CAA-NRC के विरोध में देवबंद की महिलाओं का प्रदर्शन, कहा- यह निजी लड़ाई नहीं, लोगों के भविष्य की लड़ाई है

देवबंद में पिछले 17 दिनों से चल रहे सीएए, एनपीआर और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन की मंच संचालक इरम उस्मानी का कहना है कि यह हमारी निजी लड़ाई नहीं है बल्कि लोगों की भविष्य की लड़ाई है।

फोटो: आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

देवबंद के ईदगाह मैदान में मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी को लेकर देवबंद की महिलाएं लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। इस विरोध प्रदर्शन को ‘देवबंद सत्याग्रह’ का नाम दिया गया है। बीते दिनों दारुल उलूम के सदस्य और स्थानीय नेता धरने पर बैठी महिलाओं को प्रदर्शन खत्म करने की अपील लेकर पहुंचे थे, जिससे नाराज होकर प्रदर्शनकारी महिलाओं ने उनके उपर चूड़ियां फेंकी थीं। इससे बात की पुष्टी मंच संचालक इरम उस्मानी ने की है।

CAA-NRC के विरोध में देवबंद की महिलाओं का प्रदर्शन, कहा- यह निजी लड़ाई नहीं, लोगों के भविष्य की लड़ाई है

देवबंद में पिछले 17 दिनों से चल रहे सीएए, एनपीआर और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन की मंच संचालक इरम उस्मानी बताती है, “उस दिन हमारे धरने के बारहवां दिन था। हमारे पास देवबंद के चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी और पूर्व विधायक माविया अली सहित कई सम्मानित लोग आएं। इन्होंने हमसे अनुरोध किया कि हमें धरने से उठ जाना चाहिए। इनका कहना था कि गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सदन में लिखकर दे दिया है कि फिलहाल सरकार एनआरसी लाने नही जा रही है। इसलिए हम सभी को धरने से उठ जाना चाहिए। हमारे कुछ सवाल थे जिनका जवाब हमें नही मिला। हमें जानकारी हुई कि प्रशासन के कुछ लोग उसी समय देवबंद में थे और इन नेताओं को वहीं से निर्देश मिली थी।”


उन्होंने आगे कहा, “नेताओं की बातचीत के दौरान ही अचानक से महिलाओं में नाराजगी होने लगी और उन्होंने अपनी चूड़ियां निकालकर उनके ऊपर फेंकने शुरू कर दी। मैंने भी अपनी चूड़ियां उनके ऊपर फेंक दी। हमें नाराजगी थी कि वो कम से कम हमारा साथ नही दे सकते तो हमारी राह में रोड़े तो मत अटकाएं।”

CAA-NRC के विरोध में देवबंद की महिलाओं का प्रदर्शन, कहा- यह निजी लड़ाई नहीं, लोगों के भविष्य की लड़ाई है

उन्होंने कहा, “हिम्मत बहुत है यहां से वापस जाने के लिए नही आएं, जिस दिन हमनें यहां आने का इरादा किया था उसी दिन तेज बारिश हुई और हमारा टेंट भी टपकने लगा था, यह हाल तीन दिन तक हुआ, हमनें वो वक़्त भी झेल लिया। तब तो सैकड़ों महिलाएं हमारे साथ खड़ी थी, अब हजारों है।”

आयोजकों में से एक फौजिया कहती है, “यह सही है कि हमारे धरने को 17 दिन हो गए हैं मगर हमारी तैयारी एक महीने से चल रही थी। हमनें घर-घर जाकर महिलाओं को समझाया कि यह कानून उनके बच्चों की जिंदगी को काला कर देगा। यही वजह है अब यहां देवबंद के हर परिवार की औरतें बैठी हैं, यह हमारी निजी लड़ाई नहीं है बल्कि लोगों की भविष्य की लड़ाई है।”


