निर्यात से मिलने वाले धन पर निर्भर होता है) करार दिया।
अकोइजाम ने कहा, ‘‘ऐसे में जब मणिपुर में 60,000 सैनिक मौजूद हैं, केंद्र सरकार को इस संकट को इतने लंबे समय तक खिंचने से रोकना चाहिए था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर यह उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान या मध्य प्रदेश में हुआ होता, तो क्या इसे लंबे समय तक जारी रहने दिया जाता? ज्यादातर लोग ‘नहीं’ कहेंगे।’’
अकोइजाम ने केंद्र से राज्य सरकार में व्याप्त समस्याओं को सुलझाने के लिए वार्ता करने का आग्रह किया और दावा किया कि बीजेपी के विधायक अलग प्रशासन के मुद्दे पर दो अलग-अलग बातें बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने विधायकों और मंत्रियों को बुलाकर कहना चाहिए था कि ‘भारत में ऐसा नहीं होना चाहिए। मणिपुर किसी ‘बनाना रिपब्लिक’ का हिस्सा नहीं है, मैं ऐसा नहीं होने दूंगा, बात करके पता लगाओ, समस्या क्या है’।’’मणिपुर में पिछले महीने कुछ कुकी समूहों ने पुडुचेरी की तर्ज पर विधानसभा के साथ एक केंद्र-शासित प्रदेश के निर्माण की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया था कि यह विवाद खत्म करने का एकमात्र तरीका है।
लोकसभा में ‘इनर मणिपुर’ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अकोइजाम ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि वे इस व्यापक संकट में सिंह को एक ‘‘अंशकालिक खिलाड़ी’’ के रूप में देखते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इसके लिए वह बिल्कुल जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘इस संकट के लिए भारत सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है।’’
उन्होंने राज्य की खराब होती स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और अफगानिस्तान का उदाहरण दिया ‘‘जहां कबीलाई सरदार घूमते रहते हैं और केंद्रीय सत्ता अपना प्रभाव नहीं जमा पाती।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि मणिपुर अफगानिस्तान की राह पर जा रहा है, कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘भारत सरकार इसकी अनुमति दे रही है, इसलिए सवाल यह है कि - यह पूछने के बजाय कि क्या मणिपुर अफगानिस्तान की राह पर जा रहा है, हमें यह पूछना चाहिए कि भारत सरकार मणिपुर को अफगानिस्तान की तरह ‘बनाना रिपब्लिक’ क्यों बनने दे रही है। यह सही सवाल होना चाहिए।’’
अकोइजाम ने आरोप लगाया कि मणिपुर को अस्थिर करने का जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई राज्य को विभाजित करने और टुकड़े-टुकड़े करने की चाह रखने वालों के साथ मिलकर यह साजिश रच रहा है।’’ उन्होंने कहा कि मणिपुर में देखी गई हिंसा औपनिवेशिक काल के बाद भारत में हुई अप्रत्याशित हिंसा थी। उन्होंने इसे गृह युद्ध के समान बताया, जिसमें अत्याधुनिक हथियारों और सैन्य शैली के अभियानों का प्रयोग किया गया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एसोसिएट प्रोफेसर अकोइजाम ने कहा, ‘‘भारत ‘बनाना रिपब्लिक’ नहीं है... अगर भारतीय सशस्त्र बलों को किसी अन्य देश में शांति सेना के रूप में काम करने की अनुमति दी जाती, तो भी आप ऐसी चीजें नहीं होने देते।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह सिंह के कार्यों को ‘क्लीन चिट’ दे रहे हैं, अकोइजाम ने इतिहास में हुए अत्याचारों के साथ इसकी तुलना करते हुए कहा कि किसी भी अधिकारी को, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो, जवाबदेही से बचना नहीं चाहिए।
उन्होंने संकट को लेकर सिंह के असंगत बयानों की आलोचना करते हुए कहा कि ये बयान जमीनी स्थिति को स्पष्ट करने के बजाय विरोधाभासी और भ्रामक हैं। अकोइजाम ने कहा कि शुरू से ही कई प्रकार के बयान दिए गए- कभी दावा किया गया कि इसमें इसमें मादक पदार्थ-आतंकवाद शामिल है, कभी दावा किया गया कि ऐसा नहीं है और कभी-कभी यह भी कहा गया कि इसमें विदेशी तत्व शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन असंगत बयानों ने असल समस्या संबंधी स्थिति को और भी अस्पष्ट कर दिया है।
सरकारी संस्थाओं में विश्वास टूटने के मुद्दे पर बात करते हुए अकोइजाम ने पुलिस सहित सुरक्षा बलों पर भरोसा कम होने को लेकर दुख जताया। उन्होंने कहा, ‘‘जब सरकारी संस्थाओं में विश्वास खत्म हो जाता है, तो इससे सरकार की वैधता पर सवाल उठता है।’’ अकोइजाम ने गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि मणिपुर में हाल में तीन दिन हुई हिंसा को छोड़कर समग्र रूप से स्थिति शांत है।
मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई, 2022 को पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था जिसके बाद राज्य में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में 220 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें कुकी और मेइती समुदायों के सदस्यों के अलावा सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं।
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