संसद का शीत सत्र आज से, आर्थिक सुस्ती, कश्मीर और नागरिकता संशोधन बिल को लेकर सरकार और विपक्ष होंगे आमने-सामने

संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरु हो रहा है। इस सत्र के हंगामेदार रहने की संभावना है क्योंकि तमाम ऐसे मुद्दे हैं जो सरकार और विपक्ष के बीच विवाद का केंद्र रहे हैं। इनमें आर्थिक सुस्ती और कश्मीर के हालात से लेकर प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक तक शामिल हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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देश में पिछले कई सप्ताह से तमाम ऐसे मुद्दे हैं जो राजनीति का केंद्र बने रहे हैं, अब यही मुद्दे आज से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में चर्चा का विषय रहने की संभावना है।। विपक्षी दल जहां आर्थिक सुस्ती और कश्मीर के हालात पर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, तो वहीं सरकार अपने एजेंडा के तहत नागरिकता संशोधन विधेयक पर आगे बढ़ सकती है। बीजेपी काफी समय से इस विधेयक की बात करती रही है, लेकिन विपक्ष इसे देश की बहुलता के खिलाफ बताता रहा है।

शीतकालीन सत्र से पहले रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने इस सत्र को भी पिछले कई सत्रों की तरह उपयोगी और कारगर रहने की उम्मीद जताई। पिछले सत्र में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसके दो हिस्से करने को संसद की मंजूरी मिली थी। लेकिन 5 अगस्त को कश्मीर से 370 हटने के बाद से न तो अभी तक हालात सामान्य हुए हैं और न ही विपक्षी दलों के नेताओं की नजरबंदी खत्म हुई है। साथ ही घाटी में अब भी मोबाइल इंटरनेट आदि पर पाबंदियां बरकरार हैं।

रविवार की बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद सहित तमाम विपक्षी नेताओं ने जम्मू कश्मीर में फारुक अब्दुल्ला जैसे मुख्यधारा के नेताओं को लगातार हिरासत में रखे जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि वे आर्थिक सुस्ती एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दों को सत्र में उठाएंगे। संसद का शीत सत्र सोमवार यानी 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलना है।


गौरतलब है कि पिछले सत्र में सरकार राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद अनुच्छेद 370 और तीन तलाक जैसे बिलों को पास कराने में कामयाब रही थी। इसमें उसे क्षेत्रीय दलों का भी साथ मिला था। लेकिन हाल में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के बाद विपक्ष और खासतौर से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का उत्साह बढ़ा है। इन चुनावों में विपक्ष का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है। इसके अलावा बीजेपी के शिवसेना से रिश्ते टूटने और आर्थिक सुस्ती को साबित करने वाले आंकड़ों और रिपोर्ट ने विपक्ष को माहौल गर्म करने के लिए काफी ईंधन मुहैया करा दिया है।

हालांकि सरकार ने इस सबके बावजूद इस सत्र में नागरिकता (संशोधन विधेयक) को पारित कराने के लिए कार्यसूची में सूचीबद्ध किया है। इस विधेयक के तहत पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देना या नहीं इसका फैसला होगा। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को पेश किया था, लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका। विपक्ष ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आधार पर भेदभावपूर्ण बताया। विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये जाने के कारण संबंधित देश से पलायन करने वाले हिंदू, जैन, ईसाई, सिख, बौद्ध एवं पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।


लेकिन पिछले दिनों सरकार द्वारा घोषित दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने का बिल इस सत्र की कार्यसूची का हिस्सा नहीं है। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का ऐलान किया है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कार्यसूची को शेयर करते हुए लिखा है कि, “बीजेपी सरकार का झूठ पकड़ा गया। धोखेबाजी सामने आ गई। देखिये यह है संसद सत्र में आने वाले बिल की सूची। दिल्ली वाले भाइयों देख लीजिए इसमें अनधिकृत कालोनियों को पक्का करने का कोई बिल नहीं है।“


इस सत्र की एक अहम बात यह भी होगी कि पहली बार शिवसेना केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए की सरकार होने के बावजूद विपक्ष में बैठेगी। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रिश्ता रस्साकशी के बाद बीजेपी और शिवसेना के रिश्ते टूट चुके हैं। शिवसेना के लोकसभा में 18 और राज्य में 2 सांसद हैं।

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