बीजेपी में बदलाव की बयार का रुख मध्य प्रदेश की तरफ, राज्य में उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान के लिए बड़ा इम्तिहान

आज बीजेपी के सभी मुख्यमंत्रियों को जीत की गारंटी की कसौटी से ही गुजरना पड़ रहा है। इसलिए कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को एक बड़े इम्तिहान से गुजरना है और आगामी उपचुनाव के नतीजों पर काफी कुछ निर्भर रहने वाला है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

बीजेपी में बदलाव की बयार बह रही है। असम, कर्नाटक, उत्तराखंड और गुजरात में जिस तरह से बीजेपी ने मुख्यमंत्री चेहरे में बदलाव किया है, उसके बाद से ही कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लेकर खबरें लगातार आ रही हैं। हालांकि किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री बदलने को लेकर बीजेपी की तरफ से एक ही जवाब आता है कि जब भी इस तरह का कोई फैसला होगा तो बता दिया जाएगा।

लेकिन वास्तव में आज के दौर में बीजेपी के सभी मुख्यमंत्रियों को लोकप्रियता और जीत की गारंटी की कसौटी से ही गुजरना पड़ रहा है और इसलिए यह कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक बड़े इम्तिहान से गुजरना है और आगामी उपचुनाव के नतीजों पर काफी कुछ निर्भर रहने वाला है।

दरअसल मध्य प्रदेश में 30 अक्टूबर को खंडवा लोकसभा सीट के साथ ही 3 विधानसभा सीटों जोबट, रैगांव और पृथ्वीपुर पर उपचुनाव होना है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी इसका अंदाजा बखूबी है कि इन उपचुनावों को जीतना उनके लिए बहुत जरूरी है और इन सीटों पर दमोह उपचुनाव की तरह हार को पार्टी कतई बर्दाश्त नहीं कर सकती है।


बता दें कि खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन की वजह से उपचुनाव करवाना पड़ रहा है, जबकि पृथ्वीपुर और जोबट की सीटें कांग्रेस विधायकों बृजेंद्र सिंह राठौर और कलावती भूरिया के निधन की वजह से खाली हुई हैं और रैगांव सीट बीजेपी विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन की वजह से खाली हुई है।

मतलब विधानसभा की 3 में से एक सीट ही पहले बीजेपी के पास थी और लोकसभा सीट की बात करें तो खंडवा को बीजेपी का परंपरागत गढ़ माना जाता रहा है। यहां से बीजेपी नेता नंदकुमार सिंह चौहान 6 बार चुनाव जीत चुके थे और अब शिवराज सिंह चौहान के सामने यह चुनौती है कि उनके निधन के कारण खाली हुई इस सीट को बीजेपी के पाले में ही बरकरार रखा जाए।

यह उपचुनाव कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा शिवराज सिंह चौहान को भी है, इसलिए गुरुवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद उन्होने उपचुनाव में जीत का दावा किया था। इस उपचुनाव में दमोह उपचुनाव का इतिहास न दोहराया जाए, इसे लेकर शिवराज सिंह चौहान काफी सतर्क भी हैं। इसलिए उप चुनाव की घोषणा होने से पहले ही शिवराज जनदर्शन यात्रा के माध्यम से इन इलाकों के मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर चुके थे और उपचुनाव की तारीख का ऐलान होने के बाद उन्होने अपने 22 मंत्रियों को इस चुनाव में उतार दिया है। बीजेपी आलाकमान की नजर भी इन उपचुनावों पर बनी हुई है, इसलिए शिवराज की धड़कन भी बढ़ी हुई है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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