फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर की पत्नी से 200 करोड़ की ठगी, जानें जेल से सरगना ने किनकी मदद से दिया साजिश को अंजाम

पुलिस अधिकारी ने बताया कि एक आरोपी के खुलासे के आधार पर रोहिणी जेल के सहायक जेल अधीक्षक धर्म सिंह मीणा और उपाधीक्षक सुभाष बत्रा रैकेट में शामिल पाए गए। उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्होंने रिश्वत के बदले आरोपी शेखर की मदद की और उसे सुविधाएं प्रदान की।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर सिंह की पत्नी अदिति एस सिंह से एक शख्स द्वारा केंद्रीय कानून मंत्रालय का अधिकारी बनकर 200 करोड़ रुपए ठगने का मामला सामने आया है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में शिकायत मिलने पर मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ, जिसमें पता चला कि इस ठगी का मास्टरमाइंड रोहिणी जेल में बंद है और उसने वहीं से अपने गुर्गों, जेल अधिकारियों, बैंक अधिकारियों की मदद से पूरी घटना को अंजाम दिया।

ईओडब्ल्यू के अतिरिक्त आयुक्त आर.के. सिंह ने कहा कि दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ को 7 अगस्त को अदिति सिंह से एक शिकायत मिली थी, जिसमें उसने उल्लेख किया कि उन्हें जून 2020 में उनके मोबाइल फोन पर एक कॉल आया था और जिसमें फोन करने वाले ने खुद को कानून मंत्रालय का एक वरिष्ठ अधिकारी बताया था और साथ ही उनके पति के लिए जमानत हासिल करने में उनकी मदद करने का प्रस्ताव रखा था।

उन्होंने कहा कि शिकायत में यह उल्लेख किया गया था कि फोन करने वाले ने काम करवाने के लिए पैसे की मांग की और अदिति सिंह को पैसे देने के तौर-तरीकों से भी अवगत कराया।
अधिकारी ने कहा कि आरोपों की पहले जांच की गई जिसमें यह पता चला कि रोहिणी जेल में बंद सुकाश चंद्र शेखर उर्फ सुकेश इस अपराध के पीछे का मास्टरमाइंड है। अतिरिक्त आयुक्त ने कहा कि साजिश का पदार्फाश करने के लिए पैसे की डिलीवरी पाने वाले शख्स को पकड़ने के लिए एक जाल बिछाया गया और इस तरह आरोपी प्रदीप रामदानी और दीपक रामनानी को क्रमश: 7 और 8 अगस्त को इस मामले में गिरफ्तार किया गया।


उन्होंने कहा कि पूछताछ में पता चला कि शेखर जेल के अंदर से मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रंगदारी का रैकेट चला रहा था। अधिकारी ने कहा कि शेखर ने मंत्रालय के लैंडलाइन नंबरों से जाली नंबरों का प्रयोग किया ताकि पीड़ित को यह विश्वास दिलाया जा सके कि फोन मंत्रालय से प्राप्त हुआ था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसके पास से अपराध में इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। इसके बाद मामला ईओडब्ल्यू को स्थानांतरित कर दिया गया ताकि धन का पता लगाया जा सके और धन के स्रोतों और अंतिम लाभार्थियों की पहचान की जा सके।

अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान मुख्य आरोपी शेखर और उसके सहयोगियों के बीच संपर्क स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आरोपी रमनानी से पूछताछ में पता चला कि आरोपी शेखर को दी जाने वाली सुविधाओं के एवज में रिश्वत लेने वाले जेल अधिकारी आरोपी की मदद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रमनानी ने जेल अधिकारियों के साथ-साथ उनके द्वारा पैसे इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों की पहचान का खुलासा किया।


अधिकारी ने कहा कि रमनानी के खुलासे के आधार पर, सहायक जेल अधीक्षक धर्म सिंह मीणा, और उपाधीक्षक सुभाष बत्रा रैकेट में शामिल पाए गए। उन्होंने स्वीकार किया है कि उन्होंने अवैध रूप से रिश्वत के बदले आरोपी शेखर की मदद की और उन्हें सुविधाएं प्रदान की। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान, यह भी पाया गया कि कनॉट प्लेस में आरबीएल बैंक के प्रबंधक कोमल पोद्दार, उनके दो सहयोगियों अविनाश कुमार और जितेंद्र नरूला धन के संचलन और नकदी की व्यवस्था के लिए संदिग्ध लेनदेन में शामिल थे। उन्होंने कहा कि पोद्दार, कुमार और नरूला को भी गिरफ्तार कर लिया गया है और अपराध का सुराग और आय हासिल करने के लिए विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की जा रही है।

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