विष्णु नागर का व्यंग्यः अबकी बार ट्रंप सरकार नारे की हार, गम में डूबा जिगरी यार !

ट्रंप की हार पर उनके दोस्त देश में राजकीय शोक घोषित करना चाहते थे। इस पर आफिस स्टाफ ने बिन मांगे सलाह दे डाली कि यह मामला सोच-विचार का है तो क्यों न विदेश मंत्री की राय ले ली जाए! ट्रंप के दोस्त को यह बेतकल्लुफी पसंद नहीं आई और उसे बर्खास्त करने का आदेश दे दिया।

फोटोः सोशल मीडिया
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विष्णु नागर

लोक कल्याण मार्ग शोक में डूबा हुआ था। ट्रंप की हार पक्की हो चुकी थी। उनका सबसे जिगरी दोस्त हार चुका था। उनका सबसे सगा हार चुका था। अगली बार ट्रंप सरकार बनाने का उनका नारा हार चुका था। ट्रंप का दोस्त इसके लिए देश में राजकीय शोक घोषित करना चाहता था। बहुत सोच विचार करना वैसे ट्रंप की तरह ट्रंप के दोस्त की आदत भी नहीं रही कभी। इस बीच आफिस सुपरिटेंडेंट ने बिन मांगे सलाह दे डाली कि सर, बुरा न मानें तो आपकी आदत सोच-विचार करने की है नहीं और यह मामला सोच-विचार करने का है तो क्यों न विदेश मंत्री की राय ले ली जाए!

ट्रंप के दोस्त को अपने एक कर्मचारी की यह बेतकल्लुफी पसंद नहीं आई। उन्होंने अपने सचिव को बुलाकर कहा कि इस मुंहजोर को अभी बर्खास्त करो। इसका मुंह मैं दुबारा देखना नहीं चाहता। इसकी यह हिम्मत कि कहे कि मुझे सोच-विचार करना नहीं आता! वाह-वाह क्या फैसले लेने के लिए किसी से सलाह लेने की भी अब जरूरत मुझे पड़ेगी? मेरा ऐसा अपमान तो आज तक मेरे किसी दुश्मन ने भी नहीं किया। करो जी आप राष्ट्रीय शोक घोषित। ध्वज झुकवा दो, मगर पहले इसे बाहर करो और इस आदेश की कॉपी फौरन मेरे हुजूर में पेश की जाए।

कर्मचारी बहुत गिड़गिड़ाया, मगर उसकी बर्खास्तगी का आदेश जारी हो गया। दूसरा आदेश भी जारी किया जाने वाला था कि ट्रंप के मित्र का इरादा बदल गया। उन्होंने कहा, चलो विदेश मंत्री को बुला लेते हैं। करेगा तो वही, जो मैं उससे कहूंगा। फिर भी औपचारिकता पूरी कर लेते हैं।

विदेश मंत्री आए। उन्होंने कहा कि आपका प्रस्ताव अत्यंत उत्तम है। ऐसा ही होना चाहिए। इसमें काफी नवीनता है क्योंकि ऐसा कभी कहीं हुआ नहीं। इससे इतिहास बन जाएगा। बिडेन की संभावित जीत से ज्यादा दुनिया भर में आपके इस कदम की चर्चा होगी। आप विश्व के सबसे चर्चित नेता बन जाएंगे और भारत जगद्गुरु। इससे आपकी कीर्ति में जो वृद्धि होगी, उसके बारे में सोच कर मैं पुलकित हूं। यह आपकी कूटनीतिक समझ का शिखर है। ऐसा विद्वान, ऐसी महान सूझबूझ वाला नेता मैंने आज तक नहीं देखा, न सुना, न पढ़ा। आप इजाज़त दें तो आपके चरणस्पर्श कर लूं। ट्रंप के दोस्त ने मुस्कुराकर इसका स्वागत किया।

