पश्चिम बंगाल में लगेगा राष्ट्रपति शासन? मुर्शिदाबाद हिंसा पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

सोमवार को भी सुप्रीम कोर्ट की एक अलग पीठ ने मुर्शिदाबाद हिंसा मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई की।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई बेंच आज सुनवाई करेगी। इस संबंध में वकील विष्णु शंकर जैन ने याचिका लगाई है, याचिका में मांग की गई है कि पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन सहित अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए। दरअसल, 13 अप्रैल से मुर्शिदाबाद में हुई झड़पों के बाद से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग उठ रही है। इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और 18 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

इससे पहले राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग पर जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप चाहते हैं कि हम राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए रिट जारी करें। अभी हमें विधायी और कार्यपालिका के अधिकारों में दखल देने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है। राष्ट्रपति शासन पर दायर याचिका का उल्लेख अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की ओर से किया गया था, जिसे रंजना अग्निहोत्री और अन्य द्वारा दायर एक लंबित याचिका के साथ सुनवाई के लिए रखा गया था, जिन्होंने 2021 में पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के संदर्भ में राष्ट्रपति शासन की मांग की थी। जैन ने कहा, 2021 के मामले में अदालत पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है और इस पर विचार किया जा रहा है। इस आवेदन के माध्यम से हमने हाल ही में हुई हिंसा की घटनाओं का हवाला दिया है। हम केवल संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत राज्य से केंद्र द्वारा रिपोर्ट मांग रहे हैं।


वहीं, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की एक अलग पीठ ने मुर्शिदाबाद हिंसा मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई की। अदालत ने दो याचिकाकर्ताओं अधिवक्ता विशाल तिवारी और शशांक शेखर झा को अपनी याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दी क्योंकि अदालत ने पाया कि याचिकाएं मीडिया रिपोर्टों पर आधारित थीं। आपको बता दें, कलकत्ता हाई कोर्ट ने 13 अप्रैल को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में केंद्रीय बलों को तैनात करने का आदेश दिया। बाद में पुलिस ने कार्रवाई की और दावा किया कि उसने आगजनी और हिंसा के सिलसिले में 118 लोगों को गिरफ्तार किया है।

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