कश्मीरियों की खामोशी को स्वीकृति समझने की गलती न करे सरकार: तारिगामी

सीपीएम नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक यूसुफ तारिगामी ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर अनुच्छेद 370 हटाने से कश्मीर देश का हिस्सा बना है तो वहां के लोगों के बुनियादी अधिकारों को क्यों कुचला जा रहा है।

फोटो : सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

“मौन को स्वीकृति नहीं माना जा सकता। मेर विचार से यह एक गलती है। हालात बेहद तकलीफदेह हैं और जो लोग जबरदस्ती के मौन या खामोशी के दौर से दो-चार नहीं हुए हैं, वे इसे समझ ही नहीं सकते। कश्मीर में ये सब अब रुकेगा नहीं, देश के बाकी हिस्सों में ऐसा ही होगा। मैं देश से अपील करता हूं कि इस सबको गंभीरता से देखें।“ यह कहना है कि सीपीएम नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक यूसुफ तारिगामी का।

तारिगामी ने से जब पूछा गया कि कश्मीर में आखिर विरोध-प्रदर्शन क्यों नहीं हो रहे? उनका जवाब था, “आपने तिहाड़ जेल में कभी विरोध प्रदर्शन देखे हैं।?” उन्होंने कहा, “आप जम्मू-कश्मीर के लोगों को खामोश कर सकते हैं, लेकिन इतिहास यहां की हकीकत बयां करेगा। आप हालात सामान्य होने का दावा करते हैं, खून की एक बूंद न गिरने का दावा करते हैं। कब्रिस्तान में भी ऐसी ही खामोशी होती है। हमारे कश्मीर को कब्रिस्तान मत बनाओ।”

तारिगामी दिल्ली में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी के निवास पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। तारिगामी अपना मेडिकल चेकअप कराने दिल्ली आए हैं, और इसकी इजाजत उन्हें सुप्रीम कोर्ट से मिली है।

ध्यान रहे कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले पर संसद की मुहर के बाद राज्य में जनजीवन ठहरा हुआ है। तारिगामी ने कहा, “स्कूल-कॉलेज खोले गए हैं, लेकिन वहां न शिक्षक हैं न छात्र। पत्रकारों तक को तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है। प्रतिष्ठित अखबार तक सरकारी गजट बनकर रह गए हैं। सिर्फ एक ही पार्टी की आवाज सुनाई दे रही है।”

उन्होंने कहा कि, “हमने पहले भी बुरे हालात देखे हैं। असल में हम तो 30 साल से हिंसा और बरबादी का सामना कर रहे हैं। लेकिन हिंसा किसी भी बात का विकल्प नहीं है। सरकार या प्रशासन कुछ भी करता है, तो भी कश्मीरी हिंसा का विकल्प नहीं चुनते हैं। हमें ऐसे लोगों के जाल में नहीं फंसना है जो हमें अलग-थलग करना चाहते हैं। हमारी ताकत एकता में हैं।”


तारिगामी ने पिछले 80 दिनों के दौरान कश्मीरियों के हालात पर कहा कि “हकीकत में कश्मीरियों को प्रताड़ित किया जा रहा है। हम सबसे धोखा किया गया है, युवा गहरी निराशा में हैं, मौजूदा सरकार में कश्मीरियों का विश्वास नहीं रहा है।“ उन्होंने आगाह किया कि इस सबके गंभीर नतीजे हो सकते हैं और इसका असर देश के बाकी हिस्सों पर भी पड़ सकता है।

वहीं सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि “अमित शाह उन सभी को आतंकवादी कहते हैं जो अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध कर रहे हैं। लेकिन तारिगामी पर तो खुद आतंकवादियों ने कई बार हमला किया है।”

इस बिंदु पर कि देश के बाकी हिस्सों से तो अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले को समर्थन मिल रहा है, तारिगामी ने कहा, “दुर्भाग्य से आरएसएस और बीजेपी ने 370 की गलत व्याख्या लोगों के सामने रखी है। उन्होंने कहा है कि इससे आतंकवाद बढ़ता है और कश्मीर देश की मुख्यधारा से अलग रहता है। लेकिन संविधान के मुताबिक ऐसा नहीं है। हकीकत कुछ और ही है।”

तारिगामी ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर अनुच्छेद 370 हटाने से कश्मीर देश का हिस्सा बना है तो वहां के लोगों के बुनियादी अधिकारों को क्यों कुचला जा रहा है।

तारिगामी ने देश के लोगों से अपील की कि कश्मीरियों के हक के लिए आवाज उठाएं और कश्मीरियों पर हो रहे जुल्मों को लोगों के सामने लाएं। यह पूछने पर कि लोगों ने जो स्वंय कर्फ्यू लगाया हुआ है वह कब तक जारी रहेगा, तारिगामी का जवाब था कि जब कोई हादसा होता है तो उसका शोक कितने दिन मनाया जाएगा, तय नहीं हो सकता।

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