दिल्ली के सीएम केजरीवाल को जमानत मिलेगी या नहीं? CBI की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जमानत के अनुरोध वाली केजरीवाल की याचिका पर भी अलग से सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक की दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर आज सुनवाई करेगा, जिसमें उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जमानत के अनुरोध वाली केजरीवाल की याचिका पर भी अलग से सुनवाई करेगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक की दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
सोमवार को जब केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया तो शीर्ष अदालत उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने पांच अगस्त को मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के कृत्यों में कोई दुर्भावना नहीं थी, जिससे यह पता चलता है कि आप नेता किस तरह गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं, जो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाही देने का साहस जुटा सके।
उच्च न्यायालय ने उनसे सीबीआई मामले में नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी और प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उनके खिलाफ साक्ष्यों का चक्र बंद कर दिया गया था और यह नहीं कहा जा सकता कि यह बिना किसी उचित कारण के या अवैध था।
इसमें कहा गया था कि केजरीवाल कोई साधारण नागरिक नहीं हैं, बल्कि मैगसायसाय पुरस्कार विजेता और आम आदमी पार्टी के संयोजक हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘गवाहों पर उनका नियंत्रण और प्रभाव प्रथम दृष्टया इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि ये गवाह याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद ही गवाह बनने का साहस जुटा सके, जैसा कि विशेष अभियोजक ने उजागर किया है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘साथ ही, यह स्थापित करता है कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र करने के बाद उसके खिलाफ सबूतों का चक्र बंद हो गया। प्रतिवादी (सीबीआई) के कृत्यों से किसी भी प्रकार की दुर्भावना का पता नहीं लगाया जा सकता है।’’
उच्च न्यायालय ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए जाने और अप्रैल 2024 में मंजूरी मिलने के बाद ही एजेंसी उनके खिलाफ आगे की जांच पर बढ़ी।
न्यायालय ने कहा था कि अपराध के तार पंजाब तक फैले हुए हैं, लेकिन केजरीवाल के पद के कारण उनके प्रभाव के कारण गवाह सामने नहीं आ रहे हैं। उच्च न्यायालय ने कहा था कि उसकी गिरफ्तारी के बाद ही गवाह अपने बयान दर्ज कराने के लिए आगे आए।
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