इसके उपरांत विदेश मंत्री ने कहा कि इसमें समस्या एक ही है सर। इससे आपका और मेरा अमेरिका आना-जाना बंद हो जाएगा। इससे आपकी प्रतिष्ठा का बड़ा नुकसान होगा। एक राष्ट्रपति आपका जिगरी दोस्त था और दूसरा आपसे मिलने से इनकार कर दे, तो इससे जो दुख मुझे पहुंचेगा, उसका मैं वर्णन कैसे करूं! बाकी तो आपका जो भी आदेश होगा, मान्य है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि किसी के हारने-जीतने पर किसी देश में झंडा झुकाने या लहराने की परंपरा नहीं है, पर खैर परंपरा अगर वह हिन्दू नहीं है तो तोड़ने में हर्ज नहीं। व्यक्तिगत मित्रता निभाना बड़ी चीज़ है। वैसे आप चाहें तो थोड़ा सोच-विचार करने की कोशिश करके देख सकते हैं।

इसकेे बाद विदेश मंत्री ने आगे कहा कि एक मीटिंग निबटाकर मैं आपसे बात करता हूं। विपक्षी दल और पुराने डिप्लोमेट इसका विरोध करेंगे, मगर करने दो। हमने कब किसी विरोध की चिंता की है, जो अब करें! और वैसे भी वो नारा है न, जो अपनी मर्जी चला न सके, वो सरकार निकम्मी है। जो सरकार निकम्मी है, वो सरकार बदलनी है। तो हमें अपनी सरकार को बदलने नहीं देना है। हमको ट्रंप नहीं बनना है।

विदेश मंत्री इतना कहकर फुर्र हो जाते हैं। 29 मिनट बाद विदेश मंत्री फोन से पूछते हैं। क्या फैसला है सर। वैसे एक मिनट पहले फोन करने की गुस्ताखी मैंने की है, इसके लिए क्षमा करें। ट्रंप के मित्र ने कहा कि हां मैं खुद तो सोच नहीं सकता, मगर मैंने अपने एक सेवक से पूछा, जो विदेशी मामलों का आपसे बड़ा जानकार है। क्यों भई तेरी क्या राय है? उसने कहा सर, ऐसा मत करो। मैंने उसकी राय मान ली है, पर ट्रंप को बताना तो है कि हम बहुत दुखी हैं। फोन करूं उसे? विदेश मंत्री ने कहा सर, उस सेवक से ही यह भी पूछ लेते हैं। वह जमीन से जुड़ा आदमी है। हम तो कार और हवाई जहाज से जुड़े आदमी हैं।

विदेश नीति के उस जमीनी विशेषज्ञ ने कहा- अरे मत करो ऐसा सर। एक तो ट्रंपवा इस समय बेहद दुखी आत्मा हो रखा है। वह फोन उठाएगा नहीं और उठाया तो कहेगा कि तुम तो कहते थे कि तुम्हारे और मेरे जैसा नेता आज तक इस दुनिया में कोई हुआ नहीं। हमारे सामने तो ये चीन-रूस के नेता सब चंगू-मंगू हैं और तुम्हारे हिंदुओं ने ही मुझे वोट नहीं दिया! तुम सब लोग धोखेबाज हो। तुम उस कमला के चक्कर में आ गए हो। जाओ मैं तुम जैसों से बात नहीं करता।और ऐसा कह कर वह फोन रख देगा। एक शोक संदेश भेज देते हैं। वह उत्तर नहीं भी देगा तो चलेगा।

जाहिर है यह बात मान ली गई। विदेश मंत्री ने इस पर सुझाव दिया कि सर, यह तो बहुत योग्य है।इसे सचिव स्तर देकर हमारे मंत्रालय में विशेष सलाहकार बना देते हैं। ट्रंप के दोस्त ने आंखें तरेर कर देखा। विदेश मंत्री तब चुपचाप जयश्री राम करके चलते बने।

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