दुनिया की खबरें: अमेरिका में रहने वाले लाखों यूक्रेनी लोगों की होगी घर वापसी! और भारत को लेकर ड्रैगन ने क्या कहा?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि वह इस बात पर विचार कर रहे हैं कि युद्ध की वजह से अमेरिका में रह रहे लाखों यूक्रेनी नागरिकों की अस्थायी संरक्षित स्थिति को रद्द किया जाए या नहीं, हालांकि इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

अमेरिका में रहने वाले लाखों यूक्रेनी नागरिकों की होगी 'घर वापसी' ! डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा बयान
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि वह इस बात पर विचार कर रहे हैं कि युद्ध की वजह से अमेरिका में रह रहे लाखों यूक्रेनी नागरिकों की अस्थायी संरक्षित स्थिति को रद्द किया जाए या नहीं, हालांकि इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक ट्रंप ने ओवल ऑफिस में मीडिया कहा, "हम किसी को चोट पहुंचाना नहीं चाहते, मैं इस पर विचार कर रहा हूं, और कुछ लोग सोचते हैं कि यह उचित है, कुछ लोग नहीं सोचते हैं, और मैं जल्द ही इस पर निर्णय लूंगा।"
ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के लोगों को 'बहुत कुछ सहना पड़ा है।'
अमेरिकी राष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई जब मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि ट्रंप प्रशासन ने लगभग 2,40,000 यूक्रेन के लोगों की सुरक्षा रद्द करने की योजना बनाई है। ये लोग फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद अमेरिका आ गए थे।
अगर यूक्रेनी लोगों की सुरक्षा रद्द की जाती है तो यह कदम उन व्यक्तियों को निर्वासित करने के लिए आधार तैयार करेगा।
हालांकि व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस रिपोर्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि कोई फैसला नहीं लिया गया है।
बाइडेन प्रशासन ने घोषणा की थी कि वह यूक्रेन के लोगों को 'यूनाइटिंग फॉर यूक्रेन' के माध्यम से देश में प्रवेश की अनुमति देगा। प्रवासियों को दो साल के लिए देश में पैरोल पर रहने की अनुमति दी जाएगी। बशर्ते वे अमेरिका स्थित प्रायोजक को सुरक्षित करने में सक्षम हों।
बाइडेन प्रसाशन की तरफ से अपने कार्यकाल के आखिरी महीने में यह ऐलान भी किया गया कि वह यूक्रेनवासियों के लिए अस्थायी संरक्षित स्थिति (टीपीएस) को अक्टूबर 2026 तक बढ़ा रहा है।
ट्रंप प्रशासन ने इसी तरह के अन्य प्रोग्राम को भी निशाना बनाया है जो हैती, क्यूबा, निकारागुआ और वेनेजुएला के नागरिकों को देश में प्रवेश की अनुमति देते हैं।
जनवरी में होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने अमेरिका में रहने वाले लगभग 6,00,000 वेनेजुएलावासियों की अस्थायी संरक्षित स्थिति को निलंबित कर दिया था, और उसके बाद लगभग 5,20,000 हैतीवासियों के लिए भी इसी प्रकार का कदम उठाया गया।
इन कार्रवाइयों के कारण अनेक मुकदमें दायर किए गए हैं, जिनमें शरणार्थियों के प्रवेश पर रोक और वेनेजुएला के नागरिकों के लिए टीपीएस को रद्द करने को चुनौती देना भी शामिल है।
रियायत के बाद हमने भी अमेरिकी सामानों पर जवाबी टैरिफ को फिलहाल किया स्थगित : कनाडा
कनाडा के वित्त मंत्री डोमिनिक लेब्लांक ने कहा कि कनाडा 2 अप्रैल तक अमेरिकी सामानों पर दूसरे दौर के टैरिफ को रोक देगा।
लेब्लांक ने गुरुवार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, "संयुक्त राज्य अमेरिका ने कनाडा से (कनाडा-अमेरिका-मेक्सिको समझौता) अनुरूप निर्यात पर टैरिफ को 2 अप्रैल तक निलंबित करने पर सहमति व्यक्त की है।"
उन्होंने बताया, "कनाडा 2 अप्रैल तक अमेरिकी उत्पादों पर 125 अरब कनाडाई डॉलर के दूसरे चरण के टैरिफ को लागू नहीं करेगा, जबकि हम सभी टैरिफ को हटाने के लिए काम करते रहेंगे।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उद्योग मंत्री फ्रेंकोइस-फिलिप शैम्पेन ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा और मेक्सिको के कुछ सामानों पर टैरिफ को 2 अप्रैल तक टालने के बावजूद कनाडा के प्रतिशोधात्मक उपाय जारी रहेंगे।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, कनाडा के आधे से ज्यादा आयात इसके दायरे में नहीं आते और संभवतः उन्हें अभी भी नए टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि वे यूएसएमसीए के अनुरूप नहीं हैं।
सीटीवी न्यूज में शैम्पेन के हवाले से कहा गया, "जब तक खतरा बना रहेगा, दबाव बना रहेगा। प्रधानमंत्री इस बारे में स्पष्ट हैं। इसे कारगर बनाने का एकमात्र तरीका दबाव बनाए रखना है।"
