'नफरत पर आधारित उच्च जातियों का गठजोड़ बनाकर बीजेपी मुस्लिमों को देश में अछूत घोषित कर देना चाहती है...'

"मौजूदा हिंदुत्व प्रोजेक्ट मुस्लिमों को नया शूद्र बनाने पर आमादा है। आज मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व कहीं है ही नहीं, फिर भी उनके खिलाफ नफरत बढ़ाई जा रही है। यह समझना चाहिए कि संघ सिर्फ मुस्लिमों या ईसाइओं के ही खिलाफ नहीं है, बल्कि हिंदुओं के भी खिलाफ है।"

फोटो : सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

देश की अगड़ी जातियों के उदारवादियों को यह समझना होगा कि बीजेपी 2002 से सिर्फ और सिर्फ नफरत फैलाकर ही अनवरत जीत हासिल करती आ रह है। बीस साल से उसके पास जीत का एक ही फार्मूला है जोकि आइडिया ऑफ इंडिया के लिए चुनौती और चेतावनी है। इसका कारण व्यापक वाम धड़े द्वारा अपने साथ और लोगों को जोड़ने में नाकामी है। यह बातें कारावान पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष बल ने कही हैं।

फासीवादी राजनीतिक विस्तार के खिलाफ शुरु हे आंदोलन जनहस्तक्षेप द्वारा आयोजित दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में हरतोष बल ने कहा कि, “उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने क्या किया है, इसे देखने की जरूरत है। उन्होंने एक पसमांदा मुस्लिम (दानिश आजाद अंसारी) को अपने मंत्रिमंडल में मुस्लिम चेहरे के तौर पर शामिल किया है। इसके अलावा वे यूपी के वक्फ बोर्डों में भी पसमांदा मुस्लिमों को नियुक्त कर रहे हैं। सवाल है कि ऐसा करने से उदारवादियों को कौन रोक रहा है? अगर हम इसे नहीं मानेंगे तो हम उन्हें चुनौती भी नहीं दे पाएंगे।” ध्यान रहे कि बीजेपी ने यूपी चुनावों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था।

जनहस्तक्षेप देश में संघ परिवार द्वारा फैलाई जा रही नफरत की संस्कृति के खिलाफ एक आंदोलन है। शनिवार को दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में हुए कार्यक्रम में इसी मुद्दे पर वक्ताओँ ने अपनी बात रखी। गौरतलब है कि 2002 में गुजरात में मोदी की जीत से लेकर 2022 में यूपी में योगी की जीत तक बीजेपी का फार्मूला सिर्फ हिंदू गौरव और मुसलमानों से नफरत रहा है। उत्तरी विंध्य में बीजेपी का मजबूत गढ़ है जहां मुख्यतय: ब्राह्मण और बनिया जैसी उच्च जातियां हैं।

हरतोष बल ने कहा, “अधिकतर उच्च जातियों को लगता है कि कांग्रेस इस चुनौती का सामना करने को सामने नहीं आई है। आम आदमी पार्टी तो बीजेपी के लिए चुनौती हो ही नहीं सकती। इसीलिए नफरत आधारित उच्च जातियों का गठजोड़ एक सोची समझी नीति है जिसे देश मुस्लिमों को अछूत साबित कर इस्तेमाल किया जा रहा है।” बल ने कहा कि कांशीराम की बहुजन समाज पार्टी के रूप में बहुजन के लिए एक पार्टी सामने थी, यादव और कुछ ओबीसी के लिए मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी थी, ऐसे में स्पष्ट है कि उच्च जातियां तो बीजेपी की ही तरफ जाएंगी।


हरतोष बल ने कहा कि बीजेपी मुसलमानों को स्थाई रूप से अछूत बना देना चाहती है। उन्होंने कहा कि बिना नई अछूत श्रेणी के हिंदू राष्ट्र बन ही नहीं सकता है। बल ने कहा, “इस प्रोजेक्ट को अभी तक तो 30 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले पश्चिम बंगाल और सांस्कृतिक रूप से मजबूत तमिलनाडु और केरल ने खारिज किया है।” उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि फिलहाल संख्याबल बीजेपी के पक्ष में है। यूपी की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है और इसका अर्थ है कि बीजेपी का वोट आधार भी उसी रफ्तार से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है।

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शमसुल इस्लाम ने कहा कि मौजूदा हिंदुत्व प्रोजेक्ट मुस्लिमों को नया शूद्र बनाने पर आमादा है। उन्होंने कहा, “आज मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व कहीं है ही नहीं, फिर भी उनके खिलाफ नफरत बढ़ाई जा रही है।” प्रोफेसर शमसुल इस्लाम ने आगे कहा कि यह भी समझना चाहिए कि आरएसएस सिर्फ मुस्लिमों या ईसाइओं के ही खिलाफ नहीं है, क्योंकि वे तो पहले से अल्पसंख्यक हैं. बल्कि संघ तो हिंदुओं के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा, “आरएसएस समानता की लड़ाई के भी खिलाफ है। जब संविधान को स्वीकार किया गया था तो उन्होंने कहा था कि वे मनुस्मृति चाहते हैं, मनुस्मृति तो अधिकतर हिंदुओं और महिलाओं के खिलाफ है।”

प्रोफेसर इस्लाम ने कहा कि इसे समझने के बजाए मुस्लिम नेता हिजाब जैसे मामलों में उलझ गए। उन्होंने कहा, “आज हम यह लड़ाई लड़ रहे हैं कि हिजाब इस्लाम का अखंड हिस्सा है या नहीं। हम संघ के खेल में उलझ गए हैं। हमें तो बीमारी से लड़ना है न कि उसके लक्षणों से।”

इसी कार्यक्रम में शामिल द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि बीजेपी को समझ आ गया है कि बड़े पैमाने पर होने वाले दंगों का सीमित इस्तेमाल और प्रभाव ही हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि, “हालांकि लिंचिंग, नफरत और एक-दूसरे समुदाय के बीच शक पैदा करने का काम अधिक प्रभावी है और इसका असर लंबे अर्से तक रहता है।”

वहीं लेखक और एक्टिविस्ट सिद्धार्थ काक ने कहा कि मुस्लिमों की हत्या और उन्हें बेदखल करने की कोशिशें कश्मीर फाइल्स जैसे प्रोजेक्ट से भी की जा रही हैं। सिद्धार्थ वरदराजन ने कहा कि, “मुस्लिमों को रोजमर्रा की जिंदगी से बेदखल करने की नीतियां बनाई जा रही हैं वे लव जिहाद, हिजाब, धर्म परिवर्तन, भूमि जिहाद, तीन तलाक, बाबरी मस्जिद फैसला आदि का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे मुसलमानों को अभी छोटे-छोटे लेकिन गहरे जख्म दे रहे हैं। वे इनमें से बहुत सी चीजों को सामान्य जैसा बनाने की जुगत में हैं।”

हरतोष बल ने कहा कि देश में हिंसा की राजनीति बढ़ रही है और मीडिया भी इसमें अपनी भूमिका मिभा रहा है। उन्होंने कहा, “आज के न्यूजरूम देखिए, जहां बहुतायत लोग उच्च जातियों से हैं. और उन्हें पता है कि वे क्या कर रहे हैं और वे उस पर विश्वास भी करते हैं। वे हमेशा से बीजेपी के पक्षधर थे और वे ऐसा ही करना भी चाहते थे। ऐसे में अगर आपको कोई न्यूजरूम खुलकर बीजेपी का समर्थन करता हुआ दिखता है तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।”

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