यहां बड़ी संख्या में आ रही महिलाओं आ रही हैं। उन्हें संभालने का जिम्मा अलमास फातिमा पर है। 34 साल की अलमास एक घरेलू महिला है। वो कहती है, “मुझे आगे आने का हौसला अपनी बेटी से मिला है। मेरी बेटी कहती है कि अम्मी यह सब बहुत गलत हो रहा है। क्या आप ऐसा कर सकती है मेरे भाई को रोटी दें और मुझे न दें, कोई भी सरकार अपने ही मुल्क को लोगों में भेदभाव कैसे कर सकती है, यह तो सरासर गलत है।”

CAA-NRC के विरोध में देवबंद की महिलाओं का प्रदर्शन, कहा- यह निजी लड़ाई नहीं, लोगों के भविष्य की लड़ाई है

अलमास आगे कहती है, “बच्चों तक के दिल मे यह बात बैठ गई है कि सरकार मुसलमानों के साथ भेदभाव के साथ पेश आ रही है, अब मैं सत्याग्रह वाली जगह पर 25 वॉलंटियर वाली लड़कियों की टीम को निर्देशित करती हूं। मुझे लगता है कि अब मैं आखरी वक्त तक लड़ूंगी, जब तक सरकार यह कानून वापस नहीं ले लेती। यह मेरे बच्चों के भविष्य की बात है।”

अलमास ने आगे कहा, “सरकार डराने की कोशिश कर रही है मगर डर अब हमारे दिलों से निकल चुका है। अब हम जेल जाने और मर जाने से नहीं डरते। इस सबके बजाय मोदी जी को हमारा विश्वास जीतने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि यह हमारा भी देश है।”


इस सत्याग्रह आंदोलन की सक्रिय सदस्य फौजिया उसमान कहती है, “उनका भाई स्थानीय पत्रकार है, उसके खिलाफ मुकदमा लिखा गया है। पहले उससे कहा गया की वो हमें प्रदर्शन से हटाएं। अब उस पर दबाव था कि वो प्रदर्शनकारियों को हटवाने में मेरी मदद लें। उसने दोनों ही बात नही मानी। एक और पत्रकार के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ है। इसकी वजह यह है कि उनकी पत्नी रुबीना प्रदर्शन में शामिल रही है।”

देवबंद में इस प्रदर्शन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने 140 से ज्यादा लोगों को नोटिस थमाया है। जिनमें से कई लोगों के खिलाफ मुकदमें भी लिखे गए हैं। कमाल कि बात यह है कि कई पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमें लिख दिए गए हैं। ईदगाह के मैदान में आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में हजारों महिलाएं यहां रोज़ आती है। इस देवबंद सत्याग्रह के दौरान पुरुषों की एंट्री पूरी तरह बंद है और तमाम व्यवस्था सिर्फ महिलाएं संभालती हैं। मैदान के चारों तरफ दारुल उलूम के छात्रों की भीड़ इकट्ठा रहती है, लेकिन इनमें से कोई भी मैदान के भीतर नहीं जा सकता।


प्रदर्शन में शामिल होने वाली सलमा कहती है, “मोदी जी कहते हैं कि उन्हें मुस्लिम महिलाओं की बहुत फिक्र है। वो उनके लिए तीन तलाक वाला कानून लाएं। ताकि हम खुली हवा में सांस ले सके लेकिन उन्होंने यह हवा जहरीली कर दी है। अब हमारे बच्चें भी सांस नही ले पा रहे हैं। यह लड़ाई सिर्फ एक कानून की नही है, अस्तित्व की है।”

बता दें कि धार्मिक शिक्षा का केंद्र होने के चलते देवबंद की दुनियाभर में एक प्रतिष्ठा है। देवबंद सत्याग्रह की यह जगह दारुल उलूम से मात्र 100 मीटर की दूरी पर है। देवबंद में इस प्रदर्शन के दौरान स्थानीय प्रशासन ने 140 से ज्यादा लोगों को नोटिस थमाया है। जिनमें से कई लोगों के खिलाफ मुकदमें भी लिखे गए हैं। कमाल कि बात यह है कि कई पत्रकारों के खिलाफ भी मुकदमें लिख दिए गए हैं।

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