इससे पहले गुरुवार को ट्रंप ने कनाडा-अमेरिका-मेक्सिको समझौता के तहत आने वाले सामानों पर टैरिफ में देरी करने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे।
कनाडा के जवाबी टैरिफ का पहला चरण मंगलवार को लागू हो गया है, जिसमें 30 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामान शामिल हैं। कनाडा का यह कदम ट्रंप की अधिकांश कनाडाई आयात पर 25 प्रतिशत की दर से लगाए गए टैरिफ के जवाब में है।
ओटावा ने मूल रूप से मार्च के अंत तक अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन, कृषि उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील और ट्रक शामिल थे। हालांकि, ट्रंप के टैरिफ को कम करने के फैसले के बाद कनाडा ने इस उपाय को 2 अप्रैल तक टाल दिया है।
ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की है कि वह कनाडा और मैक्सिको से आने वाले कई सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ को एक महीने के लिए स्थगित कर रहे हैं, जिससे व्यापक व्यापार युद्ध के बारे में चिंता कम हो गई है।
हालांकि, व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि निलंबन पूर्वव्यापी नहीं है, जिसका मतलब है कि मंगलवार से गुरुवार तक आयात पर पहले से भुगतान किए गए टैरिफ वापस नहीं किए जाएंगे।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि कनाडा और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध ‘आगामी भविष्य के लिए’ जारी रहेगा, भले ही कुछ क्षेत्रों के लिए छूट दी गई हो।
ट्रंप के फैसले के जवाब में कनाडा अमेरिका के खिलाफ जवाबी टैरिफ के अपने दूसरे चरण में देरी कर रहा है। शुल्कों का निलंबन शुक्रवार को पूर्वी समयानुसार सुबह 12:01 बजे प्रभावी होगा।
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि कनाडा से लगभग 62 प्रतिशत आयातों पर नए टैरिफ लगने की संभावना है, क्योंकि वे यूएसएमसीए का अनुपालन नहीं करते हैं। इसके अतिरिक्त, ट्रंप के आदेशों के तहत मेक्सिको के आधे गैर-अनुपालन आयातों पर भी कर लगाया जाएगा।
‘हाथी’ और ‘ड्रैगन’ का तालमेल बिठाकर साथ चलना भारत-चीन संबंधों के लिए ‘एकमात्र सही विकल्प’ है:वांग यी
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को कहा कि ‘हाथी’ (भारत) और ‘ड्रैगन’ (चीन)का तालमेल बिठाकर साथ चलना ही दोनों देशों के संबंधों के लिए ‘‘एकमात्र सही विकल्प’’ है।
उन्होंने कहा कि भारत और चीन के संबंधों में ‘‘सकारात्मक प्रगति’’ हुई है और पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय तक चले सैन्य गतिरोध के पिछले वर्ष समाप्त होने के बाद सभी स्तरों पर उत्साहजनक नतीजे प्राप्त हुए हैं।
वांग सत्तारूढ़ ‘कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना’ (सीपीसी) के शक्तिशाली राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य भी हैं। उन्होंने यहां अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमें एक-दूसरे को कमजोर करने या एक-दूसरे को कमतर आंकने के बजाय एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए।’’
उनसे पूछा गया कि दोनों देशों के बीच संबंधों में लंबे समय तक चले गतिरोध को समाप्त करने के बाद चीन द्विपक्षीय संबंधों को किस तरह देखता है। उन्होंने कहा कि ‘ड्रैगन’ (चीन) और ‘हाथी’ (भारत) का तालमेल बिठाकर साथ चलना ही दोनों पक्षों के लिए “एकमात्र सही विकल्प” है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच रूस के कजान शहर में सफल बैठक के बाद पिछले वर्ष चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है।’’
वांग ने यहां आयोजित चीन की संसद के वार्षिक सत्र से इतर कहा कि शी और मोदी दोनों ने कजान में हुई बैठक में संबंधों में सुधार के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया था।
उन्होंने कहा कि इसके बाद, दोनों पक्षों ने नेताओं के बीच बनी आम समझ का ईमानदारी से पालन किया, ‘‘सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया तथा कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए’’।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद, दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त और सैनिकों को पीछे हटाने पर भारत-चीन समझौते का पिछले साल 23 अक्टूबर को समर्थन किया था तथा विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्र को बहाल करने के निर्देश जारी किये थे।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वांग यी ने गत 18 दिसंबर को विशेष प्रतिनिधि वार्ता (एसआर डायलॉग) के दौरान ‘सार्थक चर्चा’ की थी।
