अमेरिका की फैक्टरी और सड़क बंगाल की, लेकिन विकास यूपी का, फर्जी एड पर प्रियंका गांधी ने कहा- हवाई दावों की सरकार

एक समाचार पत्र में छपे विज्ञापन को लेकर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की खूब किरकिरी हुई है। तस्वीर को लेकर प्रियंका गांधी ने निशाना साधते हुए कहा कि यह हवाई दावों की सरकार है, वहीं तृममूल कांग्रेस ने भी इस पर चुटकियां लीं।

सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के औद्योगीकरण और विकास को दर्शाने वाले एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक में पूरे पेज के विज्ञापन में कोलकाता के मां फ्लाईओवर की तस्वीर दिखाए जाने के बाद कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर निशाना साधा। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जो उत्तर प्रदेश की प्रभारी भी हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, "वे फर्जी विज्ञापन देते हैं, युवाओं को लेखपाल की फर्जी नौकरी की पेशकश की जाती है, अब फ्लाईओवर और कारखानों की फर्जी तस्वीरें दे रहे हैं और फर्जी विकास का दावा कर रहे हैं। न ही उन्हें लोगों के मुद्दों की कोई समझ है और न ही उनका इससे कोई लेना-देना है। यह नकली विज्ञापन और झूठे दावों की सरकार है।"

राज्य सरकार द्वारा जारी विज्ञापन की तृणमूल कांग्रेस ने भी तीखी आलोचना की। कई शीर्ष मंत्रियों और नेताओं ने आदित्यनाथ पर 'बंगाल में बुनियादी ढांचे के दृश्यों से चित्र चुराने' का आरोप लगाया।


एक अंग्रेजी भाषा के प्रकाशन में रविवार को किए गए विज्ञापन 'ट्रांसफॉर्मिग उत्तर प्रदेश अंडर योगी आदित्यनाथ' में आदित्यनाथ का एक फ्लाईओवर के साथ कट-आउट है जो कोलकाता के 'मां फ्लाईओवर' जैसा दिखता है जो शहर के मध्य भाग को शहर के उत्तर पूर्वी किनारे साल्ट लेक और राजारहाट से जोड़ता है। तस्वीर में कोलकाता की प्रतिष्ठित पीली टैक्सी और एक ऊंची इमारत भी है जो शहर में मां फ्लाईओवर के बगल में एक पांच सितारा होटल जैसा दिखता है।

हालांकि, अंग्रेजी दैनिक ने बाद में एक बयान जारी किया, जिसमें स्वीकार किया गया कि दोष समाचार पत्रों की मार्केटिंग और विज्ञापन टीम का है। बयान में कहा गया है, "अखबार के विपणन विभाग द्वारा निर्मित उत्तर प्रदेश पर विज्ञापन के कवर कोलाज में अनजाने में एक गलत तस्वीर शामिल की गई थी। त्रुटि का गहरा खेद है और तस्वीर को अखबार के सभी डिजिटल संस्करणों से हटा दिया गया है।"


ध्यान रहे कि विज्ञापन में क्या लिखा जाना है या क्या दिखाया जाना है कि इसकी जिम्मेदारी विज्ञापन देने वाली संस्था, सरकार या एजेंसी की होती है। इसके लिए बाकायदा नियम भी हैं। लेकिन लगता है कि उत्तर प्रदेश सरकार के दबाव में समाचार पत्र को ऐसा बयान जारी करना पड़ा है।

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