युवा कांग्रेस 7 जनवरी से निकालेगी अरावली सत्याग्रह यात्रा, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा होते हुए दिल्ली पहुंचेगी

उदय भानु चिब ने कहा कि हमारी मांग है कि अरावली में 100 मीटर वाला पैंतरा खत्म किया जाए। अरावली रेंज क्रिटिकल इकोलॉजिकल जोन घोषित हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा हो, सरकार प्रस्ताव वापस ले और अरावली रेंज में माइनिंग को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए।

युवा कांग्रेस 7 जनवरी से निकालेगी अरावली सत्याग्रह यात्रा, गुजरात, राजस्थान और हरियाणा होते हुए दिल्ली पहुंचेगी
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आसिफ एस खान

भारतीय युवा कांग्रेस अरावली पर्वतमाला से जुड़े उच्चतम न्यायालय के आदेश की समीक्षा, पर्वतमाला को पुन:परिभाषित करने के प्रस्ताव को वापस लेने तथा खनन को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की मांगों को लेकर आगामी सात जनवरी से ‘अरावली सत्याग्रह यात्रा’ शुरू करेगी। युवा कांग्रेस की यह यात्रा गुजरात से शुरू होकर राजस्थान और हरियाणा होते हुए 20 जनवरी को दिल्ली में समाप्त होगी।

भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष उदय भानु चिब ने बताया, ‘‘हम अरावली को बचाने के लिए ‘अरावली सत्याग्रह’ यात्रा निकालने जा रहे हैं, जो सात जनवरी से 20 जनवरी तक चलेगी। यह यात्रा गुजरात से शुरू होगी और राजस्थान, हरियाणा से होते हुए दिल्ली आएगी।’’ चिब ने कहा कि इस यात्रा के जरिये हमारी मांग है कि अरावली रेंज में 100 मीटर की ऊंचाई वाला पैंतरा ख़त्म किया जाए। अरावली रेंज क्रिटिकल इकोलॉजिकल जोन घोषित हो। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा हो, सरकार प्रस्ताव वापस ले और अरावली रेंज में माइनिंग को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए।’’


चिब ने कहा, ‘‘असलियत यह है कि सरकार ने खुद उच्चतम न्यायालय को प्रस्ताव भेजा था कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले पहाड़ को अरावली क्षेत्र से हटा दिया जाए। पहले उच्चतम न्यायालय की समिति होती थी, जो खनन की निगरानी रखती थी, लेकिन मोदी सरकार ने उसे भंग कर दिया और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस प्रस्ताव को भेजा गया।’’ चिब ने कहा कि अभी तक 50 नई माइनिंग को परमिशन मिल चुकी है। 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने उन माइंनिग के विस्तार को रोक दिया था, जो माइंनिग अरावली के पास पहुंच गई थी, लेकिन बीजेपी की राजस्थान सरकार ने कहा है कि अगर आपको विस्तार चाहिए तो फीस भरिए और 2010 में बंद हुई माइनिंग को खोल दिया।

युवा कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार इस पर्वतमाला के बड़े हिस्से को अपने एक ‘परम मित्र’ उद्योगपति को सौंपनी चाहती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आया है, उसमें लिखा है कि नई माइनिंग तभी शुरू हो सकती है, जब सरकार प्रस्ताव लाए। आदेश में एक और बात लिखी गई है कि अरावली रेंज में अगर रेयर अर्थ मेटल मिलेगा, तो उनकी माइनिंग हो सकती है। ऐसे में सवाल है कि क्या इसे भी मोदी के परममित्र अडानी को सौंपा जाएगा? हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अंडमान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का उदाहरण हमारे सामने है। देश के नागरिक होने के नाते हम सवाल पूछेंगे और न्याय के लिए तब तक आवाज उठाते रहेंगे, जब तक हमारी मांग नहीं मान ली जाती है।


चिब ने कहा कि बीजेपी सरकार ने पहले हमारे देश की संस्कृति को प्रदूषित किया और अब वो हमारे पर्यावरण को भी प्रदूषित करने की तैयारी में है। अरावली- महज पहाड़ नहीं हैं, ये उत्तर भारत को सुरक्षा देते हैं। अरावली की पहाड़ियां वाटर लेवल, प्रदूषण, टेंपरेचर कंट्रोल करने के साथ ही 'डेजर्ट' को रोकने का काम करती हैं। साथ ही ये पिछले कई साल से हमारी संस्कृति को सहेज रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में कहा था कि अरावली रेंज में माइनिंग अवैध है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि जो पहाड़ 100 मीटर से कम होंगे- वह अरावली में नहीं आएंगे। जबकि सच्चाई ये है कि 90% पहाड़ 100 मीटर से कम हैं। इसलिए हम इसका विरोध करते हैं।