क्या आज की वार्ता में कृषि कानूनों पर बनेगी बात, मोदी सरकार ने किसानों को 9वीं बार बातचीत के लिए बुलाया

किसानों के साथ मोदी सरकार की यह नौवें दौर की वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में दिन के 12 बजे आरंभ होगी। वार्ता से पहले सरकार और किसान संगठनों ने एक बार फिर बातचीत के सकारात्मक रहने की उम्मीद जताई है।

फोटोः getty iamges
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नवजीवन डेस्क

मोदी सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब दो महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के बीच आज फिर बातचीत होगी। किसानों के साथ सरकार की यह नौवें दौर की वार्ता दिल्ली के विज्ञान भवन में दिन के 12 बजे आरंभ होगी। वार्ता से पहले सरकार और किसान संगठनों ने एक बार फिर बातचीत के सकारात्मक रहने की उम्मीद जताई है।

वार्ता से एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ खुले मन से बातचीत के लिए तैयार है। नये कृषि कानून के मसले पर गतिरोध दूर करने और किसानों का आंदोलन समाप्त करने को लेकर सरकार शुक्रवार को आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ नौवें दौर की वार्ता करेगी। तोमर ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि किसानों के साथ अगले दौर की वार्ता सकारात्मक रहेगी।

भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने भी कहा कि शुक्रवार को 12 बजे किसान संगठनों के प्रतिनिधि सरकार के साथ वार्ता के लिए जाएंगे, जिसमें वह भी शामिल होंगे। नौवें दौर की वार्ता का मुख्य विषय क्या होगा? इस सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा कि किसानों की सिर्फ दो मांगें बची हैं जो प्रमुख हैं और इनमें से पहली मांग तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की है। इस मांग के पूरे होने पर ही किसान नेता दूसरी मांग पर चर्चा करेंगे।

किसान आंदोलन में शामिल क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने भी गुरुवार को कहा कि हम कल सरकार के साथ बैठक करेंगे। सरकार कैसा व्यवहार करती है, उसके आधार पर हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है। दर्शन पाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि कानूनों की समीक्षा के लिए गठित समिति के एक सदस्य ने पहले ही इस्तीफा दे दिया है, जो अच्छी बात है।

बता दें कि इस मसले पर सरकार और किसानों के बीच अब तक हुई आठ दौर की वार्ता बेनतीजा रही हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने नये कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया है, जिसमें चार सदस्यों को नामित किया गया है। हालांकि कमेटी में शामिल एक सदस्य भाकियू नेता भूपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग करने की घोषणा कर दी है। वहीं आंदोलनकारी किसानों ने इस कमेटी के सामने जाने से मना कर दिया है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार के नये कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन का आज 51वां दिन है और कड़ाके की इस ठंड में भी डटे किसानों का कहना है कि जब तक नये कृषि कानून वापस नहीं होंगे तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा। दिल्ली की सीमाओं पर स्थित प्रदर्शन स्थल सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में किसानों का प्रदर्शन चल रहा है।

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