संबंधों को बेहतर बनाने के लिए सीमा पर शांति बनाये रखने के महत्व पर भारत द्वारा जोर दिए जाने का स्पष्ट संदर्भ देते हुए वांग ने चीन के इस रुख को दोहराया कि सीमा या अन्य मुद्दों पर मतभेदों से समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
वांग के मुताबिक, चीन का मानना है कि दोनों देशों को एक-दूसरे की सफलता में साझेदार बनना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक साझेदारी ही दोनों पक्षों के लिए एकमात्र सही विकल्प है।’’
वांग ने कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें द्विपक्षीय संबंधों को कभी भी सीमा के सवाल या विशिष्ट मतभेदों से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए, जिससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र तस्वीर प्रभावित हो।’’
उन्होंने अमेरिका के स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘‘ ‘ग्लोबल साउथ’ के महत्वपूर्ण सदस्यों के रूप में, हमारे पास आधिपत्यवाद का विरोध करने में अग्रणी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी है।’’
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित या अविकसित कहा जाता है और जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं।
वांग ने कहा, ‘‘हमें न केवल अपने देशों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करनी चाहिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों को भी बनाए रखना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यदि चीन और भारत हाथ मिलाते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अधिक लोकतांत्रिक व्यवस्था और मजबूत ‘ग्लोबल साउथ’ की संभावना में काफी सुधार होगा।’’
वांग ने कहा कि 2025 में चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘चीन भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि चीन-भारत संबंधों को मजबूत और स्थिर विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।’’
महिलाओं से हिजाब नहीं पहनने का आग्रह करने वाले ईरानी गायक को शराब पीने के आरोप में कोड़े मार गए
ईरान में एक लोकप्रिय गायक को शराब रखने और पीने का दोषी ठहराए जाने के बाद कोड़े मारने की सजा दी गई है। गायक के वकील और सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
इस गायक ने अपने एक गीत में महिलाओं से अनिवार्य किये गये हिजाब को नहीं पहनने का आग्रह किया था।
वकील जहरा मिनुई ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि गायक मेहदी याराही को बुधवार को कोड़े मारे गए।
ईरान की समाचार एजेंसी ‘फार्स’ ने एक अधिकारी के हवाले से अपनी खबर में बताया कि गायक को यह सजा उनके संगीत के लिए नहीं बल्कि शराब पीने के लिए दी गई है।
उन्होंने कहा कि सजा दिए जाने के साथ ही याराही का मामला बंद कर दिया गया है।
कोड़े मारे जाने के बाद याराही ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘‘जो व्यक्ति स्वतंत्रता के लिए कीमत चुकाने को तैयार नहीं है, वह इसके लायक नहीं है।’’
चीन के विदेश मंत्री ने ‘टैरिफ’ को लेकर अमेरिका की आलोचना की
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पत्रकारों के साथ वार्षिक बैठक में ‘टैरिफ’ को लेकर अमेरिका की आलोचना की और दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को दोहराया। इसके साथ ही उन्होंने अतीत में जापान की आक्रामकता और अन्य मुद्दों पर बात की।
वांग ने कहा कि दक्षिण चीन सागर में तनाव की कहानी अमेरिका द्वारा उत्पन्न किया गया ‘‘फर्जी तमाशा’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘चीन कानून के अनुसार अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री अधिकारों तथा हितों की रक्षा करना जारी रखेगा। मैं यहां यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि उल्लंघन और उकसावे का निश्चित रूप से अपना परिणाम होगा, और जो लोग शतरंज के मोहरे बनने को तैयार हैं, उन्हें अंततः त्याग दिया जाएगा।’’
चीनी विदेश मंत्री ने द्वितीय विश्वयुद्ध का उल्लेख करते हुए अतीत में जापान की आक्रामकता की निंदा की और कहा कि उसे ताइवान को समर्थन देना बंद करना चाहिए।
उन्होंने ‘टैरिफ’ के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन के रुख को लेकर अमेरिका की आलाचेना की।
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